9/11 अटैक के बाद अमेरिका ने बनाई थी सबसे खतरनाक जेल, जिसे कहते हैं धरती का नर्क

11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए हमलों ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था. अमेरिका में हुए इन हमलों के लिए अल कायदा के 19 आतंकियों ने चार विमान हाइजैक किए थे.

Written by - Akash Singh | Last Updated : Sep 11, 2021, 10:03 AM IST
  • जानिए इस हमले ने दुनिया को कैसे बदला
  • इस जेल को क्यों कहते हैं धरती का नर्क
9/11 अटैक के बाद अमेरिका ने बनाई थी सबसे खतरनाक जेल, जिसे कहते हैं धरती का नर्क

नई दिल्लीः अमेरिका में आज से ठीक 20 साल पहले यानी कि 11 सितंबर 2001 को एक आतंकी हमला हुआ था. इस हमले ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था. इस हमले ने अमेरिका के हजारों लोगों की जान ही नहीं ली थी बल्कि इस हमले के बाद पूरी दुनिया अचानक से बदल गई थी.

इन बदलावों में तमाम चीजें थीं. इस हमले के बाद पूरी दुनिया में जो सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिला था वो सर्विलांस का था. तमाम देशों की सरकारों ने अपने यहां लोगों की निगरानी बढ़ा दी थी.

लोगों को शक के नजर से देखा जाने लगा था और उन्हें सर्विलांस किया जाने लगा था. लेकिन ये तो कहानी का सिर्फ एक हिस्सा था. इस हमले के बाद अमेरिका ने कुछ ऐसा भी किया था, जिसका असर देखने के बाद पूरी दुनिया का इंसानियत पर से भरोसा उठ गया था.

अमेरिका ने एक ऐसी जगह बनाई थी जिसे धरती का नर्क कहा जाता था. जहां इंसान को इंसान नहीं जानवर से भी बदतर समझा जाता था और उसके साथ वैसे ही सुलूक किए जाते थे. दरअसल, हम बात कर रहे हैं ग्वांतनामो बे जेल की. आइए जानते हैं इस जेल से जुड़ी कुछ कहानी.

क्या थी ग्वांतनामो बे
अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के बाद इस जेल को खोला गया था. दरअसल, ग्वांतनामो बे, क्यूबा में पड़ता है. अमेरिका ने 1930 में क्यूबा से इस जमीन को लीज पर लिया था और नौसेना के अड्डे के रूप में इस्तेमाल करता था. लेकिन न्यूयॉर्क के 9/11 वाले आतंकवादी घटना के बाद यहां जेल बनाई गई. लेकिन जल्द ही यह नफरत की निशानी बन गई.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस जेल में कैदियों को बिना किसी चार्ज के रखा जाता था और तमाम तरह की यातनाएं दी जाती थीं.

कैसे दी जाती थी सजा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस जेल में कैदियों को स्लीप डिप्रिवेशन के हाल में डाल दिया जाता है. यानी उन्हें सोने नहीं दिया जाता. अगर सो गए तो कच्ची नींद में उठा दिया जाता है. फिर थोड़ी देर सोने दिया जाता है, फिर उठा दिया जाता है. ऐसा हाल कर दिया जाता है कि वे न तो सो सकें, न जग सकें.

यही नहीं गर्मियों के दिनों में यहां का तापमान और बढ़ा दिया जाता था और ठंड में तापमान घटा दिया जाता था. बाहर से किसी को भी यहां आने की इजाजत नहीं होती थी. कंटीले तारों और टूटे हुए शीशे से शरीर गोदा जाता था.  मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे धरती का नर्क बताते हैं.

बताते हैं कि इस जगह पर कुल 779 कैदियों को रखा गया था. लगभग 78 कैदियों को बिना किसी चार्ज के रिहा कर दिया गया था क्योंकि वे अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं थे. आंकड़े बताते हैं कि एक कैदी पर करोड़ों रुपये का खर्च आता था.

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के मास्टरमाइंड को भी रखा
इस जेल में अमेरिका ने तो वैसे कई खूंखार आतंकियों को लंबे समय रखे रहा लेकिन जिस मकसद के लिए इस जेल को बनाया गया था वो मकसद भी अमेरिका ने पूरा किया था. दरअसल, इस जेल में अमेरिका ने खालिद शेख मुहम्मद को भी कैद रखा था जिसपर 9/11 की साजिश रचने का आरोप है. उसके चार साथी भी इसी जेल में थे. इसके अलावा सऊदी अरब का अब्द अल रहीम अल नासिरी भी शामिल है. बता दें कि खालिद अब भी सलाखों के पीछे है और सजा भुगत रहा है.

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क्या था 9/11 हमला
11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए हमलों ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था. अमेरिका में हुए इन हमलों के लिए अल कायदा के 19 आतंकियों ने चार विमान हाइजैक किए थे. दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टॉवर्स में टकरा दिया, जबकि तीसरे विमान से पेंटागन पर हमला किया गया.

इस हमले में अमेरिका का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पूरी तरह से तबाह हो गया था. साथ ही 3 हजार के करीब लोगों की मौत हो गई थी और 6 हजार के करीब लोग जख्मी हुए थे. साल 2001 में अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश थे. इसके बाद अमेरिका ने दुनिया के कई हिस्सों से कई आतंकियों को पकड़ा था.

यही नहीं अमेरिका ने इसी हमले का बदला लेने के लिए तब अफगानिस्तान में कब्जा जमाए तालिबान पर भी हमला किया था. क्योंकि उन्हें शक था कि लादेन को तालिबान ने अपने यहां शरण दे रखी है. इस हमले के बाद अफगानिस्तान में तालिबानियों का कब्जा खत्म हो गया था. हालांकि अब 20 साल बाद फिर से तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है.

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