Tomahawk Missile Known as Amecian Brahmos: ईरान और इजरायल के युद्ध में अमेरिका की भी एंट्री हो चुकी है. अमेरिका ने 30 टॉमहॉक मिसाइलों से ईरान पर धावा बोला है. इस मिसाइल ने ईरान में तगड़ा गदर मचाया है. इसके अलावा, अमेरिका ने 12 बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल भी किया. बहरहाल, टॉमहॉक वही मिसाइल है जिससे अमेरिका ने हूती विद्रोहियों को सबक सिखाया था. अब ईरान में कोहराम मचाने वाली ये मिसाइल चर्चा में है. इस मिसाइल को 'अमेरिकी ब्रह्मोस' के नाम से भी माना जाता है.
पहली बार 1991 में हुआ इसका इस्तेमाल
टॉमहॉक मिसाइल 400 मील दूर मौजूद अमेरिकन सबमरीन से लॉन्च हुई थी. ये एक लॉन्ग रेंज सबसोनिक क्रूज मिसाइल है. इस मिसाइल का इस्तेमाल US ने पहली बार साल 1991 में खाड़ी युद्ध में किया. इस मिसाइल का वजन 32 पाउंड के आसपास है. जबकि ये 1000 पाउंड वॉरहेड ले जाने में सक्षम है. इस मिसाइल की लंबाई 18.3 फीट के आसपास है.
टॉमहॉक मिसाइल को क्यों कहा जाता है अमेरिकी ब्रह्मोस?
टॉमहॉक मिसाइल को अमेरिकी 'ब्रह्मोस' भी कहा जाता है. दरअसल, टारगेट को नेस्तनाबूद करने की क्षमता दोनों ही मिसाइलों में गजब की है, यही कारण है कि टॉमहॉक और ब्रह्मोस मिसाइल की अक्सर तुलना भी होती है. जैसे ब्रह्मोस मिसाइल ने ऑपरेशन सिंदूर में पाक में मौजूद चीनी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दिया था, ठीक वैसे ही टॉमहॉक मिसाइल हवाई रक्षा प्रणाली को गच्चा देने में माहिर है. इस मिसाइल को भी ब्रह्मोस की तरह जमीन, वॉरशिप या सबमरीन से लॉन्च किया जा सकता है.
मिसाइलों का बिग ब्रदर क्यों कहा जाता है?
टॉमहॉक को मिसाइलों का बिग ब्रदर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें लगभग सभी खूबियां हैं. भारत की ब्रह्मोस मिसाइल न्यूक्लियर वॉरहेड में फिलहाल सक्षम नहीं है, लेकिन टॉमहॉक मिसाइल परमाणु हथियारों को ले जा सकती है. हो सकता है कि ब्रह्मोस मिसाइल भी भविष्य में न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने की क्षमता को हासिल कर ले.