ईरान के विदेश मंत्री को यूएन की बैठक में आने से रोक दिया अमेरिका ने

अमेरिका सीधे-सीधे युद्ध की तरफ इशारा तो नहीं कर रहा है लेकिन ईरान को लेकर किसी समझौते के मूड में भी नज़र नहीं आ रहा है..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Mar 5, 2020, 12:55 AM IST
    • अमेरिका ईरान को लेकर समझौते के मूड में नहीं
    • ईरानी विदेश मंत्री को यूएन की बैठक में आने से रोका
    • सुरक्षा परिषद की बैठक में शामिल होने वाले थे जरीफ
    • यूनाइटेड नेशंस भी हुआ विवश
ईरान के विदेश मंत्री को यूएन की बैठक में आने से रोक दिया अमेरिका ने

नई दिल्ली. अब तो यही लगता है कि ईरान दूसरे देशों की समझाइश को समझे और अमरीका से उलझने से किनारा करे. क्योंकि अमरीका जुबानी जंग के अलावा अब सीधी तौर पर कुछ नहीं कर रहा है लेकिन पीछे से अपनी जिद पर ही अड़ा हुआ नज़र आ रहा है और यह कदम अमरीका की इसी जिद्दी सोच का नतीजा है.

ईरानी विदेश मंत्री को यूएन की बैठक में आने से रोका 

अमरीका ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए यूनाइटेड नेशंस की एक अहम बैठक में ईरानी विदेश मंत्री जावद जाऱीफ के आने के रास्ते बंद कर दिए हैं. उसने जावद जरीफ को वीज़ा देने से इंकार कर दिया है.

सुरक्षा परिषद की बैठक में शामिल होने वाले थे जरीफ

ईरान के विदेश मंत्री जावद जरीफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क पहुँचने वाले थे किन्तु अमरीका ने उन्हें वीज़ा देने से साफ़ इंकार कर दिया है जो कि ईरान के आत्मसम्मान को चोट भी पहुंचाएगा और संयुक्त राष्ट्र में उसके भविष्य को भी आशंकित करेगा. ज़ाहिर है ईरान के खिलाफ अमरीका का ये दूसरा कदम ईरान को किसी सूरत में पसंद नहीं आएगा.

यूनाइटेड नेशंस हुआ विवश 

अमरीका, जो कि यूनाइटेड नेशंस में वीटोधारी सर्वोच्च शक्तियों में एक है, अपनी इस जिद पर अड़ा हुआ है जिसे मानने के लिए यूनाइटेड नेशंस भी विवश नज़र आ रहा है. इस सिलसिले में अंतर्राष्ट्रीय मीडिया द्वारा सवाल किये जाने पर संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्टीफेन डुजारिक ने कुछ भी बयान देने से परहेज किया है. 

यह मीटिंग पहले से तय थी

यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी कौंसिल की यह मीटिंग काफी पहले से तय थी और तब अमरीका ईरान के बीच किसी तरह का ऊपरी तनाव नज़र नहीं आया था. ईरानी विदेश मंत्री यूएन चार्टर को लेकर होने वाली सीक्योरिटी कौंसिल की इस मीटिंग में हिस्सा लेने के इच्छुक थे. लेकिन अमरीका को उनके आने पर ये डर भी था कि वे यूएन के मंच से सुलेमानी की हत्या के लिए अमेरिका की कड़ी निंदा कर सकते थे और इसका सन्देश दुनिया भर में जाता जो कि अमरीका के लिए स्पष्ट तौर पर मानहानि होती. 

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