कहीं आप केबिन फीवर के शिकार तो नहीं हो रहे?

केबिन फीवर वैसे तो एक आम समस्या नहीं है लेकिन आज के कोरोना-काल में अगर ये एक आम समस्या बन कर उभर रहा है तो हैरानी की भी कोई बात नहीं..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 22, 2020, 09:09 AM IST
    1. लॉकडाउन की आम समस्या है ये
    2. ये है घर घुस्सुओं की आम समस्या
    3. सौ साल पहले सामने आया था यह शब्द
    4. ये लक्षण होते हैं केबिन फीवर के
    5. इस तरह उपचार करें केबिन फीवर का
कहीं आप केबिन फीवर के शिकार तो नहीं हो रहे?

नई दिल्ली: ज़ाहिर है कि आपका देश भी कोरोना से जूझ रहा होगा. अगर ऐसा है तो ये भी ज़ाहिर सी बात है कि आपके देश में भी लॉकडाउन लगाया गया होगा. और अगर लॉकडाउन है तो आपको भी हो सकता है केबिन फीवर और ऐसा होना भी कोई अचरज की बात नहीं होगी.  

लॉकडाउन की आम समस्या है ये

केबिन फीवर का नाम पहले आपने कभी सुना नहीं होगा और इसकी वजह ये है कि लॉकडाउन का नाम भी आपने पहले नहीं सुना था. अब डिक्शनरी में न-मौजूद ये दो शब्द आपके आसपास मौजूद हो सकते हैं और आपकी ज़िन्दगी के मान न मान मैं तेरा मेहमान टाइप के हिस्से के रूप में नज़र आ रहे हो सकते हैं.  गौर कीजिये, कहीं घर पर बैठे-बैठे आप भी तो नहीं हो रहे हैं केबिन फीवर के शिकार!

ये है घर घुस्सुओं की आम समस्या

आज कोरोना के दौर में हर आदमी न चाहते हुए भी घर-घुस्सू होने को मजबूर है. लॉकडाउन के दौरान घर में रहते हुए हर किसी को भांति-भांति की समस्या से दो चार होना पड़ रहा हो सकता है. इन समस्याओं में से एक समस्या केबिन फीवर भी है. ऐसा नहीं है कि ये आज की समस्या है, ये तो बड़ी पुरानी समस्या है लेकिन आज कोरोना के लॉकडाउन वाले माहौल में आम है वरना बड़ी ख़ास होती थी घर में घुसे रहने वाले प्राणियों की समस्या.

सौ साल पहले सामने आया था यह शब्द

आज से लगभग सौ साल पहले अर्थात 1918 में केबिन फीवर नामक शब्द का पहली बार उपयोग किया गया था. कोई नागरिक जब एक लंबे समय तक किसी सीमित स्थान अर्थात घर या कमरे  या केबिन में रहने को मजबूर होता है, तो इस तरह एक लम्बे समय तक स स्थान पर रहना उसके मन मस्तिष्क में  कुछ नकारात्मक भावनाएं पैदा कर देता है जिससे पैदा होने वाली समस्या केबिन फीवर कहलाती है.

ये लक्षण होते हैं केबिन फीवर के

दरअसल, केबिन फीवर एक रोग नहीं बल्कि एक समस्या है जो भावनाओं से जुडी है. इसलिए इसके कारण पैदा होने वाली बीमारियां भी भावनात्मक ही होती हैं. यदि घर के भीतर रहें वाले किसी व्यक्ति को डिप्रेशन के लक्षण दिखने लगें या उसके भीतर जीवन के प्रति उदासीनता, या अकारण बेचैनी या एक आमतौर पर बनी रहने वाली सुस्ती या असफलता की भावना आदि लक्षण दिखने लगें तो समझ लीजिये कि वह व्यक्ति केबिन फीवर का शिकार हो गया है.

इस तरह उपचार करें केबिन फीवर का

केबिन फीवर से उबरने के लिए कोई दवा काम नहीं करने वाली बल्कि आपको अपनी दवा खुद बनना होगा जो कि बहुत आसान भी है. अर्थात कुछ आसान से काम आपको करने होंगे, जैसे कि एक अच्छा सा डेली रूटीन तैयार कर लीजिये और उसका अनुसरण करते हुए स्वयं को व्यस्त रखना शुरू कर दीजिये.

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आम दिनों की तरह स्नान करके व्यायाम करें और फिर तैयार हो कर अच्छा भोजन करें. संगीत सुनें, उपन्यास पढ़ें, टीवी सीरियल्स देखें और दोस्तों से फ़ोन पर बातें करें. इससे बेहतर केबिन फीवर का उपचार नहीं हो सकता.

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