Are Hindu Safe in Bangladesh: चाहे कुछ हो या ना हो लेकिन भारत के पड़ोसी आंख दिखाने से कभी पीछे नहीं हटते. ऐसे में दुश्मन पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है, इसपर भारत की नजर रखना भी बेहद जरूरी हो जाता है. भारत-पाक के बीच तनाव तो चल ही रहा है. लेकिन इस बीच बांग्लादेश की ओर से भी कई बड़े बयान आए, जिससे दोनों देशों में फिलहाल संबंध कुछ बेहतर नहीं हैं. दूसरी ओर बांग्लादेश की पीएम रही शेख हसीना जब से भागकर भारत आई हैं, तब से वहां हिंदुओं के खिलाफ भी अपराध बढ़ा है. अब ऐसे में देखने में आ रहा है कि बांग्लादेश में फिर स्थिति खराब होती जा रही है. बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने इस्तीफा देने की धमकी दी है.
यूनुस ने कहा कि उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा. वह चाहते हैं कि सभी दल उन्हें अपना पूरा समर्थन दें नहीं तो वे इस्तीफा दे देंगे. ऐसे में जब देश में दोबारा माहौल खराब होता दिख रहा है तो वहां अल्पसंख्यों की भी चिंता बढ़ गई है, क्योंकि वहां इस्लामिक पार्टियों द्वारा पहले भी उन्हें निशाना बनाया जा चुका है.
इस्तीफा देने की यूनुस की यह धमकी गुरुवार को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों और एक दिन पहले सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान द्वारा दी गई कड़ी चेतावनी के बाद दी गई है. इस बीच छात्र नेता युवाओं और इस्लामवादियों को ढाका में विरोध प्रदर्शन करने और सेना छावनी तक मार्च करने के लिए लामबंद कर रहे हैं. खासकर शुक्रवार की नमाज के बाद. ऐसा सरकारी विभागों के सूत्रों और सोशल मीडिया पर पोस्ट के अनुसार पता चला है.
दरअसल, देश में सेना प्रमुख के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की चाल है. अब इसे यूनुस के इस्तीफे से जोड़कर देश में माहौल खराब किया जा सकता है. दरअसल, सेना प्रमुख देश में चुनाव कराना चाहते हैं. चुनाव जब भी होंगे तब बांग्लादेश के वास्तविक प्रधानमंत्री के रूप में यूनुस का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा.
अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने से लेकर महिला सुधारों को रोकने और मुजीबुर रहमान के धनमंडी 32 आवास को नष्ट करने तक, छात्रों और इस्लामवादियों की भीड़ ने बांग्लादेश में अपना रास्ता बना लिया है. हर मामले में यूनुस योजना में शामिल नहीं तो चुपचाप सहभागी रहे.
चुनावों में सेना प्रमुख और BNP ने युनुस को घेरा
मोहम्मद युनुस ने धमकी दी है कि अगर पार्टियों ने उन्हें पूरा समर्थन नहीं दिया तो वह इस्तीफा दे देंगे. यह धमकी बीएनपी द्वारा एक दिन के विरोध प्रदर्शन और चुनावों के लिए स्पष्ट रोडमैप की मांग के बाद आई है.
BNP नेता खांडाकर मुशर्रफ हुसैन ने गुरुवार को कहा, 'चुनाव के लिए स्पष्ट रोडमैप की घोषणा करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए.' अंतरिम सरकार के खिलाफ बीएनपी का यह पहला बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन था.
ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन के मेयर के रूप में अपने उम्मीदवार की घोषणा करने की मांग के अलावा, पार्टी ने एनसीपी के करीबी माने जाने वाले यूनुस कैबिनेट के दो सदस्यों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान के इस्तीफे की भी मांग की.
बता दें कि शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग पर राजनीतिक गतिविधियों से प्रतिबंध लगा दिए जाने के बाद, बांग्लादेश में एकमात्र अन्य प्रमुख पार्टी बीएनपी इसे चुनाव जीतने और सत्ता संभालने का अपना स्पष्ट मौका मान रही है.वह चाहती है जल्द चुनाव हों.
दूसरी ओर बांग्लादेश पर नजर रखने वालों का यह मानना है कि यूनुस छात्रों और इस्लामवादी भीड़ का इस्तेमाल अपने हित में कर रहे हैं.
हालांकि यूनुस ने कहा है कि जून 2026 तक चुनाव करा लिए जाएंगे, लेकिन बीएनपी समेत राजनीतिक दलों में बेचैनी बढ़ती जा रही है. यहां तक कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने बुधवार को सख्त चेतावनी दी कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को दिसंबर तक चुनाव कराने होंगे.
यूनुस, बांग्लादेश के छात्र नेता और इस्लामवादी
विशेषज्ञों और टिप्पणीकारों ने आशंका जताई है कि यूनुस जुलाई की घोषणा का इस्तेमाल करके एक नए गणराज्य की घोषणा करके, 1972 के संविधान को निरस्त करके और जनरल जमान को हटाकर सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर सकते हैं.
ऐसी आशंका है कि यूनुस जनरल जमान को हटाने के लिए इस्लामवादी भीड़ और अपने NSA का इस्तेमाल करने की कोशिश कर सकते हैं.
यह अच्छी तरह जानते हुए कि छात्र और इस्लामवादी यूनुस और उनकी मांगों को मनवाने के लिए भीड़ हिंसा का सहारा ले सकते हैं. वहीं जनरल जमान ने कहा कि सेना सार्वजनिक अव्यवस्था पर कड़ा रुख अपनाएगी.
ढाका ट्रिब्यून ने उनके हवाले से कहा, 'जन आंदोलन के नाम पर हिंसा और अराजकता अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी.'
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, छात्र और इस्लामवादी शुक्रवार की नमाज के बाद अन्य क्षेत्रों के अलावा ढाका छावनी और बांग्लादेश सचिवालय तक मार्च करने के लिए प्रदर्शनकारियों को जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.
बांग्लादेश का हाल
अगस्त 2024 में यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश में कानून और व्यवस्था के बिगड़ने से उपद्रवी और कुछ राजनीतिक दलों के समर्थक धमकी और हत्या जैसे आपराधिक कृत्यों में शामिल हो गए. यह अराजकता पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपदस्थ किये जाने के बाद उत्पन्न हुई, जिसमें पुलिस बल अव्यवस्थित हो गया तथा व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को आगे आना पड़ा. इस दौरान हिंदुओं के साथ अत्याचार हुआ. भारत सरकार ने भी इसमें हस्ताक्षेप किया. क्या अब जो स्थिति बिगड़ रही है, उसमें फिर किसी साजिश के तहत अल्पसंख्यों को निशाना बनाया जाएगा?
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