बांग्लादेश के लिए 'पनौती' है चीन! क्या यूनुस को भी निगल जाएगा ड्रैगन का 'मायाजाल'?

Bangladesh Muhammad Yunus Close with China: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस की कुर्सी खतरे में पड़ चुकी है. आर्मी चीफ उन पर चुनाव कराने का दबाव बना रहे हैं. ये एक इत्तेफाक ही है कि चीन दौरे से लौटने के एक महीने बाद ही देश की पूरी सियासी बिसात पलट चुकी है. ठीक ऐसा ही खिलादा जिया और शेख हसीना के साथ हुआ था.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : May 23, 2025, 05:43 PM IST
  • मोहम्मद यूनुस शुरू से ही चीन के पक्ष में रहे
  • अब आर्मी ने कह दिया कि चुनाव करवाओ
बांग्लादेश के लिए 'पनौती' है चीन! क्या यूनुस को भी निगल जाएगा ड्रैगन का 'मायाजाल'?

Bangladesh Muhammad Yunus Close with China: 'हर बार शख्स खुद ठोकर खाकर सीखे, ये जरूरी नहीं. कई बार दूसरों को ठोकर खाते देख भी संभल जाता है.', किसी समझदार शख्स ने ये बात कही होगी, इसकी पालना करने वाले भी समझदार ही होंगे. लेकिन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने इस कहावत को नहीं जाना, तभी तो चीन के मायाजाल में फंसे गए और सबकुछ गंवाने की नौबत आ खड़ी हुई. ठीक वैसी ही स्थिति बन गई है, जैसी खालिदा जिया और शेख हसीना के साथ बनी.

आर्मी चीफ कह चुके- चुनाव करवाओ
पहले तो मोहम्मद यूनुस पर चुनाव कराने का दबाव बना, जिसके बाद वह इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं. बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने यूनुस को साफ शब्दों चुनाव कराने के लिए कहा है. वकार ने कहा है कि यूनुस सैन्य मामलों में दखल देना बंद करें और तुरंत चुनाव कराएं. ये इत्तेफाक ही है कि यूनुस की चीन यात्रा के एक महीने के बाद ही उनकी कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है.

बांग्लादेश के सियासी इतिहास के दो किस्से
बांग्लादेश का सियासी इतिहास कहता है कि जब-जब देश के मुखिया ने चीन से करीबी बढ़ाई है, तब-तब उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ा है. यूनुस से पहले इस सियासी अपशकुन का शिकार खालिदा जिया और शेख हसीना भी हो चुके हैं. सियासी इतिहास को देखकर भी यूनुस ने कोई सबक नहीं लिया. चलिए, जानते हैं कि बांग्लादेश के प्रमुखों के लिए चीन इससे पहले कब पनौती साबित हुआ...

खालिदा जिया: ये वाकया 2005 का है, खालिदा जिया बांग्लादेश की पीएम हुआ करती थीं. तब उनकी करीबियां चीन से बढ़ रही थीं. वे चीन से व्यापार और रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए यात्रा पर गईं. लौटीं तो देश में आंदोलन हो रहा था, विपक्ष उन्हें कुर्सी से हटाने के लिए आमादा हो चुका था. आखिरकार साल 2006 में उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी. खालिदा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, छवि ऐसी खराब हुई कि फिर लौट ही ना सकीं.

शेख हसीना: खालिदा जिया जैसा ही किस्सा शेख हसीना के साथ हुआ. हसीना ने साल 2024 में चीन की यात्रा की थी. वहां जाकर उन्होंने BRI के तहत होने वाले कई प्रोजेक्ट्स पर ठप्पा लगाया. तब ये आरोप भी लगे कि बांग्लादेश की हसीना सरकार चीन के कहे पर चल रही है. संयोग था कि इसी बीच देश का विपक्ष एकजुट हो गया, छात्र आंदोलन खड़ा हो गया और आखिर में हसीना को ना सिर्फ सत्ता छोड़नी पड़ी, बल्कि मुल्क से भी निकलना पड़ा.

क्या मोहम्मद यूनुस की बारी आ गई?
मोहम्मद यूनुस शुरू से ही चीन के पक्ष में रहे हैं. भारत को लेकर ना सिर्फ उन्होंने विवादित बयान दिए, बल्कि उनके हाल के कदम उन्हें सीधे तौर पर भारत विरोधी बनाते हैं. भारत से दुश्मनी मोल लेकर यूनुस चीन की शरण में गए, लेकिन लौटने के बाद से ही उनकी कुर्सी डगमग कर रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का यही कहना है कि यूनुस गिनती के दिनों के हैं, उनकी भी सत्ता से विदाई हो जाएगी.

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