बांग्लादेश की सत्ता से जबसे शेख हसीना हटी हैं, तभी से बांग्लादेश के सुर भारत को लेकर बदले हैं. हाल ही में यूनुस सरकार ने कई भारत विरोधी बयान दिए. जिसमें सेवन सिस्टर्स स्टेट से लेकर बंगाल की खाड़ी तक के बयान शामिल थे. इस बीच, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर भी हमले बढ़ गए. जिसको लेकर भारत ने कई बार फटकार लगाया. अब खबर है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर ब्रिटेन के कई कंज़र्वेटिव सांसदों ने गंभीर चिंता जताई है. लंदन में वेस्टमिंस्टर में 'Conservative Friends of Bangladesh' की बैठक में सांसदों ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को चेतावनी दी कि यदि हिंसा नहीं रुकी, तो उसे अंतरराष्ट्रीय नतीजों का सामना करना होगा.
हिंदूओं पर हमलों को लेकर जाहिर की चिंता
IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के वेस्टमिंस्टर में ‘Conservative Friends of Bangladesh’ की बैठक में बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर चर्चा हुई. बैठक में सांसदों ने कहा कि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं, पर लगातार हमले हो रहे हैं और देश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है.
बैठक की अध्यक्षता लॉर्ड जोनाथन पी. मारलैंड ने की. सांसद बॉब ब्लैकमैन, रिचर्ड फुलर और गैरेथ बेकन ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर चिंता जताई और कहा कि यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के खिलाफ है. उन्होंने सरकार से अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने और जल्द चुनाव कराने की मांग की.
ब्रिटिश सांसदों ने अपने बयान में क्या कहा?
सांसद ब्लैकमैन ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों को रोज़ाना धमकियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने एक स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव की मांग की, जो सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दे सके.
रिचर्ड फुलर ने कहा कि बांग्लादेश अंतरिम सरकार के तहत देश की स्थिति बेहद नाज़ुक है और ब्रिटिश सरकार को बांग्लादेशी अधिकारियों के साथ मिलकर लोकतांत्रिक सुधारों की दिशा में काम करना चाहिए. वहीं, गैरेथ बेकन ने राजनीतिक अस्थिरता की ओर इशारा करते हुए सभी हितधारकों से स्थिति को स्थिर करने की अपील की.
अर्थव्यवस्था भी चरमराई, चुनाव की मांग तेज
बैठक में बांग्लादेश की चरमराती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी पर भी चर्चा हुई. सांसदों ने कहा कि राजनीतिक अस्थिरता के कारण निवेश रुक गया है और आम जनता संकट में है.
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की लंदन से ढाका वापसी की उम्मीद है, जिसके बाद चुनाव को लेकर माहौल और गर्म हो सकता है. यूनुस सरकार अब तक 2025 के अंत या 2026 के शुरुआती महीनों में चुनाव कराने की बात कह चुकी है, लेकिन विपक्ष और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी जल्द चुनाव की मांग कर रहे हैं.
Truth and Reconciliation Commission की सलाह
ब्रिटिश लॉर्ड एलेक्स कार्लाइल ने ब्रिटिश संसद में हुए एक अन्य सेमिनार में बांग्लादेश सरकार को चेताया कि पूर्ववर्ती सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्याय बनाना राजनीतिक प्रतिशोध का साधन बन सकता है.
उन्होंने सुझाव दिया कि बांग्लादेश को न्याय और मेल-मिलाप (Truth and Reconciliation) की प्रक्रिया अपनानी चाहिए ताकि देश में स्थिरता और एकता आ सके. किंग्स काउंसल जॉन कैममेघ ने भी कहा कि अब समय है जब राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्रीकरण को प्राथमिकता दी जाए.
भारत ने भी लगाई थी फटकार
भारत ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर कड़ी आपत्ति जताई थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ढाका की ओर से पश्चिम बंगाल की घटनाओं का हवाला देना एक चालाकी भरा प्रयास है, जो अपनी समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए किया गया.
भारत ने बांग्लादेश सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि उन्हें अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए न कि दूसरों पर आरोप लगाने चाहिए. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर 138 हमले हुए, जिनमें 368 घर क्षतिग्रस्त हुए और दर्जनों लोग घायल हुए.
ये भी पढ़ें- पुतिन नहीं मानने वाले ट्रंप की बात, नए प्रस्ताव को भी ठुकराया! 7 पॉइंट में समझें क्या था प्रपोजल?
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.