Indian Defence: भारत सरकार देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई ठोस कदम उठा रही है, जिससे विदेशी निर्यातों पर निर्भर रहने की जरूरत न पड़े. यही कारण रहा कि भारतीय सेना की तोपखाने (आर्टिलरी) के आधुनिकीकरण की राह में, कई बार विदेशी रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार के कारण रुकावटें आईं, लेकिन अब स्वदेशी तोपों ने इस संकट का समाधान निकाल लिया है. ये भारतीय तोपें पहले ही मिडिल ईस्ट और अमेरिका में अपना दमखम दिखा चुकी हैं और अब भारतीय सेना का हिस्सा बनने जा रही हैं.
जिसके लिए भारत सरकार ने देश की दो कंपनियों के साथ बड़ी डील की है. जिससे न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि दुश्मनों को देसी सुरक्षा उपकरण अपना दमखम दिखाएंगी.
₹7,000 करोड़ की डील को मिली मंजूरी
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की ₹7,000 करोड़ की डील को मंजूरी दे दी है. अगले हफ्ते इस सौदे पर आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर होंगे. इसे देश की दो बड़ी कंपनियां, भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स मिलकर तैयार करेंगे.
इस डील के तहत भारतीय सेना के लिए, कुल 307 तोपें और 327 टोइंग वाहन खरीदे जाएंगे, जिनमें से 60% भारत फोर्ज को और 40% टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स को बनाने की जिम्मेदारी दी गई है.
मिडिल ईस्ट और US से पहले ही मिले ऑर्डर
इससे पहले, भारतीय तोपों को मिडिल ईस्ट के देश सऊदी अरब और अमेरिका में ऑर्डर मिल चुके हैं. भारत फोर्ज ने अपनी रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया कि यह ऑर्डर किसी 'नॉन-कॉन्फ्लिक्ट जोन' के लिए है और इसे अगले तीन वर्षों में पूरा किया जाएगा.
वहीं IDEX 2025 में अमेरिका के साथ माउंटेड, टोव्ड और अल्ट्रा-लाइट गन सिस्टम की आपूर्ति के लिए एक समझौता हुआ है. इसमें 105mm और 155mm कैलिबर की तोपें अमेरिका को दी जाएंगी.
ATAGS को अपनाने में हुई देरी
रिपोर्ट की मानें तो भारतीय सेना के लिए इन तोपों को अपनाने का फैसला काफी देर से आया. साल 1999 में बनी फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्लान (FARP) के तहत साल 2027 तक 2,800 155mm तोपें खरीदने की प्लानिंग थी. वहीं 2023 की कैग रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना पिछले 24 साल में, साल 2023 तक अपनी निर्धारित तोपों का सिर्फ 8% ही खरीद पाई.
भारतीय सेना के आर्टिलरी महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल आदोश कुमार ने कहा कि भारतीय सेना, रूस-यूक्रेन युद्ध से सप्लाई चेन में आई रुकावटों को दूर करने और तोपों के मीडियमाइजेशन पर ध्यान दे रही है. जिसके तहत साल 2042 तक, भारतीय सेना की सभी तोपें 155mm कैलिबर की होंगी.
भारतीय सेना में शामिल प्रमुख तोपें
भारतीय सेना में पहले से ही कई तोपें अपना दमखम दिखा रही हैं. जिसमें 155mm/45 कैलिबर धनुष शामिल है. जो गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर द्वारा निर्मित पहली स्वदेशी भारतीय तोप थी. यह बोफोर्स तोप का एक इलेक्ट्रॉनिक अपग्रेडेड वर्जन है. जिसको लेकर 114 तोपों का ऑर्डर दिया गया है, भविष्य में 400 तोपें और शामिल करने की योजना है.
वहीं 155mm/45 कैलिबर शरंग भी सेना की प्रमुख तोपों में शामिल है. भारतीय सेना में पहले से ही 100 की संख्या में 155mm/52 कैलिबर K-9 वज्र तोपें शामिल हैं, आने वाले समय में 100 के करीब K-9 वज्र तोपें और जोड़ी जाएंगी. जिसकी मारक क्षमता 28-38 किमी तक है, जो चीनी सीमा पर तैनाती के लिए बेस्ट ऑप्शन है.
ऐसे में, स्वदेशी तोपों का भारतीय सेना में शामिल होना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होने जा रहा है. इन तोपों को पहले ही, विदेशी बाजारों में सफलता मिल चुकी है, जिसकी अब भारतीय सेना में भी तैनाती होने जा रही है. इस कदम से न केवल स्वेदेशी हथियारों की गूंज दुनिया में गूंजेगी बल्कि डिफेंस के क्षेत्र में एक बड़ा इंडियन मार्केट बनाने में मददगार साबित होगी.
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