नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को हुए कुछ दिन हो गए हैं, लेकिन दुनियाभर में अब भी लगातार इसे लेकर चर्चा चल रही है. सीजफायर पर कई तरह की अटकलें सुनने को मिलने लगी है. हालांकि, अब हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर 10 मई की रात को हुआ क्या था. इस दिन सबसे पहले तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रुक चुका है, साथ ही इसका पूरा श्रेय उन्होंने ट्रंप प्रशासन को दे दिया.
शहबाद शरीफ ने किया था ट्रंप का शुक्रिया अदा
ट्रंप के ऐलान के बाद पाकिस्तान भी अमेरिका का दामन थाम ट्रंप के पीछे खड़ा हो गया. पाकिस्तान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने युद्धविराम के लिए डोनाल्ड ट्रंप का शुक्रिया अदा किया. वहीं, अब ऐसा लग रहा है कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान ये बढ़ती नजदीकी उसके दोस्त चीन को बिल्कुल पसंद नहीं आ रही है. दूसरी ओर भारत ने कभी ट्रंप के दावे पर स्वीकृति नहीं जताई. कोई चाहे कितना भी सीजफायर का क्रेडिट ले, लेकिन भारत ने शुरुआत से ही साफ कहा है कि दोनों देशों के DGMO की बातचीत के बाद युद्धविराम का फैसला लिया गया था.
भारत ने नकार दी अमेरिका की बात
10 मई को विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया था कि सीजफायर के लिए पाकिस्तान के DGMO की तरफ से कॉल किया गया था. इसके बाद बीते मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के उस दावे को भी सिरे से नकार दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि व्यापार की धमकी देकर उन्होंने दोनों देशों को सीजफायर के लिए राजी कराया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव पर हुई बातचीत के दौरान अमेरिका से व्यापार को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई.
चीन को नहीं रास आई पाक की ये हरकत
दूसरी ओर अमेरिका के दावे में पाकिस्तान ने जिस तरह बेवजह एंट्री ली वो उसके करीबी दोस्त चीन को बिल्कुल रास नहीं आया. रिपोर्ट्स की मानें तो भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम पर ट्रंप की घोषणा और इसका पूरा क्रेडिट ट्रंप प्रशासन के लेने से चीन काफी नाराज हो गया है. दरअसल, चीन खुद को वैश्विक शांति में मध्यस्त के तौर पर पेश करना चाहता था, लेकिन अमेरिका ने सीजफायर का ऐलान कर बाजी मार ली और चीन की योजनाएं धरी की धरी रह गईं.
पाकिस्तान से नाराज है चीन
रक्षा हलको के मुताबिक, एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की इस बात से चीन नाराज हो गया कि इस्लामाबाद ने वॉशिंगटन से तो संपर्क किया, लेकिन बीजिंग से कोई चर्चा नहीं की. वहीं, चीन और अमेरिका दोनों ही इस्लामाबाद में अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं, ऐसे में पाकिस्तान की ये हरकत चीन को बिल्कुल पसंद नहीं आई.
बीजिंग ने किया पाक का खुलेतौर पर समर्थन
कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारत के साथ सीजफायर के बाद पाक के विदेश मंत्रालय ने बीजिंग में कॉल किया और पूरी जानकारी दी गई. ऐसे में बीजिंग ने खुले तौर पर पाकिस्तान का समर्थन करने की बात की. इसके कुछ ही देर बाद पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर का उल्लंघन होने की खबरें सामने आईं.
पाक ने बनाया था प्लान
इसके बाद चीन की ओर से एक बयान जारी किया गया, जिसमें बताया कि विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बात की है. वहीं, इसके कुछ ही देर बाद भारत पर ड्रोन हमले रुक गए. ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान ने जानबूझकर एक प्लान के तहत यह सब किया था, ताकि वह चीन को संतुष्ट कर सके.
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