नई दिल्लीः चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी आज यानी की 1 जुलाई को अपनी स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मना रही है. इस मौके पर चीन में कई जगहों पर कार्यक्रम हो रहे हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी लोगों को संबोधित किया है. बता दें कि 1921 में इसी दिन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की स्थापना हुई थी. एक लंबे गृहयुद्ध के बाद ये पार्टी चीन की सत्ता में काबिज हुई थी. आज कम्युनिस्ट पार्टी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और यह भारत की भारतीय जनता पार्टी (BJP) की आधी है.
1921 से सत्ता में है सीपीसी
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2019 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में करीब 9.2 करोड़ सदस्य थे. यह पार्टी चीन में 1949 के बाद ले लगातार शासन करती आ रही है. इस बात में कोई शक नहीं है कि चीन जो कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है, वहां कम्युनिस्ट पार्टी ने देश के लोगों के लिए कई शानदार काम किए हैं. उसने अपनी एक बड़ी आबादी को गरीबी से बाहर निकाला है. कम्युनिस्ट पार्टी की सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने अपने देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में मदद की है.
लेकिन कुछ सवाल भीतर भी और बाहर भी
इसमें तो कोई शक नहीं है कि चीन ने आर्थिक विकास के कई प्रतिमान गढ़ें हैं लेकिन इस बात में भी कोई शक नहीं है कि उसने अपने यहां लोगों के सामाजिक और लोकतांत्रिक मूल्यों का गला घोटा है. उसकी विस्तारवादी नीतियों की आलोचना पूरी दुनिया में हो रही है. आलम ये है कि चीन के नागरिक खुली आवाज में कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना नहीं कर सकते हैं. लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं. यही कारण है कि वहां के युवाओं में भी अब असंतोष बढ़ने लगा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना बढ़ने लगी है.
चीन के अत्याचार की कहानी भले ही दुनिया में सामने नहीं आती है, क्योंकि उसने अपने यहां कई तरह की पाबंदी लगाई है, लेकिन थियानमेन चौक की उस घटना को भला कौन भूल सकता है जब हजारों छात्रों का कत्लेआम किया गया था.
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इस मौके पर जिनपिंग क्या बोले
गुरुवार सुबह से ही चीन में कई तरह के समारोह हो रहे हैं. सेना के विमान और तोपों की सलामी के बीच देशभक्ति के गीत गाए जा रहे हैं.चीन के इतिहास पर रोशनी डालने के लिए मीडिया की चमक धमक का सहारा भी लिया जा रहा है. वहीं, राष्ट्रपति शी ने भी देश को संबोधित करते हुए अपने भाषण में कहा कि केवल समाजवाद ही चीन को बचा सकता है. उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी चीन के विकास की कहानी का केंद्र रही है और इसे वहां लोगों से अलग करके दिखाने का प्रयास "विफल" होगा.
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बता दें कि शी जिनपिंग 2012 से ही राष्ट्रपति पद पर काबिज हैं और दबी जुबान में ये भी आवाज उठने लगी है कि आखिर कबतक जिनपिंग सत्ता में रहेंगे. क्योंकि अबतक उन्होंने अपना कोई उत्तराधिकारी भी नहीं चुना है.
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