नई दिल्ली.   एक रिपोर्ट से हुए इस खुलासे के अनुसार चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध के निर्माण का निर्णय लिया है. इस निर्णय पर अमल के पूर्व ही ब्रह्मपुत्र नदी के दूसरे छोर पर भारत और बांग्लादेश की चिंता बढ़ गई है. और यह चिंता पुल निर्माण के माध्यम से इन दोनों राष्ट्रों पर चीन के द्वारा पैदा किये जा रहे जल संकट के सर पर मंडराने से जुड़ी है. 


चीन ने खारिज की आपत्तियां 


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चीन के पुराने इतिहास को देखते हुए उसके जैसे विषैले इरादे वाले देश की किसी भी बात और किसी भी वादे पर विश्वास नहीं किया जा सकता. ऐसे में चीन द्वारा भारत और बांग्लादेश की सामरिक चिंताओं का खारिज किया जाना विश्वास करने योग्य बात नहीं है. चूंकि ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश से होकर गुजरती है. ऐसे में बांध निर्माण का प्रस्ताव दोनों देशों के लिए चिंता बढ़ाने वाला समाचार है. 


तिब्बत से निकलने वाली यारलुंग जांगबो नदी अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है तो सियांग नदी के नाम से जानी जाने लगती है. जब यही सियांग नदी अरुणाचल से असम पहुंचती है तो इसका नाम ब्रह्मपुत्र हो जाता है.  असम से आगे बहती हुई ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है. 


 


अगले साल शुरू होगा काम 


ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के द्वारा बांध निर्माण के निर्णय से जुड़ी रिपोर्ट ने बताया है कि बांध निर्माण का कार्य नए साल में प्रारम्भ होने जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़े बांध का निर्माण करने वाला है. चीन में वर्ष 2021 में शुरू हो रही 14वीं पंचवर्षीय योजना के अमल के दौरान इस महत्वपूर्ण योजना को अंजाम दिए जाने को लेकर लाये गए एक प्रस्ताव पर विचार किया जा चुका है.


ऐसा कहा जा रहा है कि ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन का प्रस्तावित बांध साल 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा. कहने को तो चीन पनबिजली के लिए डैम बना रहा है लेकिन सच तो यही है कि वो इसके जरिए सूखा लाने वाली साजिश रच रहा है. ऐसे में साफ है कि ड्रैगन के साजिश वाले इस डैम प्रोजेक्ट की वजह से चीन-भारत के बीच तनातनी का नया दौर भी शुरू हो जाएगा. 


ग्लोबल टाइम्स की है ये रिपोर्ट 


ग्लोबल टाइम्स अर्थात चीन की आधिकारिक मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में इस जानकारी का खुलासा किया है. इस रिपोर्ट में बांध बनाने का जिम्मा प्राप्त कर चुकी एक चीनी कंपनी के प्रमुख के हवाले से यह जानकारी सामने आई है. ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना नामक कम्पनी के अध्यक्ष यांग जियोंग ने कहा कि चीन ''यारलुंग ज़ंग्बो नदी (ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम) के निचले हिस्से में जलविद्युत उपयोग परियोजना शुरू करने जा रहा है. इस परियोजना का उद्देश्य चीन के जल संसाधनों और घरेलू सुरक्षा को सशक्त करना है. 


ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि तिब्बत के मेडोग काउंटी में डैम बनने वाला है.  अखबार का कहना है कि ये डैम बिजली पैदा करने के लिए बनाया जाने वाला है.   साथ ही ये डैम, चीन के थ्री जॉर्ज बांध से तीन गुना ज्यादा पनबिजली पैदा करेगा.  चीन में जो थ्री जॉर्ज बांध है, वो दुनिया का सबसे बड़ा डैम है. अगर इस डैम से पैदा होने वाली बिजली से तीन गुना ज्यादा पनबिजली पैदा करने के मकसद से चीन, तिब्बत में डैम बनाने वाला है तो इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये डैम कितना विशाल होगा. 


भारत बांग्लादेश होंगे प्रभावित 


अरुणाचल प्रदेश के बिल्कुल करीब तिब्बत में बड़ा-सा डैम बनाने का मतलब है कि चीन भारी मात्रा में पानी को रोक देगा और पानी का बहाव कम होगा तो इसका सीधा असर पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में खेती-किसानी से लेकर मछलीपालन पर पड़ेगा.  नॉर्थ-ईस्ट और बांग्लादेश में सूखे जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी और रोजी-रोटी का संकट भी पैदा हो जाएगा.  ब्रह्मपुत्र नदी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ बांग्लादेश के लिए लाइफलाइन की तरह है.  ब्रह्मपुत्र नदी इन दोनों देशों की एक बड़ी आबादी के जीवन का आधार तो है ही, साथ ही उनकी आजीविका भी इसी नदी पर निर्भर है. इसी वजह से चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर डैम वाली साजिश रची है. 


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