चीन ने तीसरे एयरक्राफ्ट करियर को प्रैक्टिस के लिए उतारा, इंडिया-अमेरिका की बढ़ाएगा टेंशन!

चीन की नौसेना ने अपने तीसरे विमान वाहक युद्धपोत शैनडांग को एक बार फिर समुद्र की लहरों में उतार दिया है. 17 दिसम्बर 2019 को शैनडांग युद्ध पोत को समुद्र में उतारा गया था लेकिन तब कोरोना से चीन में मचे हाहाकार के चलते इस युद्धपोत के ट्रायल और प्रैक्टिस को रोक दिया गया था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 30, 2020, 02:29 PM IST
    • क्या है शैनडांग एयरक्राफ्ट कैरियर की ताकत
    • इसलिए भारत से डरता है चीन
    • किस देश से कितना तेल खरीदता है चीन
    • भारत की स्थिति क्यों है मजबूत
    • भारत के दोस्त भी हैं चीन की मुसीबत
चीन ने तीसरे एयरक्राफ्ट करियर को प्रैक्टिस के लिए उतारा, इंडिया-अमेरिका की बढ़ाएगा टेंशन!

नई दिल्ली: पूरी तरह से चीन में ही बनकर तैयार हुआ शैनडांग चीन का तीसरा विमान वाहन युद्ध पोत है. चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि वो शैनडांग पोत पर तैनात हथियारों को भी टेस्ट करेगा. इसके साथ ही युद्ध पोत के क्रू को भी ट्रेनिंग की दा रही है जिसमें युद्ध के हालात में विमान वाहक पोत और हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग भी शामिल है.

क्या है शैनडांग एयरक्राफ्ट कैरियर की ताकत

शैनडांग एयरक्राफ्ट कैरियर पर 50 लड़ाकू विमान तैनात हैं जिनमें 36 जे-15 शामिल हैं. इसके अलावा शैनडांग पर 8 जेड-18 और 4 हरबिन जेड-9 लड़ाकू विमान तैनात हैं. ये एयरक्राफ्ट करियर समुद्र की लहरों को 57 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चीरते हुए आगे बढ़ने में सक्षम है. इस युद्धपोत पर 3 सीआईडब्ल्यूएस 1130 गन लगी हुई हैं. इसके अलावा इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी तैनात हैं.

चीन के पास करीब 14,500 किलोमीटर लम्बी समुद्री सीमा है और चीन अपने विमान वाहक युद्धपोतों के जरिए दक्षिण चीन सागर के देशों को डराने की रणनीति पर पहले ही काम कर रहा है. इसके अलावा चीन की पूरी कोशिश है कि वो भारत पर भी दबाव बना सके जिसके पास अभी आईएनएस विक्रमादित्य के रूप में सिर्फ एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर है.

भारत की समुद्री सीमा करीब 7516 किलोमीटर लम्बी है और हिन्द महासागर में भारत सबसे बड़ी नेवी शक्ति है. भारत की इसी ताकत को चीन कम करना चाहता है इसीलिए वो लगातार अपनी नेवी की क्षमता को बढ़ा रहा है. अब चीन एशिया में एकमात्र देश है जिसके पास तीन एयरक्राफ्ट कैरियर हैं.

इसलिए भारत से डरता है चीन

जानकारों की मानें तो चीन को समुद्री लड़ाई में किसी एक देश का खौफ है तो वो है भारत क्योंकि चीन तक कच्चा तेल पहुंचने का रास्ता हिन्द महासागर से होकर गुजरता है. हिन्द महासागर में भारत की विशाल नेवी युद्ध की स्थिति में चीन की ऑयल सप्लाई लाइन को पूरी तरह काटने की क्षमता रखती है. यदि सप्लाई लाइन कटी तो चीन की नेवी और उसके उद्योग घुटनों पर आ जाएंगे. 

यही कारण है कि चीन ने मालदीव और श्रीलंका में बंदरगाह बनाकर इंडियन नेवी के वर्चस्व को तोड़ने की कोशिश की थी मगर प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों के चलते चीन अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाया.

किस देश से कितना तेल खरीदता है चीन

चीन अपनी तेल की जरूरतों के लिए कई देशों पर निर्भर है जिनमें सउदी अरब, रूस, ईराक और अंगोला सबसे बड़े निर्यातक हैं. इसके अलावा ब्राजील, ब्रिटेन और ओमान के साथ ही संयुक्त अरब अमीरात से भी चीन कच्चा तेल खरीदता है.

भारत की स्थिति क्यों है मजबूत

चीन अपने कच्चे तेल का 50 फीसदी से ज्यादा अफ्रीका, यूरोप और खाड़ी देशों से आयात करता है. चीन के जहाजों के चीन तक पहुंचने का सबसे छोटा रास्ता मलक्का जलडमरूमध्य यानि मलक्का स्ट्रेट से होकर गुजरता है. मलक्का स्ट्रेल भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह के बेहद करीब है इसलिए भारत चीन के जहाजों का रास्ता आसानी से रोक सकता है. इसके अलावा भारत चीन के जहाजों को लक्षद्वीप के करीब भी रोक सकता है जिससे चीन परेशान है.

भारत के दोस्त भी हैं चीन की मुसीबत

दक्षिण चीन सागर में मौजूद कच्चे तेल के भंडारों पर चीन की लम्बे वक्त से नजर है लेकिन यहां चीन की मुसीबत बने हुए हैं. वियतनाम, कम्बोडिया और जापान सरीखे देश जो दक्षिण चीन सागर के टापुओं पर अपना अधिकार बताते हैं. युद्ध की स्थिति में ये देश भी चीन की सप्लाई लाइन को काट सकते हैं जिसके बाद चीन के पास तेल आयात करने का एकमात्र रास्ता इंडोनेशिया से होकर फिलीपीन्स के करीब से चीन तक पहुंचने का बचेगा.

अमेरिका भी है चीन की मुसीबत

फिलहाल ताइवान के करीब चीन की नौसेना महाभ्यास में जुटी है जिसमें चीन की एयरफोर्स और आर्मी भी शामिल हो रही है. ताइवान पर मंडरा रहे इस खतरे को देखते हुए अमेरिका ने अपने युद्धपोतों को दक्षिण चीन सागर में तैनात कर दिया है ताकि चीन की तरफ से ताइवान पर कब्जे की जरा सी भी कोशिश हो तो उसे तुरंत नाकाम किया जा सके. अगर चीन फिलीपीन्स के रास्ते कच्चा तेल ले जाने की कोशिश करता है तो वहां तैनात अमेरिका का सातवां बेड़ा या सेवन्थ फ्लीट चीन की सप्लाई लाइन को काटने में सक्षम है. साथ ही अपने प्रशांत महासागर में तैनात समुद्री बेड़े के बूते अमेरिका चीन को पस्त करने में भी सक्षम है.

कैसे चीन के लिए सिरदर्द है अमेरिका का सातवां बेड़ा

प्रशांत महासागर में तैनात अमेरिका के सातवें बेड़े में किसी भी वक्त 50 युद्धपोत तैनात रहते हैं जिनमें विमान वाहकर युद्धपोत भी शामिल हैं. सेवन्थ फ्लीट में करीब 150 लड़ाकू विमान और 20 हजार नौसैनिक हर वक्त मुस्तैद रहते हैं. इसके अलावा 20 पनडुब्बियां यानि सबमरीन भी सातवें बेड़े में तैनात हैं जो दुश्मन को बिना नजर आए उसके जहाजों को नेस्तानाबूत कर सकती हैं.

चीन के लिए कितना बड़ा खतरा है भारतीय नौसेना

भारतीय नौसेना यानी इंडियन नेवी के पास 15 से ज्यादा सबमरीन हैं, जिनमें से आईएनएस अरिहंत और आईएनएस चक्र एटॉमिक एनर्जी से चलने वाली हैं. ये पनडुब्बियां चीन के कच्चे तेल से लदे जहाजों को कहीं भी ध्वस्त कर सकती हैं. भारतीय नौसेना के पास 137 युद्धपोत हैं जो दुनिया की किसी भी नेवी का मुकाबला करने में सक्षम हैं. 67 हजार से ज्यादा एक्टिव जवान और 50 हजार से ज्यादा रिजर्व जवान भारतीय नेवी की ताकत को मजबूती देते हैं. भारत को 2021 में दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत भी मिलने वाला है जो चीन की परेशानियों को और भी बढ़ा देगा.

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