चालबाज चीन की एक और चाल; ड्रैगन करवा रहा समुद्र तल की मैपिंग, कहीं भारत की जासूसी तो नहीं कर रहा?

China mapping news: चीन अपने गहरे समुद्र में तमाम प्रयासों का तेजी से विस्तार कर रहा है. चीन अनुसंधान जहाजों के बेड़े को अपने तटों से काफी बहुत दूर तक भेज रहा है. वहीं, बीजिंग का दावा है कि ये मिशन पूरी तरह से वैज्ञानिक हैं, लेकिन वह जो डेटा इकट्ठा कर रहा है उसका सैन्य महत्व बहुत अधिक है, जिससे अमेरिका, भारत, जापान और अन्य देशों में चिंता बढ़ गई है.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Mar 22, 2025, 01:32 PM IST
चालबाज चीन की एक और चाल; ड्रैगन करवा रहा समुद्र तल की मैपिंग, कहीं भारत की जासूसी तो नहीं कर रहा?

China mapping seabed: गहरे समुद्र में चीन की शोध की कोशिश लहरें पैदा कर रही है. हमारे कहने का मतलब है कि ये प्रयास चिंता और गंभीर खतरे का संकेत हो सकता है. चीन अपने शोध जहाजों का बेड़ा लगातार बढ़ा रहा है. ये जहाज एक तरह से समुद्र तल की छानबीन कर रहे हैं और भारी मात्रा में डेटा एकत्र कर रहे हैं.

वहीं, बीजिंग इस बात पर जोर दे रहा है कि ये मिशन पूरी तरह से वैज्ञानिक हैं, लेकिन कई लोगों को संदेह है कि सतह के नीचे कोई सैन्य एजेंडा है. साथ ही चीन जो डेटा इकट्ठा कर रहा है उसका सैन्य महत्व बहुत अधिक है,

भारत, जापान और अमेरिका सभी ने चिंता व्यक्त की है, लेकिन तब भी चीन के मिशन नहीं रुके हैं. दरअसल, चीन जो समुद्र तल के नक्शे तैयार कर रहा है, वह पनडुब्बी युद्ध के लिए गेम-चेंजर हो सकते हैं, जो दुश्मन की पनडुब्बियों का अधिक प्रभावी ढंग से पता लगाने, उनसे बचने या उनका मुकाबला करने की क्षमता प्रदान करते हैं.

सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में चाइना पावर प्रोजेक्ट के सीनियर फेलो मैथ्यू फुनायोल कहते हैं, 'अगर उस डेटा का चीनी सेना के लिए कुछ मूल्य हो सकता है और वे उस तक पहुंच चाहते हैं, तो वे इसे प्राप्त करने जा रहे हैं. कोई फायरवॉल नहीं है.'

समुद्र तल क्यों मायने रखता है?
आधुनिक युद्ध में समुद्र तल के आकार और संरचना को समझना महत्वपूर्ण है. पनडुब्बियां दुश्मन की नजर से बचने के लिए पानी के नीचे की टोपोग्राफी और साउंडस्केप पर निर्भर करती हैं. पानी की लवणता, तापमान और गहराई में होने वाले हल्के बदलाव भी तरंगों के यात्रा करने के तरीके को प्रभावित करते हैं, जिससे नौसेना की संपत्तियां उजागर हो सकती हैं.

येल विश्वविद्यालय के पॉल त्साई चाइना सेंटर के वरिष्ठ शोध विद्वान पीटर डटन कहते हैं, 'समुद्र के अलग-अलग हिस्सों में ध्वनि अलग-अलग तरीके से यात्रा करती है, इसलिए ध्वनिकी को समझने के लिए समुद्र की रूपरेखा को समझना महत्वपूर्ण है.'

रणनीतिक लाभ के लिए समुद्री सर्वेक्षण का उपयोग करने वाला चीन अकेला नहीं है. अमेरिकी नौसेना भी समुद्र तल का मैप तैयार करती है, लेकिन विश्लेषकों का तर्क है कि अमेरिकी सैन्य प्रयास चीन के नागरिक अनुसंधान से कहीं ज्यादा अलग हैं.

भारत का पीछे हटना और हिंद महासागर में तनाव
भारत हिंद महासागर में चीनी जहाजों पर कड़ी नजर रख रहा है. 2019 में भारतीय नौसेना ने एक चीनी शोध जहाज को अपने जलक्षेत्र से बाहर कर दिया था. लेकिन और भी जहाज अब वापस आ गए हैं.

हाल ही में देखा गया कि चीन के दो सबसे एडवांस समुद्र विज्ञान जहाज- जियांग यांग होंग 01 और डोंग फैंग होंग 3 पूर्वी हिंद महासागर के बड़े हिस्से की मैपिंग कर रहे थे. इन मिशनों ने कूटनीतिक विरोध को बढ़ावा दिया है, जिसमें भारत ने श्रीलंका पर विदेशी शोध जहाजों को डॉकिंग से प्रतिबंधित करने का दबाव डाला है. यह प्रतिबंध 2024 के अंत में समाप्त हो गया, जिससे नए चीनी घुसपैठों के लिए दरवाजा खुल गया.

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