Type 004 aircraft carrier: चीन का यह युद्धपोत पोत न्यूक्लियर पावर से चलेगा. चीन ने इसकी शुरुआत अमेरिका से निपटने के लिए की है. इसके बनने के बाद हिंद महासागर में शक्ति संतुलन में काफी बदलाव आएगा. इस रिपोर्ट में हम चीन के इस जहाज की खासियत और इसकी ताकत को जानेंगे.
चीन बना रहा नया जहाज
चीन अपनी सैन्य शक्ति में एक बड़ा इजाफा करने जा रहा है. चीन अपने चौथे युद्धपोत Type 004 को बनाने में जुट गया है. इसे चीन के दालियान शिपयार्ड में बनाया जा रहा है. यह जहाज न्यूक्लियर पावर से चलने वाला जहाज होगा. चीन का कहना है कि यह जहाज उसकी नौसेना को पहले से ज्यादा मजबूत बनाएगा. अभी तक अमेरिका सुपरकैरियर्स के मामले में सबसे आगे रहा है. लेकिन चीन इस अंतर को लगातार कम कर रहा है. चीन का यह जहाज पिछले युद्धपोतों से काफी ज्यादा ताकतवर बनेगा. चीन का यह जहाज लगभग 1,10,000 से 1,20,000 टन तक के वजन का होगा. इसकी लंबाई लगभग 330 से 340 मीटर होगी.
कितना खतरनाक?
चीन में बन रहा Type 004 इस देश का पहला न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर होगा. इस जहाज में 2 प्रेशराइज्ड वॉटर रिएक्टर होंगे. जिनसे 450-500 मेगावाट की बिजली पैदा की जाएगी. यह पावर कैटापल्ट, रडार और भविष्य के हाई-एनर्जी हथियारों के लिए इस्तेमाल की जाएगी. बताया जा रहा है कि इस सुपरकैरियर को रिफ्यूलिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह बिना रिफ्यूलिंग के लंबी दूरी तय करने में सक्षम होगा.
90 से ज्यादा विमान एक साथ
इस जहाज को बनाते समय हवाई ताकतों पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. यह जहाज एक बार में लगभग 90 से ज्यादा विमानों को एक साथ ले जाने में पूरी तरह से सक्षम होगा. इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम लगाया जाएगा. इसमें J-15T हेवी स्ट्राइक फाइटर, J-35 स्टील्थ जेट, KJ-600 एयरबोर्न वार्निंग प्लेटफॉर्म के साथ ड्रोन भी शामिल होंगे. इसमें हेलीपैड फ्लैट होगा. ये जहाज CATOBAR सिस्टम पर चलेगा जो विमानों को कैटापल्ट से लॉन्च करेगा. यह अमेरिका के Ford-class से ज्यादा विमान ले जाने में सक्षम होगा.
अमेरिका से मुकाबला
चीन का यह सुपरकैरियर सीधे अमेरिका के Ford-class से मुकाबला कर रहा है. अमेरिका का Ford-class लगभग 75 विमान एक साथ ले जा सकता है. चीन और अमेरिका दोनों देशों के जहाज लगभग 1,00,000 टन से ज्यादा के हैं. अमेरिका का Ford class 160 सॉर्टी हर रोज कर सकता है. चीन ने भी अपने सुपरकैरियर को बनाने का यही लक्ष्य रखा है. लेकिन अमेरिका के पास पुराना अनुभव भी है.
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