नई दिल्ली: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत से अपने संबंध बेहतर करने की दिशा में एक फैसला लिया जो भारत-चीन सामरिक रिश्तों के लिए सकारात्मक आयाम दे सकता है. हालांकि, पड़ोसी राज्य पाकिस्तान के लिए यह कूटनीति के लिहाज से चिंता का विषय हो सकता है. दरअसल, चीन ने पाकिस्तान को भारतीय राफेल को टारगेट करने की मंशा से मांगे गए रडार सिस्टम देने से मना कर दिया है.
इमरान-बाजवा को चीन ने सिखाया पाठ
हाल ही में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और पाक सेना प्रमुख जनरल बाजवा चीन दौरे पर गए थे. वहां उन्होंने भारत के वायुसेना दस्ते में फिलहाल ही शामिल हुए फ्रांस निर्मित राफेल के काउंटर अटैक के लिए रडार सिस्टम की मांग की जिसे चीन ने देने से सामने से इंकार कर दिया. बात यह है कि चीन पाकिस्तान की खस्ता हाल आर्थिक हालात को अच्छे से जानता है. चीन ने खुद पाकिस्तान को सैंकड़ों मिलियन डॉलर के कर्ज दिए हैं, जिसे चुका पाने में पाक असमर्थ है.
हाल के दिनों में ये पहला मौका नहीं है जब ड्रैगन ने पलटी मारी हो. इससे पहले भी चीन ने कई अहम मुद्दों पर स्टैंड बदला है. कब-कब आइए एक नजर डालते हैं...
- कश्मीर मामले पर पाक का हर बार साथ देने वाले चीन ने भारत दौरे से ठीक पहले पाक को भारत के साथ बातचीत कर मसले का निपटारा करने की नसीहत तक दे डाली थी.
- मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित कराने के मामले पर यूएन में चीन अकेला पी-5 देशों में हर बार अड़ंगा डालता रहा था. लेकिन इस वर्ष पुलवामा हमले के बाद चीन ने पाला बदला और भारत के पक्ष में वोट कर मसूद अजहर को रेडलिस्ट में नामित कराने में भारत का साथ दिया. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कम ही हुआ है जब चीन भारत के साथ खड़ा नजर आया हो.
- भारत के साथ डोकलाम में सीधा सामना होने के बाद वैश्विक स्तर पर जब चीन की खूब आलोचना होने लगी तो चीनी सरकार ने अपनी सेना को पीछे हट जाने का आदेश दिया, इसके बाद से चीनी सेना का भारतीय सीमा में घुसपैठ लगातार कम हुई है.
चीन अगर वाकई भारत के साथ अपने संबंध सुधारने को आतुर है तो ये एशिया की दो बड़ी ताकतों के लिए खुशखबरी है. विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार दोनों राष्ट्र जिनके बीच का व्यापारिक रिश्ता जल्द ही 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने वाला है, उनकी दोस्ती का रंग गाढ़ा होता दिख रहा है.