PM बनते ही शहबाज शरीफ से रूठ गए उनके 'अपने', गृहयुद्ध से बचाने का एकमात्र ये तरीका

Pakistan PM Shahbaz Sharif: पाकिस्तान में शहबाज शरीफ की सरकार बने कुछ ही दिन हुए हैं, कि उनके गठबंधन सहयोगी उनसे नाखुश हो रहे हैं. बलूचिस्तान में सैन्य अभियान पर सरकार के अपने ही उनपर सवाल उठा रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 19, 2022, 03:31 PM IST
  • शहबाज शरीफ से नाराज हुए उनके सहयोगी
  • बलूचिस्तान में सैन्य अभियान पर पड़ी फूट
PM बनते ही शहबाज शरीफ से रूठ गए उनके 'अपने', गृहयुद्ध से बचाने का एकमात्र ये तरीका

नई दिल्ली: Pakistan PM Shahbaz Sharif: पाकिस्तान में इमरान खान को सत्ता से खदेड़ने के लिए सभी पार्टी के नेता जैसे एक होकर शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) का समर्थन कर रहे थे, तो उस वक्त ऐसा लग रहा था कि ये पार्टियों की एकजुटता है और शहबाज शरीफ काफी गए और शहबाज शरीफ आए तो ऐसा लगने लगा कि अब सियासी उठापटक खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा.

शरीफ के सहयोगी ने अपनाए बगावती सुर

शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली नवगठित गठबंधन सरकार को उस समय झटका लगा, जब बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) के सदस्यों ने चगई में प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी को लेकर नेशनल असेंबली की कार्यवाही का बहिष्कार किया.

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर बलूचिस्तान में सैन्य अभियान जारी रहता है तो पार्टी के लिए सरकार का हिस्सा बनना मुश्किल होगा. सोमवार को बीएनपी-एम के आगा हसन बलूच ने यह मुद्दा उठाया.

देश में जल्द चुनाव कराने का दिया सुझाव

पिछले हफ्ते सरकार बनाने के बाद, पीएमएल-एन के नेता ख्वाजा आसिफ ने देश में जल्द चुनाव का सुझाव दिया. उनके अनुसार, यह देश को रक्तपात और संभावित गृहयुद्ध से बचाने का एकमात्र तरीका है.

हसन बलूच ने सोमवार को संसद में कहा, '16 अप्रैल को, चगई में एक दिल दहला देने वाली घटना हुई जब सुरक्षा बलों ने निहत्थे और उत्पीड़ित बलूच लोगों पर गोलियां चलाईं जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. हमेशा की तरह, पिछले रवैये को नहीं छोड़ा गया है. आज (सोमवार) फिर से, शांतिपूर्ण निर्दोष बलूच प्रदर्शनकारियों को गोली मार दी गई.'

बलूच लोगों का खून हुआ 'सस्ता'?

बीएनपी-एम सदस्य ने खेद व्यक्त किया कि बलूच लोग 1947 से न्यायेतर हत्याओं का शिकार हुए हैं और आज भी ऐसा हो रहा है. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, 'इस समय देश में सबसे सस्ती चीज बलूच लोगों का खून है.'

बलूच नेता ने सदन छोड़कर जाने से पहले कहा, 'सुरक्षाबलों को इतनी ताकत क्यों दी गई है. हम इसकी निंदा करते हैं. हम इन परिस्थितियों में कैसे सरकार के साथ रह सकते हैं.'

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मतलब साफ है कि पाकिस्तान में शहबाज शरीफ के सत्ता में आते ही उनके गठबंधन सहयोगी उनसे नाखुश हो रहे हैं. बलूचिस्तान में सैन्य अभियान पर सरकार के अपने ही उनपर सवाल उठा रहे हैं.

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