सीरिया में ऐसे ही लड़ाई जारी रही तो विश्वयुद्ध छिड़ जाएगा

मध्य पूर्व के देश सीरिया में चल रहा घमासान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरने लगा है. पिछले दो दिनों में वहां लगभग 78 सैनिकों के मारे जाने की खबर है. जिसमें सीरिया और तुर्की दोनों की फौजों के सिपाही शामिल हैं.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 29, 2020, 03:33 PM IST
    • गंभीर रूप ले रहा है सीरिया का संघर्ष
    • लगभग 78 सैनिक मारे जा चुके हैं
    • तुर्की और सीरिया की सेनाएं संघर्ष में उलझी
    • तुर्की के पीछे है अमेरिका और यूरोप
    • सीरिया के साथ खड़े हैं रुस और ईरान
सीरिया में ऐसे ही लड़ाई जारी रही तो विश्वयुद्ध छिड़ जाएगा

नई दिल्ली: सीरिया का संकट गहराने लगा है. यहां पहले तुर्की के 33 सैनिक मारे गए. जवाबी कार्रवाई में उसने सीरिया के 45 सैनिकों को मारने का दावा किया है. इस जंग में कई पक्ष हैं. जिसमें रुस और अमेरिका जैसी महाशक्तियां भी शामिल हैं. जिसकी वजह से इस जंग का दायरा बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है.

सीरिया की जमीन पर चल रहा है घमासान
संघर्ष का क्षेत्र सीरिया का इदलिब प्रांत बना हुआ है. यहां पहले तुर्की समर्थक फौजों के 33 सिपाही मारे गए थे. जिसके जवाब में तुर्क फौजों ने 45 सीरियाई फौजियों को मार गिराने का दावा किया है. पिछले तीन दिनों के इस घटनाक्रम की वजह से सीरिया और तुर्की में गंभीर तनाव पैदा हो गया है. तुर्की ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद पर इस हमले का आरोप लगाया है.

सीरिया के इदलिब पर कब्जा चाहता है तुर्की
तुर्की अपनी सीमा से लगे हुए सीरिया के इदलिब प्रांत पर अपना कब्जा चाहता है. ताकि वहां पर सीरिया से भाग कर आए शरणार्थियों को बसाया जा सके. इसके लिए उसने इन इलाकों में कुर्द फौजों पर हमला शुरु कर दिया है. लेकिन सीरिया की फौज कुर्दों से अपने मतभेद भुलाकर उनकी मदद के लिए उतर आई है. जिसकी वजह से तुर्की को मुश्किल हो रही है और वह धमकियां देने पर उतर आया है. तुर्की ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इदलिब को नो फ्लाई जोन घोषित करने की मांग की है.

सीरिया के समर्थन में है रुस
सीरियाई फौज पर तुर्की के हमले की वजह से रूस और तुर्की में तनाव चरम बढ़ गया है. दरअसल, सीरिया में बशर-अल-असद सरकार को रूस का समर्थन हासिल है और वह सीरियाई राष्ट्रपति के विरोध में लड़ रही फौजों के खिलाफ अभियान चला रहा है.
रुस ने तुर्की को दबाव में लेने के लिए अपने दो जंगी जहाज तुर्की की राजधानी इस्तांबुल के पास भेज दिए हैं. रुस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने मामले में दखल देते हुए तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन से फोन पर चर्चा की है.

तुर्की के साथ खड़ा है यूरोप और अमेरिका
उधर तुर्की के समर्थन में यूरोप और अमेरिका हैं. दरअसल तुर्की में 40 लाख सीरियाई शरणार्थी मौजूद हैं. तुर्की उन्हें अपनी सीमा में होकर यूरोप में घुसने से रोकता है. इसके लिए साल 2016 में यूरोपियन यूनियन ने तुर्की से समझौता किया था. जिसके तहत तुर्की को शरणार्थियों की समस्या से निपटने के लिए 6 अरब यूरो दिए गए थे. तुर्की यूरोपियन यूनियन को धमकी देता है कि अगर उन्होंने उसका साथ नहीं दिया तो वह यूरोप में शरणार्थियों की बाढ़ ला देगा.
यूरोपियन यूनियन के साथ नाटो संधि में बंधा हुआ अमेरिका भी तुर्की के साथ खड़ा होने के लिए मजबूर है.

सीरिया में ये हैं दोनो पक्ष
सीरिया में चल रही जंग में ईरान, सीरिया और रुस एक साथ खड़े हैं. उनके साथ अंकारा जैसे छोटे देश भी हैं. उधर तुर्की के पक्ष में यूरोपियन यूनियन और अमेरिका हैं. इस तरह सीरिया के संघर्ष को लेकर पूरी दुनिया दो खेमों में बंटी हुई है. जिसे देखते हुए यह संघर्ष कभी भी गंभीर रुख ले सकता है.
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस मसले को लेकर चिंता जताई है और इस संघर्ष को विश्व शांति के लिए खतरा करार दिया है. इस वैश्विक संस्था ने सीरिया में तत्काल हमले रोकने के लिए चेतावनी जारी की है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुआरेस के मुताबिक 'अगर हमले नहीं रोके गए तो 2011 से चल रहा यह संघर्ष सबसे बुरे मानवीय त्रासदी में बदल सकता है. संयुक्त राष्ट्र जल्दी ही इदलिब के संघर्ष वाले इलाके में एक मिशन भेजने की योजना बना रहा है. जो कि अगले सप्ताह शुरू हो सकता है'.

ये भी पढ़ें--भारत विरोधी तुर्की के 33 सैनिक सीरिया में मारे गए

ये भी पढ़ें--जर्मन हथियारों के बल पर सीरिया में कहर बरपा रहा है तुर्की

ये भी पढ़ें--सीरिया हमले पर अमेरिका-रूस के बीच तनातनी या दोस्ती ?

ये भी पढ़ें-- सीरिया के खिलाफ तुर्की कर रहा है रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल ?

 

ट्रेंडिंग न्यूज़