न्यूक्लियर डील पर अमेरिका ने रखी ये शर्त, पर क्या ईरान वाकई परमाणु बम बनाना चाहता है? जानें सारा कच्चा चिट्ठा!

ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु कार्यक्रम पर फिर से बातचीत शुरू हो चुकी है. मस्कट और रोम में हुई दो बैठकें ‘रचनात्मक’ रहीं, अब टेक्निकल लेवल पर चर्चाएं होंगी. इस बीच सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या ईरान परमाणु बम बनाने की इच्छा रखता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 20, 2025, 11:08 PM IST
  • तीसरे दौरे में पहुंची न्यूक्लियर डील को लेकर बातचीत
  • यूरेनियम संवर्धन को लेकर अब भी बनी हुई है चिंता
न्यूक्लियर डील पर अमेरिका ने रखी ये शर्त, पर क्या ईरान वाकई परमाणु बम बनाना चाहता है? जानें सारा कच्चा चिट्ठा!

Iran nuclear deal update:अमेरिका और ईरान के बीच लंबे समय से जारी तनातनी के बीच, शांति की उम्मीद नजर आ रही है. बता दें, दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर डील को लेकर एक बार फिर बातचीत का दौर शुरू हुआ है. मस्कट और रोम में हाल ही में हुई दो उच्च-स्तरीय बैठकों के बाद, अब ओमान में तकनीकी चर्चाएं शुरू होंगी. ये बातचीत ईरान की यूरेनियम संवर्धन सीमा, प्रतिबंधों में राहत और क्षेत्रीय सुरक्षा पर केंद्रित होगी. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नई शर्तों पर जोर दे रहे हैं. जबकि ईरान दावा करता है कि वह परमाणु बम नहीं बना रहा, लेकिन उसका संवर्धन स्तर (Enrichment Level) संदेह पैदा कर रहा है.

मस्कट और रोम में हुई बैठक
ईरान और अमेरिका के बीच न्यूक्लियर डील को लेकर फिर से बातचीत शुरू हो गई है. पहले दौर की बैठक मस्कट में हुई थी और एक हफ्ते बाद इसका दूसरा चरण रोम में आयोजित हुआ. दोनों मुलाकातों में ओमान ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई.

इन बैठकों में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ और ईरान के उप विदेश मंत्री अब्बास अरकची के बीच अप्रत्यक्ष बातचीत हुई. संदेशों का आदान-प्रदान ओमान के विदेश मंत्री बद्र अलबुसैदी के जरिए किया गया.

बैठक में अब तक क्या बातें हुई?
इन बैठकों को दोनों पक्षों ने ‘रचनात्मक’ बताया है. चर्चा के केंद्र में तीन मुख्य मुद्दे हैं – प्रतिबंधों में राहत, परमाणु प्रोग्राम की सीमाएं और क्षेत्रीय सुरक्षा. वहीं अगले बुधवार से ओमान में तकनीकी स्तर की बातचीत शुरू होगी. इन तकनीकी चर्चाओं में एक्सपर्ट्स यह तय करेंगे कि कौन-कौन से प्रतिबंध ईरान द्वारा किस कदम के बदले हटाए जा सकते हैं. इसके बाद मस्कट में ही तीसरे दौर की उच्च स्तरीय वार्ता होगी.

बातचीत में अब आगे क्या होगा?
ओमान में होने वाली तकनीकी बातचीत इस प्रक्रिया की अगली अहम कड़ी होगी. इसमें दोनों देशों के एक्सपर्ट मिलकर तकनीकी शर्तों पर क्लीयर बातचीत करेंगे, जैसे कि ईरान कितने प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन कर सकता है और अमेरिका किन प्रतिबंधों को हटाने को तैयार है.

अगर तकनीकी स्तर पर सहमति बनती है, तो अगली हाई लेवल मीटिंग्स में फाइनल फ्रेमवर्क पर सहमति की कोशिश होगी. हालांकि दोनों पक्ष इस बात को लेकर सतर्क हैं कि किसी भी समझौते से पहले स्थायी गारंटी जरूरी होगी.

JCPOA टूटने के बाद ट्रंप की क्या शर्त है?
2015 में ओबामा सरकार के कार्यकाल में हुआ JCPOA (जॉइंट कंप्रीहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन) एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी गई थी. इसके तहत ईरान को सीमित यूरेनियम संवर्धन और नियमित निरीक्षण की शर्तों पर कुछ पश्चिमी प्रतिबंधों से राहत दी गई थी. लेकिन 2018 में डोनाल्ड ट्रंप ने JCPOA को ‘बुरा समझौता’ बताते हुए इससे बाहर निकलने का फैसला किया और ईरान पर फिर से कड़े प्रतिबंध लगा दिए. अब वह नए समझौते में और कड़े प्रावधानों और गारंटी की मांग कर रहे हैं.

वहीं ट्रंप की नई शर्तों में सबसे अहम है ईरान द्वारा यूरेनियम संवर्धन को JCPOA की पुरानी सीमा यानी 3.67% तक सीमित करना और अपने परमाणु कार्यक्रम पर पूरी पारदर्शिता देना. ट्रंप प्रशासन चाहता है कि किसी भी नए समझौते में ईरान को यह गारंटी देनी होगी कि वह कभी भी 90% संवर्धन स्तर तक नहीं पहुंचेगा, जो परमाणु हथियार निर्माण के लिए जरूरी होता है.

इसके अलावा, अमेरिका यह भी चाहता है कि ईरान अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्रीय मिलिशिया (हूती लड़ाकों) को समर्थन देने जैसी गतिविधियों को भी रोके. इन शर्तों के बिना अमेरिका किसी डील को स्वीकार नहीं करेगा.

क्या ईरान परमाणु बम बनाना चाहता है?
इन सभी बातचीत के बीच सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है, कि जिस चीज को लेकर अमेरिका ने बम गिराने तक की धमकी दे डाली. क्या वह परमाणु बम ईरान वाकई में बनाना भी चाहता है? ऐसे में ईरान की सरकार और सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने सार्वजनिक रूप से परमाणु बम बनाने की मंशा से इनकार किया है. उन्होंने इसे इस्लाम विरोधी करार देते हुए एक धार्मिक फतवा भी जारी किया है.

हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के पास अब 60% तक संवर्धित यूरेनियम है, जबकि परमाणु हथियार के लिए 90% स्तर की आवश्यकता होती है. JCPOA के तहत यह सीमा 3.67% तय की गई थी. कुछ रिपोर्टों की माने तो, ईरान एक हफ्ते के अंदर परमाणु बम बना सकता है. हालांकि वह खुल मंच पर यह स्वीकार नहीं करता है. हालांकि, एक बात तय है कि ईरान ने करीब 60% की शुद्धता के साथ यूरेनियम जमा कर चुका है. जो अमेरिका और इजरायल दोनों के लिए चिंता का विषय है.

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