Nuclear Power Expansion in World: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वैश्विक मंच पर सभी देशों की स्थिति पहले से काफी बदल गई है. खासकर, यूरोप से दूरी बनाकर ट्रंप ने अपने करीबी देशों को सबक दे दिया है कि अमेरिका उनके लिए स्टैंड लेने के लिए बाध्य नहीं है. ऐसे में सभी देश अपनी-अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए योजना बना रहे हैं. यूरोपीय देश भी अपना रक्षा का बजट बढ़ा चुके हैं, ये भी 'आत्मनिर्भर' बनने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. लेकिन इसी बीच पूरी दुनिया में परमाणु प्रसार बढ़ने की आशंका फैल गई है.
ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति का किया-धरा
डिफेंस वन की एक रिपोर्ट बताती है कि जब से ट्रंप ने अंतर्राष्ट्रीय गठबंधनों को झटका दिया है, तब से ही अमेरिका के पूर्व सहयोगी देश परमाणु हथियार बनाने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं. ऐसी संभावना है कि आगामी दिनों में वैश्विक परमाणु अप्रसार संधि (NPT) ध्वस्त हो सकती हैं, जिसे अमेरिका ने दूसरे देशों को सुरक्षा गारंटी देकर बढ़ाया था. अमेरिका ने साथ छोड़ा तो क्या करेंगे, यही सोचकर सहयोगी देश अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं परमाणु हथियार विकसित कर सकते हैं.
तीसरे विश्व युद्ध में मचेगी असीमित तबाही
पूर्व वरिष्ठ रक्षा और व्हाइट हाउस अधिकारियों ने बताया कि यदि अगर एक-दो देशों ने परमाणु हथियार बनाने की शुरुआत की, तो अन्य देश भी ऐसा करने से पीछे नहीं हटेंगे. इसके बाद दुनिया के छोटे देशों में भी परमाणु हथियारों का निर्माण होने लगेगा. इसका नतीजा भविष्य में बहुत गंभीर हो सकता है. कल को तीसरा विश्व युद्ध होता है, तो दुनिया में ऐसी तबाही मचेगी जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.
दक्षिण कोरिया कर सकता है शुरुआत
रूस से तंग आ चुके यूरोपीय देश तो अपनी न्यूक्लियर छतरी बनाने की योजना पर विचार कर ही रहे हैं. लेकिन अब अमेरिका के वे सहयोगी भी परमाणु हथियार बनाने पर चर्चा कर सकते हैं, जो अब तक अमेरिकी सुरक्षा के भरोसे हैं इनमें दक्षिण कोरिया का नाम सबसे पहले आता है. नॉर्थ कोरिया पहले से परमाणु हथियारों से लैस है, इसलिए दक्षिण कोरिया को उससे मुकाबला करने के लिए खुद की सुरक्षा को मजबूत करना होगा.
ये देश भी बना सकते हैं खुद के परमाणु हथियार
'अमेरिका फर्स्ट' की नीति ने कई देशों को परमाणु हथियार बनाने पर मजबूर कर दिया है. जापान, जर्मनी, स्वीडन, पोलैंड, तुर्की, और ऑस्ट्रेलिया भी तकनीकी और वित्तीय संसाधनों के मामले में सक्षम हैं. ये देश अमेरिकी सुरक्षा गारंटी के कमजोर पड़ने की स्थिति में परमाणु हथियार विकसित करने पर विचार कर सकते हैं. ईरान पहले से ही अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है. सऊदी अरब, और ताइवान जैसे देश भी भविष्य में इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं.
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