नई दिल्ली: पूरी दुनिया पीएम मोदी का लोहा मानती है. विश्व नेता के रूप में विख्यात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के संकट से दुनिया के कई देशों को बचाया है. इनमें अमेरिका भी शामिल है. कोरोना के इलाज के लिये संजीवनी मानी जा रही हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन की मांग अमेरिका ने की थी.
भारत ने बड़ा दिल दिखाते हुए अमेरिका की सहायता की थी. भारत के इस कदम से अमेरिका गदगद हो गया है. पीएम मोदी का बड़ा दिल और उनकी सहायता को देखकर डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें विश्व का सबसे महान नेता बताया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि कोरोना संक्रमण से लड़ने में अमेरिका भारत की आर्थिक मदद करेगा. इससे पता चलता है कि पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व के आगे अमेरिका भी नतमस्तक हो रहा है.
5.9 मिलियन डॉलर की मदद करेगा अमेरिका
अमेरिका की ट्रंप सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए भारत को स्वास्थ्य सहायता के रूप में लगभग 5.9 मिलियन डॉलर प्रदान किए हैं. यह जानकारी गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने दी.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस राशि का इस्तेमाल भारत में कोरोना पीड़ित लोगों की मदद, बीमारी से जुड़े जागरूकता अभियान और इसके रोकथाम के लिए किए जा रहे शोधों में किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस सहायता राशि का इस्तेमाल आपातकालीन तैयारी के लिए किया जाएगा.
कोरोना के आगे बेबस हुई दुनिया! यहां पढ़ें, वर्ल्ड रिपोर्ट.
महामारी से लड़ने में काम आयेगी सहायता राशि
आपको बता दें कि विदेश मंत्रालय और यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट ने अब आपातकालीन स्वास्थ्य, मानवीय और आर्थिक सहायता के लिए लगभग 508 मिलियन डॉलर खर्च करने की प्रतिबद्धता दिखाई है.
उल्लेखनीय है कि दुनिया भर के समुदायों को महामारी से निपटने में अमेरिका पहले से ही बहुपक्षीय और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को सहायता राशि प्रदान करता आया है. यह राशि अब तक की सबसे ज्यादा राशि है.
कोरोना संक्रमण से जूझ रहा अमेरिका
आपको बता दें कि अमेरिका भी कोरोना वायरस से जूझ रहा है. अमेरिका में इस संक्रमण से सबसे ज्यादा लोग जान गवां चुके हैं. अमेरिका में गुरुवार को कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या 33,875 हो गई, जबकि संक्रमित लोगों की संख्या 6,58,263 पहुंच गई है. देश में इस महामारी से पहली मौत 29 फरवरी को हुई थी और दस हजार के आंकड़े तक पहुंचने में 38 दिन लगे थे. लेकिन महज नौ दिनों में ही यह आंकड़ा दस से 33 हजार के पार पहुंच गया