China PL-15 Missile: भारत और पाकिस्तान के बीच हुए विवाद में भारतीय वायुसेना पाक पर भारी पड़ी. पाकिस्तान के पास चीन के कई आधुनिक हथियार थे, जो भारत के सामने पूरी तरह फेल हो गए. इन हथियारों में चीन की नामी PL-15 मिसाइल भी थी, जिसे भारत ने नष्ट कर दिया था. इस मिसाइल का मलबा पंजाब के होशियारपुर से बरामद किया गया है. चौंकाने वाली बात ये है कि PL-15 मिसाइल का मलबा दुनिया के 7 देशों के लिए 'खजाने' से कम नहीं है. इनमें से 5 देश फाइव आइज का हिस्सा हैं.
ये देश दिखा रहे मलबे में रुचि
पांच देशों का खुफिया गठबंधन 'फाइव आइज' अक्सर चर्चा में रहता है. इस अलायंस में USA, UK, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. इन्होंने भारत से चीनी मिसाइल के मलबे से मिले डेटा को शेयर करने की अपील की है. ऐसा ही अनुरोध दो अन्य देश, फ्रांस और जापान भी कर रहे हैं. दरअसल, ये समझना चाहते हैं कि चीन के उन्नत हथियार कितने ताकतवर हैं और इनमें कौनसी तकनीक का इस्तेमाल हुआ है.
मिसाइल के मलबे में ऐसी क्या खास बात?
PL-15 मिसाइल के मलबे में Propulsion system, DataLink, Inertial Reference Unit और Active Radar Seeker हैं. इनसे मिलने वाले डेटा से ये तैयारी की जा सकती है कि इस मिसाइल या इसके जैसी तकनीक वाले हथियारों से निपटने के बेहतर उपाय या वेपन कौनसे हो सकते हैं. भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन -DRDO इस मलबे का गहन विश्लेषण करने में जुटा हुआ है. ऐसी उम्मीद है कि इससे भारत के स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रमों, जैसे- Astra Mk-2 और Mk-3 BVRAAM, को और कारगर बनाने में अहम मदद मिल सकती है.
7 देशों को इसमें रुचि क्यों है?
फाइव आइज देश: USA, UK, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का अलायंस वैश्विक सुरक्षा खतरों पर नजर रखता है. PL-15 का डेटा मिलने के बाद ये देश इस मिसाइल को काउंटर करने की रणनीति पर विचार करेंगे. इसमें अमेरिका अग्रणी भूमिका निभा सकता है.
फ्रांस: फ्रांस दुनिया के नामी हथियार निर्माता देशों में से एक है. हाल के वर्षों में फ्रांस का हथियार निर्यात बढ़ा है. इस चीनी मिसाइल से लड़ने की क्षमता तैयार करने के लिए ही फ्रांस ने भारत से डेटा मांगा है.
जापान: चीन के सबसे बड़े दुश्मनों में जापान का भी नाम है. चीन दावा करता रहा है कि जापान ताइवान को उसके खिलाफ मदद कर रहा है. चीन कई बार जापान को अटैक की धमकी भी दे चुका. अब PL-15 की तकनीक को समझकर जापान अपने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करना चाहता है.