France Rafale Fighter Jet: यूरोप पर से अमेरिका का साया उठने के बाद दूसरे देश यहां संभावनाएं तलाशने लगे हैं. यहां तक कि यूरोप ने खुद भी अमेरिका को किनारे करने का फैसला कर लिया है. यूरोपीय देशों ने अमेरिका के F-35 फाइटर जेट को खरीदने की योजना को भी ठंडे बस्ते में डाल लिया है. हालांकि, फिर भी यूरोप अपनी सैन्य ताकत में इजाफा करने के प्रयास लगातार कर रहा है. इसमें फ्रांस का सबसे अधिक फायदा हो सकता है.
यूरोप इकट्ठा कर रहा हथियारों का जखीरा
दरअसल, यूरोपीय देशों में हथियारों की खरीदारी बढ़ी है. स्वीडन स्थित वैश्विक थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्सिट के मुताबिक, 2020-24 में यूरोप ने बड़ी मात्रा में हथियार खरीदे हैं. यूरोपीय देशों ने रूसी हमले के बाद सैन्य बलों को मजबूत किया है. यूरोप के हथियार आयात में 155% की वृद्धि हुई.
मैक्रों का क्या प्लान?
अब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की कोशिश है कि अमेरिकी हथियारों पर से यूरोप की निर्भरता कम हो. मैक्रों चाहते हैं कि अमेरिकी पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम की बजाय फ्रांसीसी फ्रेंको-इटैलियन SAMP/T एयर डिफेंस सिस्टम पर यूरोपीय देशों को निर्भरता बढ़ानी चाहिए. मेक्रों ने इशारों-इशारों में कहा कि डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल लड़ाकू विमान को यूरोपीय देश खरीदें.
F-35 बनाम राफेल
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों अपने राफेल जेट को F-35 की टक्कर के लड़ाकू विमान के तौर पर पेश कर रहे हैं. राफेल फाइटर जेट में स्टील्थ टेक्नोलॉजी नहीं है, फिर भी मैक्रों इसे F-35 का विकल्प बता रहे हैं. हां, ये जरूर है कि यह फाइटर जेट हवा से हवा में मुकाबला कर सकता है, इसकी स्पीड मैक 1.8 है.
राफेल जेट की कीमत क्या है?
भारत ने फ्रांस से साल 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे थे, इनकी कीमत 59,000 करोड़ रुपए थी. इस सौदे में विमानों के साथ-साथ हथियार, सिमुलेटर, प्रशिक्षण, और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी शामिल था. ऐसे में प्रति विमान की औसत कीमत लगभग 1,600 करोड़ रुपए थी. यदि अब फ्रांस यही राफेल अपने पड़ोसी देशों को बेचता है तो उसे खूब मुनाफा हो सकता है.
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार एक्सपोर्टर
SIPRI की रिपोर्ट बताती है कि फ्रांस 2020-2024 के दौरान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार एक्सपोर्टर रहा. फ्रांस ने 5 साल की अवधि में दुनिया के कुल 65 देशों को हथियार बेचे. खास बात ये है किभारत फ्रांसीसी हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार रहा.भारत ने फ्रांस के कुल निर्यात का 28% हिस्सा प्राप्त किया.
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