Israel-Gaza conflict: पिछले सप्ताह लगभग 1,000 इजरायली वायु सेना के दिग्गजों ने गाजा में युद्ध को समाप्त करने के लिए एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए. इसपर सेना ने तुरंत जवाब दिया और कहा कि वह दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने वाले किसी भी सक्रिय रिजर्विस्ट को बर्खास्त कर देगी.
लेकिन उसके बाद से सेना में हजारों सेवानिवृत्त और रिजर्विस्ट सैनिकों ने इसी तरह के समर्थन पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं.
देश में युद्ध रोका जाए, इसके लिए अभियान बढ़ रहा है. वहीं, सरकार पर राजनीतिक कारणों से युद्ध को जारी रखने और शेष बंधकों को घर वापस लाने में विफल रहने का आरोप लगाता है. जहां देश में लोगों की विपरीत बातों से गाजा में इजरायल की लड़ाई पर बड़ा अंतर साफतौर पर दिखाई दे रहा है.
अब जहां सेना में ऐसी आवाजें उठने लगी हैं तो इससे यह राष्ट्रीय एकता का भी मुद्दा बन रहा है. वहीं, दिग्गजों ने सेना की पूरी ताकत से लड़ाई जारी रखने की क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. वे 2023 की शुरुआत में इजरायल की कानूनी व्यवस्था में सुधार करने के सरकार के प्रयासों को लेकर भी अलग हैं, जिसके बारे में कई लोगों का कहना है कि इसने देश को कमजोर किया और उस साल बाद में हमास के हमले को बढ़ावा दिया जिससे युद्ध शुरू हो गया.
वायु सेना के पत्र में एक सेवानिवृत्त पायलट गाय पोरन ने लिखा, 'यह बिल्कुल स्पष्ट है कि युद्ध का नवीनीकरण राजनीतिक कारणों से है, न कि सुरक्षा कारणों से.' पत्र इसलिए भी लिखे गए, क्योंकि लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का 18 मार्च को युद्ध विराम पर कायम रहने के बजाय युद्ध में वापस लौटने का निर्णय गलत रहा. उस दौरान कुछ बंधकों की रिहाई में मदद हुई थी.
नेतन्याहू का कहना है कि हमास को शेष बंधकों को रिहा करने के लिए मजबूर करने के लिए सैन्य दबाव की आवश्यकता है. हालांकि, बंधकों के कई परिवारों सहित आलोचकों को डर है कि इससे उन्हें मार दिया जाएगा.
नेतन्याहू द्वारा युद्ध फिर से शुरू करने के एक महीने बाद हमास द्वारा पकड़े गए 59 बंधकों में से किसी को भी मुक्त या बचाया नहीं जा सका है, जिनमें से 24 के अभी भी जीवित होने का अनुमान है.
अपने पत्रों में उन्होंने साफ कर दिया कि उन्हें सेवा से निकाल दिया जाएगा, इसका डर नहीं है. और वैसे भी जिन 10,000 सैनिकों ने हस्ताक्षर किए हैं, उनमें से अधिकांश सेवानिवृत्त हैं.
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