चीन जमीनी नहीं, दिमागी घुसपैठ करेगा! दूसरे देशों के इलाकों पर हक जमाने के लिए जिनपिंग का ये इनसाइड प्लान

China new plan: चीनी इतिहास में शोधकर्ताओं की विवादित स्थान चीन में दिखाने के लिए कहा जा रहा. इस तरह ताइवान, अरुणाचल जैसे प्रदेश के लोगों के दिमाग में चीन डालेगा ये बता कि वे हमेशा थे चीन का हिस्सा.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Apr 18, 2025, 06:42 PM IST
चीन जमीनी नहीं, दिमागी घुसपैठ करेगा! दूसरे देशों के इलाकों पर हक जमाने के लिए जिनपिंग का ये इनसाइड प्लान

China News: भारत के साथ हिमालयी गतिरोध और दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के साथ द्वीप विवाद से लेकर चीन के सुदूर-पश्चिमी क्षेत्रों में छोटे-मोटे जातीय तनाव तक, सीमा सुरक्षा बीजिंग के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है. हालांकि, दूसरों की जमीन कब्जाना चीन की ही आदत है.

अब चीन एक नई रणनीति के तहत खेल रहा है. वह अब चीन में अकादमियों को सीमा क्षेत्र के मामलों में स्वदेशी विशेषज्ञता का तेजी से निर्माण करने के लिए प्रेरित कर रहा है. इसके पीछे बीजिंग संबंधित सैद्धांतिक और व्यावहारिक मुद्दों पर गहन शोध कराना चाह रहा है. जैसे-जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसकी प्रतिद्वंद्विता बढ़ रही है, चीन स्थानीय स्थिरता सुनिश्चित करने, अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को सुरक्षित करने, अर्थव्यवस्था को बढ़ाने, जातीय समुदायों में एक मजबूत चीनी चेतना बनाने और इतिहास में एक मजबूत पैर जमाने के लिए पहले से कहीं अधिक तात्कालिकता देख रहा है.

दरअसल, बीजिंग का उद्देश्य सीमावर्ती शासन के लिए सैद्धांतिक समर्थन प्रदान करना और अकादमिक और सैद्धांतिक दृष्टिकोण से चीन की सीमावर्ती क्षेत्रों पर पश्चिमी देशों ने जो राय बनाई है, उसे पलटकर एक नए सिरे से इतिहास के पन्नों पर अपना नाम गड़ना है.

चीन के साथ सीमा पर कितने देश लगते हैं?
चीन की 14 देशों के साथ 22,000 किलोमीटर (13,700 मील) से ज्यादा जमीनी सीमा है और यहां दर्जनों जातीय समूह रहते हैं. चीन की जमीनी सीमा पर नौ प्रांत और स्वायत्त क्षेत्र देश के लगभग 62 प्रतिशत भूभाग पर कब्जा किए हुए हैं. इसके अलावा इसकी 18,000 किलोमीटर लंबी तटरेखा भी है.

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दिसंबर में पोलित ब्यूरो के एक अध्ययन सत्र में कहा, 'सीमावर्ती इतिहास और शासन पर बहु-विषयक अनुसंधान को आगे बढ़ाया जाना चाहिए... अधिक प्रभावशाली और विश्वसनीय अनुसंधान परिणाम तैयार किए जाने चाहिए और नए युग में चीन के सीमावर्ती शासन की अच्छी कहानी बताने के लिए अनुसंधान निष्कर्षों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए.'

चीनी शोधकर्ताओं ने पश्चिमी शैक्षणिक दृष्टिकोण से अलग होने का तर्क दिया है, तथा इसके बजाय चीन के अपने सीमांत मामलों को सुलझाने के लिए चीनी सिद्धांतों का उपयोग करने की वकालत की है.

सरकारी मीडिया, सरकारी अधिकारी और शिक्षाविद अक्सर पश्चिमी देशों पर चीन को रोकने के लिए सीमा मुद्दों का उपयोग करने का आरोप लगाते रहे हैं. उनका कहना है कि पश्चिम ने शिनजियांग, तिब्बत, दक्षिण चीन सागर, हांगकांग और ताइवान से संबंधित मुद्दों का लाभ उठाया है.

आखिर क्या है चीन की चाल?
दरअसल, चीन शोधकर्ताओं के दम पर विस्तार करना चाह रहा है. चीनी इतिहास में शोधकर्ताओं को विवादित स्थान चीन में दिखाने के लिए कहा जा रहा है. इस तरह वह ताइवान, अरुणाचल जैसे प्रदेश के लोगों के दिमाग में गलत भावना फैला सकता है और वह खुद के बनाए हुए गलत इतिहास को बताया क्षेत्र को अपना बता सकता है. दूसरी ओर वह अपने क्षेत्र व आसपास के क्षेत्रों में पश्चिम की किसी भी राय से बचना चाहता है.

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