भारत ने खोजा 'आपदा में अवसर', यूरोप-रूस की लड़ाई में कैसे कमाएगा ₹500,000,000,000?

India Defence Export: भारत का रक्षा निर्यात अगले कुछ सालों में रिकॉर्ड वृद्धि कर सकता है. इसका कारण यूरोप और रूस के बीच चल रहा तनाव है. यूरोप भारतीय रक्षा कंपनियों से मदद मांग सकता है. ये खुलासा नुवामा की रिपोर्ट में हुआ है. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Mar 15, 2025, 06:36 PM IST
  • रक्षा निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि संभव
  • यूरोप बढ़ा रहा हथियार आयात
भारत ने खोजा 'आपदा में अवसर', यूरोप-रूस की लड़ाई में कैसे कमाएगा ₹500,000,000,000?

India Defence Export: भारत अपनी सैन्य शक्ति में लगातार इजाफा कर रहा है. भारत ने हथियारों का निर्यात भी बीते कुछ सालों में खूब किया है. हाल ही में आई SIPRI (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) की रिपोर्ट बताती है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार खरीदने वाला देश है. लेकिन अब भारत हथियार खरीदने ही नहीं, बल्कि बेचने में भी महारत हासिल करने जा रहा है.  नुवामा की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी सामने आई है.

भारत के रक्षा निर्यात में रिकॉर्ड उछाल संभव
नुवामा नामक कंपनी की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक बदलावों के बीच भारत का रक्षा क्षेत्र पर्याप्त रूप से विकास कर सकता है. वित्तीय वर्ष 2025 में भारत का रक्षा निर्यात 203 अरब रुपये तक पहुंच सकता है. अगले 4 साल में यानी वित्त वर्ष 2029 तक रक्षा निर्यात को 500 अरब रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.

क्यों बढ़ सकता है भारत का निर्यात?
भारत का रक्षा निर्यात इसलिए बढ़ सकता है, क्योंकि आने वाले समय में यूरोपीय देशों में हथियारों की मांग बढ़ने वाली है. लेकिन वहां पर अब स्थितियां इतनी अनुकूल नहीं रही हैं कि हथियारों का युद्ध स्तर पर निर्यात बढ़ सके. इसलिए अब यूरोपीय देश भारत की रक्षा कंपनियों से मदद मांग सकते हैं. 2026 की पहली छहमाही से यूरोप को भारत रक्षा निर्यात में मदद शुरू कर सकता है. 

रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये तक चला गया. खास बात ये है कि यह पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, तब यह आंकड़ा 15,920 करोड़ रुपये हुआ करता था. वित्त वर्ष 2013-14 के मुकाबले बीते 10 सालों में रक्षा निर्यात में 31 गुना वृद्धि हुई है

निजी और सरकारी क्षेत्र मिलकर कर रहे काम
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि भारत में निजी कंपनियां (प्राइवेट सेक्टर) और सरकारी रक्षा इकाइयां (DPSUs) मिलकर काम कर रही हैं. इसमें निजी क्षेत्र का योगदान करीब 60% और सरकारी क्षेत्र का 40% है. दुनिया भर में रक्षा की मांग बढ़ रही है और भारत में भी इसे बढ़ाने की कोशिश हो रही है. 

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