चीन के पड़ोसी देश में पहुंचा भारत का ब्रह्मोस, समुद्र में की एक गुस्ताखी तो काम खल्लास!

भारत की सैन्य क्षमता अब केवल अपने ही देश में नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी दमखम दिखा रही है. भारत की सबसे एडवांस सुपरसोनिक मिसाइल अब चीन के पड़ोसी देश में भी पहुंच चुकी है. बता दें, भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल सिस्टम की दूसरी बैटरी भेज दी है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 20, 2025, 10:11 PM IST
  • भारत ने फिलीपींस को भेजी ब्रह्मोस मिसाइल की दूसरी बैटरी
  • ब्रह्मोस डील ने भारत की वैश्विक रक्षा पहचान को दी नई ऊंचाई
चीन के पड़ोसी देश में पहुंचा भारत का ब्रह्मोस, समुद्र में की एक गुस्ताखी तो काम खल्लास!

India Defence Export Missile: भारत की सैन्य क्षमता अब केवल अपने ही देश में नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी दमखम दिखा रही है. भारत की सबसे एडवांस सुपरसोनिक मिसाइल अब चीन के पड़ोसी देश में भी पहुंच चुकी है. बता दें, भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल सिस्टम की दूसरी बैटरी भेज दी है. यह डिलीवरी 2022 में हुए ₹2800 करोड़ के समझौते का हिस्सा है, जिसमें कुल तीन बैटरियां दी जानी हैं. पहली बैटरी 2024 में एयरलिफ्ट की गई थी, जबकि दूसरी अप्रैल 2025 में समुद्री मार्ग से भेजी गई. ब्रह्मोस की गति 2.8 मैक और मारक क्षमता 290 किमी है, जो इसे समुद्री खतरों के खिलाफ बेहद खतरनाक बनाती है. यह डील भारत की 'मेक इन इंडिया' और 'मेक फॉर द वर्ल्ड' रणनीति का अहम उदाहरण है, जिससे भारत की वैश्विक रक्षा छवि मजबूत हो रही है.

फिलीपींस ने खरीदा ब्रह्मोस मिसाइल
भारत और फिलीपींस के बीच जनवरी 2022 में ₹2800 करोड़ की एक डील साइन की गई थी, जिसके तहत भारत को फिलीपींस को तीन बैटरियों वाला ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल सिस्टम देना है. यह भारत का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात सौदा है और फिलीपींस इस मिसाइल का पहला अंतरराष्ट्रीय ग्राहक है.

बता दें, पहली बैटरी अप्रैल 2024 में भारतीय वायु सेना के IL-76 विमान से भेजी गई थी. अब दूसरी बैटरी अप्रैल 2025 में समुद्र के रास्ते भेजी गई है. तीसरी बैटरी की डिलीवरी आने वाले महीनों में होगी.

क्या है इस मिसाइल की खासियत?
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस की साझेदारी से विकसित की गई है, जो 2.8 मैक यानी ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज है. इसकी रेंज 290 किमी तक है और यह बेहद सटीकता से निशाना लगाने में सक्षम है.

यह मिसाइल जमीन, समुद्र, पनडुब्बी और एयरक्राफ्ट जैसे विभिन्न प्लेटफॉर्म्स से लॉन्च की जा सकती है. इसका मुख्य उपयोग समुद्री खतरों से निपटने के लिए किया जाता है और यह किसी भी दुश्मन की नेवी के लिए बड़ा खतरा बन सकती है.

तटीय सुरक्षा को मिलेगी मजबूती
ब्रह्मोस की डिलीवरी से फिलीपींस को अपनी समुद्री सीमा की रक्षा करने में बड़ी मदद मिलेगी, खासतौर पर चीन की आक्रामक गतिविधियों को देखते हुए. फिलीपींस इसे अपने मरीन कॉर्प्स की कोस्टल डिफेंस यूनिट में इस्तेमाल करेगा.

इस सिस्टम में मिसाइलों के अलावा मोबाइल लॉन्चर्स, रडार सिस्टम और कमांड-एंड-कंट्रोल यूनिट शामिल हैं. इससे फिलीपींस की निगरानी और रेस्पॉन्स कैपेसिटी में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी, जिससे समुद्री इलाके में संतुलन बना रह सकेगा.

भारत की बढ़ती वैश्विक रक्षा पहचान
यह डील भारत की 'मेक इन इंडिया' और 'मेक फॉर द वर्ल्ड' नीति का एक बड़ा उदाहरण है. लगातार बढ़ते रक्षा निर्यात से भारत अब सिर्फ सैन्य आयातक नहीं, बल्कि एक उभरता हुआ रक्षा निर्यातक भी बन चुका है.

फिलीपींस के 21 सैनिकों को भारत में ब्रह्मोस सिस्टम ऑपरेट करने की ट्रेनिंग भी दी गई है, जिससे उनकी ऑपरेशनल तैयारियों को मजबूती मिली है. इस प्रकार भारत सिर्फ सिस्टम नहीं, तकनीक और स्किल भी निर्यात कर रहा है.

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