India Russia Voronezh Radar: भारत की डिफेंस पावर और भी बढ़ने वाली है. भारत अपने पुराने दोस्त से एक ऐसा रडार खरीदने वाला है, जो रक्षा के क्षेत्र में गेम चेंजर बन सकता है. इस रडार की मदद से भारत ना सिर्फ अपने पड़ोसियों, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र और हिंद महासागर क्षेत्र की निगरानी भी रख सकेगा. ये खास रडार भारत अपने करीबी मित्र देश रूस से खरीदने वाला है.
वोरोनेज रडार की खासियत
वोरोनेज रडार की रेंज 6,000 से 8,000 किलोमीटर तक है. यह रडार सिस्टम सैकड़ों टारगेट्स को एक साथ ट्रैक कर सकता है. ये बैलिस्टिक मिसाइलों, स्टील्थ जेट्स और अन्य हवाई खतरों को यह फटाफट ट्रैक कर लेता है. ये रडार वेवबैंड्स पर काम करता है. इसकी यह क्षमता भारत के डिफेंस सिस्टम को मजबूत करेगी.
इसका 60% हिस्सा भारत में बनेगा
रिपोर्ट में दावा है कि इस सौदे में भारत की 'मेक इन इंडिया' पहल का ध्यान रखा गया है. इस सिस्टम का कम से कम 60% हिस्सा भारतीय कंपनियों द्वारा बनाया गया है. इस प्रोजेक्ट में 50 से अधिक इंडियन कंपनीज शामिल होंगी, इनमें स्टार्टअप भी होंगे.
4 अरब डॉलर का होगा सौदा
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारत का रूस के साथ ये सौदा चार अरब डॉलर में कर सकता है. इसे चीन और पाकिस्तान से की ओर से दी जा रही चुनौतियों के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.
वोरोनेज रडार चीन और पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी
वोरोनेज रडार की मदद से ये भी पता चल जाएगा कि चीन और पाकिस्तान के एयरबेस पर कौनसा विमान उड़ रहा है और कौनसा लैंड हो रहा है. भर रहा है और कौनसा लैंड कर रहा, इसकी सटीक बिल्कुल सटीक और रियल टाइल जानकारी भारत को मिल पाएगी. खासकर चीन के पास पांचवी पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट हैं, जो इस रडार की पकड़ से दूर नहीं है. ये रडार चीनी जेट्स को आसानी से ट्रैक कर सकता है.
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