India Pakistan Ceasefire News: भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम लागू हो गया है, जो 10 मई की शाम 5 बजे से ही प्रभावी हो चुका है. तय हुआ कि अब दोनों देश एक-दूसरे पर हमले नहीं करेंगे. मगर पाक कहां हरकतों से बाज आने वाला है. बहरहाल, इस सीजफायर में अमेरिका ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ही सबसे पहले भारत-पाक के 'युद्ध विराम' का ऐलान किया था. इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्क रुबियो ने बताया कि उन्होंने और उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने बीते 48 घंटों में अथाह मेहनत की, 'सीजफायर' इसी का नतीजा है. लेकिन कहानी महज इतनी भर नहीं है. रिपोर्ट्स में दावा है कि पाकिस्तान एक बार फिर कर्ज पाने के लिए झुक गया है.
अमेरिका ने पाक के सामने रखी ये शर्त
दरअसल, अमेरिका ने पाकिस्तान के सामने शर्त रखी थी कि उसे IMF की ओर से लोन तभी मिलेगा, जब वह भारत के साथ युद्ध रोक देगा. सूत्रों ने बताया कि अमेरिका ने भारत की बजाय पाकिस्तान पर युद्ध रोकने का दबाव बनाया, क्योंकि भारत तो 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिये पहलगाम अटैक का बदला पूरा कर चुका था. इसके बाद पाकिस्तान बौखलाया हुआ था, वह किसी भी हाल में भारत पर अटैक करना चाहता था. लेकिन IMF से 1 अरब डॉलर पाने के लिए पाकिस्तान ने युद्ध की जिद छोड़ दी.
कर्ज चुकाने का दबाव बनाता अमेरिका
रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान पर 70.36 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का लोन है. भारतीय करेंसी के हिसाब से पाक पर कुल कर्ज 21.15 लाख करोड़ रुपये का है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की मानें तो पाकिस्तान के पास कुल Forex Reserve 15.436 अरब डॉलर है (18 अप्रैल, 2025 तक). इसमें बड़ा कर्ज चीन का है, लेकिन बाकी कर्ज IMF और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं का है, जिन पर अमेरिका का दबदबा है. यदि पाक युद्ध विराम के लिए नहीं मानता तो अमेरिका उस पर कर्ज चुकाने के लिए दबाव बनाता, जबकि पाक के पास लोन चुकाने के लिए फूटी कौड़ी भी नहीं है.
अमेरिकी हथियारों पर पाक की निर्भरता
इसके अलावा, एक संभावित कारण ये भी हो सकता है कि पाकिस्तान की अमेरिकी हथियारों पर निर्भरता है. अमेरिका से लिया गया F-16 लड़ाकू विमान पाक ने भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया, जबकि अमेरिका ने इसे बेचते वक्त शर्त रखी थी कि इसे भारत के खिलाफ उपयोग में नहीं लेना है. लेकिन पाक ने बिक्री की शर्तों का उल्लंघन किया. अब पाकिस्तान को अमेरिकी सैन्य सहायता खोने की आशंका थी. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI)-2025 की रिपोर्ट के अनुसार, 2020-2024 के दौरान पाकिस्तान के कुल हथियार आयात में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) का हिस्सा 37% था. पाक अपने बड़े आर्म्स सप्लायर को नहीं खोना चाहता था.
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