इजराइल के हाइफा को भारतीय सेना ने कराया था आजाद, ओटोमन से लड़ी भीषण जंग; अब किताबों में होगा बदलाव

Haifa battle India: इजराइल के हाइफा शहर के मेयर योना याहाव ने कहा है कि यह शहर ओटोमन शासन से ब्रिटिश सैनिकों ने नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों ने आजाद कराया था. उन्होंने बताया कि इस ऐतिहासिक सच को सुधारने के लिए अब शहर के स्कूलों की इतिहास की किताबों को बदला जा रहा है.

Written by - Prashant Singh | Last Updated : Sep 30, 2025, 03:57 PM IST
  • जोधपुर लांसर्स ने तलवार-भालों से ओटोमन हराए
  • हर साल 23 सितंबर को मनता है हाइफा दिवस
इजराइल के हाइफा को भारतीय सेना ने कराया था आजाद, ओटोमन से लड़ी भीषण जंग; अब किताबों में होगा बदलाव

Haifa battle India: इतिहास में दर्ज एक बड़ी गलतफहमी को अब इजराइल के शहर हाइफा में सुधारा जा रहा है. हाइफा के मेयर योना याहाव ने साफ किया है कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1918 में इस शहर को ओटोमन साम्राज्य के कब्जे से आजाद कराने का श्रेय ब्रिटिश सैनिकों को नहीं, बल्कि भारतीय घुड़सवार रेजिमेंटों को जाता है. मेयर याहाव ने यह बात भारतीय सैनिकों के कब्रिस्तान में आयोजित एक समारोह के दौरान कही.

किताबों में होगा बदलाव
आगे उन्होंने बताया कि एक ऐतिहासिक सोसायटी ने गहन रिसर्च किया, जिसके बाद यह तथ्य सामने आया कि हाइफा को आजाद करने वाले भारतीय जवान थे. इस ऐतिहासिक भूल को सुधारने के लिए अब हाइफा के स्कूलों में इतिहास की किताबों को बदला जा रहा है, ताकि नई पीढ़ी भारत के इन वीर सैनिकों के अभूतपूर्व योगदान को जान सके.

Add Zee News as a Preferred Source

हाइफा के मेयर ने दी जानकारी
हाइफा के मेयर योना याहाव ने कहा कि वह इसी शहर में पैदा हुए और यहीं से उन्होंने पढ़ाई पूरी की. उन्हें भी लगातार यही बताया गया कि शहर को ब्रिटिश ने आजाद कराया था, जब तक कि हिस्टोरिकल सोसायटी ने उनके सामने शोध के तथ्य नहीं रखे.

मेयर ने समारोह में कहा, "हर स्कूल में, हम प्रमाणों को बदल रहे हैं और कह रहे हैं कि हमें ब्रिटिश ने नहीं, बल्कि भारतीयों ने आजाद कराया था."

बता दें, मेयर याहाव ने 2009 में पहली बार इस स्थल पर समारोह के दौरान ही भारतीय सैनिकों की कहानी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही थी, जो आज वहां के युवाओं में एक ज्ञात तथ्य बन चुका है.

घुड़सवार सेना का आखिरी महान ऑपरेशन
प्रथम विशव युद्ध के दौरान, 15वीं इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड के तहत भारतीय घुड़सवार रेजिमेंटों ने माउंट कार्मेल की पहाड़ियों पर भाले और तलवारों के साथ ओटोमन सेनाओं को खदेड़ दिया था. युद्ध इतिहासकार इस लड़ाई को ‘इतिहास का आखिरी महान घुड़सवार ऑपरेशन’ मानते हैं, जहां किला बंद शहर पर घुड़सवार सेना ने दौड़ते हुए कब्जा कर लिया था.

इस लड़ाई में जोधपुर लांसर्स ने आठ जवान खो दिए और 34 घायल हुए. लेकिन उन्होंने 700 से अधिक कैदी, 17 फील्ड गन और 11 मशीन गन पर भी कब्जा कर लिया था.

इसके लिए मेजर दलपत सिंह (हाइफा के हीरो), कैप्टन अमन सिंह बहादुर, दफादार जोर सिंह, कैप्टन अनोप सिंह और सेकंड लेफ्टिनेंट सगत सिंह को उनकी बहादुरी के लिए मिलिट्री क्रॉस (MC) और इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट (IOM) जैसे सम्मानों से नवाजा गया था.

भारत का अटूट सम्मान
भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को हैदराबाद, मैसूर और जोधपुर लांसर्स के सम्मान में हाइफा दिवस मनाती है. इजराइल में भारत के राजदूत जे पी सिंह ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. प्रथम विश्व युद्ध में 74,000 से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवाई, जिनमें से 4,000 से अधिक पश्चिम एशिया में शहीद हुए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जुलाई 2017 में इजराइल दौरे के दौरान हाइफा के भारतीय कब्रिस्तान का दौरा किया था और मेजर दलपत सिंह की याद में एक पट्टिका का अनावरण भी किया था.

ये भी पढ़ें- 3,000+ बख्तरबंद से लैस होगी इंडियन आर्मी, TATA के बाद महिंद्रा ने बनाया QRFV व्हीकल, बम-बारूद को समझती खिलौना

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

About the Author

Prashant Singh

प्रशांत सिंह के लेख रिसर्च-आधारित, फैक्ट-चेक्ड और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित होते हैं. ये जियोपॉलिटिक्स और रक्षा से जुड़ी खबरों को आसान हिंदी में पाठकों तक पहुंचाने में माहिर हैं. ...और पढ़ें

ट्रेंडिंग न्यूज़