ट्रंप से खौफ खाए बैठे खामेनेई! उस ग्रुप में चाह रहे एंट्री, जिसमें भारत जैसा मजबूत देश

ईरान भी अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से परेशान नजर आ रहा है. परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका संग तनातनी के बाद अब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने भारत, रूस और चीन को लेकर एक ट्वीट किया है. 

Written by - Bhawna Sahni | Last Updated : Apr 16, 2025, 05:39 PM IST
    • न्यूक्लियर डील पर ट्रंप ईरान को हर दिन दे रहे धमकी
    • अली खामेनेई ने जताई BRICS में शामिल होने की इच्छा
ट्रंप से खौफ खाए बैठे खामेनेई! उस ग्रुप में चाह रहे एंट्री, जिसमें भारत जैसा मजबूत देश

नई दिल्ली: ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के बारे में कहा जाता है कि उनके आगे राष्ट्रपति तक की नहीं चल पाती. उनके आदेश को सबसे ऊपर माना गया है. पूरी दुनिया इस बात से बखूबी वाकिफ है. हालांकि, अमेरिका में ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनते ही दुनियाभर के कई देशों के साथ-साथ ईरान में भी काफी हलचल मची हुई है. पिछले कुछ वक्त से ईरान और अमेरिका में परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनातनी चल रही है. ईरान के साथ पहली पारी की बातचीत में ही ट्रंप ने परमाणु समझौते को तोड़ दिया था. ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ संग एक राउंड की बातचीत ओमान में हो चुकी है. ऐसे में ट्रंप के यू-टर्न ने अब खामेनेई को भी परेशान कर दिया है.

खामेनेई का ट्वीट वायरल
इस बीच अब खामेनेई ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने भारत के साथ व्यापार बढ़ाने को लेकर बात की है. खामेनेई  का कहना है कि इस बदलते हुए माहौल में चीन, रूस और भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को मजबूत करना चाहिए. बता दें कि अमेरिका के ईरान से तेल लेने पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी भारत काट्सा के जरिए कच्चा तेल खरीदता रहा है. हालांकि, रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद यह व्यापार धीमा हो गया, क्योंकि इस दौरान पुतिन ने दूसरे रास्तों से कम दामों पर तेल देना शुरू कर दिया.

भारत को मिली थी छूट
CAATSA अधिनियम के तहत भारत को जो छूट मिली हुई थी वो 2019 में ही खत्म हो चुकी है. अमेरिका के बैन लगाने के बाद से ही भारत अब ईरान से ज्यादा कच्चा तेल नहीं खरीद रहा. भारत की जरूरत के मुताबिक पहले ईरान से 10% तेल दिया जाता था. भारत ने अप्रैल 2019 तक हर दिन ईरान से 2.77 लाख बैरल तेल खरीदा था. यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 57% तक कम था. अब भारत, ईरान की बजाय रूस, यूएई, इराक और सऊदी अरब जैसे देशों से तेल खरीद रहा है.

पाकिस्तान के सपोर्ट में नहीं ईरान
दूसरी ओर खामेनेई का ट्वीट देखते हुए इस बात को साफ अंदाजा लगा लिया गया है कि वह पाकिस्तान और वहां चल रही गतिविधियों का बिल्कुल सपोर्ट नहीं कर रहा, क्योंकि खामेनेई ने अपने ट्वीट में पाक का कहीं जिक्र नहीं किया. ईरान और पाकिस्तान के रिश्ते कुछ अच्छे नहीं नजर आ रहे हैं. पिछले ही दिनों ईरान में आठ पाकिस्तानियों के मारे जाने की भी खबर आई थी. वहीं, भारत और ईरान में रिश्तों में सुधार होता दिख रहा है. भारत, ईरान का चाबहार पोर्ट भी तैयार कर रहा है.

भारत से बिगाड़े थे रिश्ते
हालांकि, बीते वर्ष खामेनेई ने भारत के अल्पसंख्यकों पर चिंता जताते हुए जो बयान दिया था, उसने इन रिश्तों को थोड़े डगमगाय जरूर, लेकिन ट्रंप के आने के बाद तस्वीर पूरी तरह से बदली हुई नजर आ रही है. खामेनेई के बयानों से तो साफ अंदाजा लगाया जा रहा है कि ईरान ब्रिक्स (BRICS) देशों में शामिल होना चाहता है, जिसमें भारत, ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. वहीं, ऐसा माना जा रहा है कि अगर ईरान ब्रिक्स में शामिल होता है तो इसकी इकॉनॉमिक ताकत और मजबूत हो जाएगी.

क्यों ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है ईरान?
अब सवाल ये उठता है कि ईरान क्यों ब्रिक्स देशों में शुमार होना चाहता है? दरअसल, ब्रिक्स देशों का व्यापार आपस में ही काफी बढ़ गया है. 2017 से 2022 तक के आंकड़े देखे जाएं तो 56% तक व्यापार में बढ़ोतरी हुई है. अमेरिका ने 2023 में ब्रिक्स देशों से लगभग 578 बिलियन डॉलर का सामान खरीदा था. अब ब्रिक्स देश आपस में मिलकर ज्यादा काम करना चाहते हैं, जिससे कि उन्हें पश्चिमी देशों पर कम निर्भर रहना पड़े. वह अमेरिकी डॉलर पर कम और अपनी  मुद्राओं में ही ज्यादा व्यापार करना चाहते हैं.

आत्मनिर्भर बन रहे ब्रिक्स देश
इसी कड़ी में 2023 में रूस ने 53% विदेशी व्यापार चीनी युआन में किया था. इस तरह के बदलाव ब्रिक्स देशों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ मजबूत भी बना रहे हैं और एक-दूसरे को करीब लाने का काम कर रहे हैं. ऐसे में अब ईरान भी ब्रिक्स की इस तरह गतिविधियों का हिस्सा बनना चाहता है.

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