इजरायल पर ईरान का हमला, क्या फिर से भड़केगा परमाणु विवाद?

ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन का कहना है कि उनका देश परमाणु हथियार नहीं बनाना चाहता. अपनी बातचीत में वह इजरायल पर भी आरोप लगाने से पीछे नहीं हटे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 10, 2025, 11:18 PM IST
    • इजरायल पर नाराज ईरानी राष्ट्रपति
    • परमाणु हथियार पर भी खुलकर बात
इजरायल पर ईरान का हमला, क्या फिर से भड़केगा परमाणु विवाद?

नई दिल्ली: ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन (Masoud Pezeshkian) ने हाल ही में दोहराया है कि उनके देश ने कभी भी परमाणु हथियार बनाने की कोशिश नहीं की. उन्होंने देश के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के उस धार्मिक आदेश का हवाला दिया, जिसमें परमाणु हथियारों पर सख्त पाबंदी लगाई गई है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, पेजेशकियन का कहना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है. इसके लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ चल रहे सहयोग का उदाहरण दिया.  

इजरायल पर लगाए आरोप

यह बात उन्होंने नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोरे के साथ फोन पर बातचीत के दौरान कही. पेजेशकियन ने इजरायल पर क्षेत्र में तनाव का मुख्य कारण होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि तेल अवीव (इजरायल की राजधानी) ईरान की परमाणु गतिविधियों को खतरा बताने के लिए झूठे दावे करता है. साथ ही, उन्होंने बताया कि ईरान तनाव और लड़ाई को नुकसानदायक मानता है, लेकिन अपनी सुरक्षा और हितों को लेकर किसी भी खतरे का मजबूत जवाब देगा.

नॉर्वे के साथ रिश्ते

इस बातचीत के दौरान ही पेजेशकियन ने नॉर्वे के साथ सकारात्मक संबंधों की तारीफ की. नॉर्वे के प्रधानमंत्री ने भी ईरान के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने की इच्छा जताई और पश्चिम एशिया में शांतिपूर्ण समाधान के लिए समर्थन देने की बात कही.

अमेरिका और ईरान की बातचीत

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वे ईरान के परमाणु मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने गुरुवार को ईरानी नेतृत्व को एक पत्र भी भेजा है, लेकिन ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने शनिवार को इसे खारिज कर दिया. खामेनेई ने तेहरान में अधिकारियों के साथ बैठक में अमेरिका की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ धमकाने वाली शक्तियों की बातचीत का मकसद मुद्दों को हल करना नहीं, बल्कि ईरान पर अपनी मांगें थोपना है. उन्होंने साफ किया, 'उनकी बातचीत सुलह के लिए नहीं, बल्कि अपनी शक्ति दिखाने और इच्छाएं मनवाने के लिए है.'

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