America in Iran Vs Israel War: ईरान और इजरायल के बीच जंग जारी है, आज 5वां दिन है. दोनों देश एक-दूसरे पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं. इजराइल ने तेहरान पर सोमवार रात एयर स्ट्राइक की. ईरान ने भी इजरायल की राजधानी तेल अवीव और हाइफा को निशाना बनाते हुए बमबारी की. इजरायल द्वारा किए जा रहे हमलों में अब तक 224 ईरानी मारे जा चुके. ईरान के हमलों में 24 इजरायली मारे गए हैं. दोनों देशों की इस लड़ाई में तीसरे देश की एंट्री के कयास लगाए जा रहे हैं. ये देश दुनिया की सुपर पावर कहलाने वाला 'अमेरिका' है, जिसका नेतृत्व डोनाल्ड ट्रंप कर रहे हैं.
ईरान-इजरायल के युद्ध का कारण अमेरिका?
कुछ एक्सपर्ट्स ऐसा मानते हैं कि ईरान-इजरायल के युद्ध का कारण ही अमेरिका है. अमेरिका लगातार ईरान पर न्यूक्लियर डील साइन करने और परमाणु हथियार नहीं बनाने के लिए दबाव बना रहा था. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसको लेकर ईरान को कई बार प्रतिबंधों और हमला करने की धमकी दी. दूसरी ओर, इजरायल भी ये जानता था कि ईरान ने न्यूक्लियर बम बनाया तो मिडिल ईस्ट में उसकी पावर को चुनौती मिलेगी. इजरायल को पहले से अमेरिका का समर्थन हासिल है, इसलिए उसने हमला कर दिया. विशेषज्ञों का दावा है कि अमेरिका इस पिक्चर में ना होता, तो शायद ये युद्ध भी नहीं होता.
अमेरिका करेगा युद्ध में एंट्री?
जब से युद्ध शुरू हुआ है, इसकी संभावना लगातार बनी हुई है कि अमेरिका भी युद्ध में एंट्री कर सकता है. प्रत्यक्ष नहीं तो अप्रत्यक्ष तौर पर ही सही. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाल के 5 कदम बताते हैं कि इस युद्ध में अमेरिका की अहम भूमिका रहने वाली है.
1. युद्ध विराम के लिए शून्य प्रयास: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाक का संघर्ष रुकवाने के लिए 48 घंटे का टाइम लिया. इस दौरान ट्रंप, उनके उप राष्ट्रपति और विदेश मंत्री ने भारत-पाक के नेताओं से बात कर ली थी. रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने के लिए भी ट्रंप ने पुतिन और जेलेंस्की से चर्चा की. लेकिन इजरायल-ईरान युद्ध को रोकने में ट्रंप की खास दिलचस्पी नजर नहीं आ रही. उनका झुकाव स्पष्ट तौर पर इजरायली राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू की तरफ है.
2. G7 सम्मेलन बीच में छोड़कर जाना: कनाडा में चल रहे ग्रुप ऑफ सेवन (G7) शिखर सम्मेलन को डोनाल्ड ट्रंप बीच में ही छोड़कर जा चुके हैं. ट्रंप ने मिडिल ईस्ट के हालात को देखते हुए ये फैसला किया. वह अमेरिका में कुछ बड़े और अहम फैसले लेना चाह रहे हैं, जिनका नतीजा इस युद्ध पर पड़ने वाला है.
3. ईरानी लोगों से तेहरान खाली को कहा: डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ईरान के लोगों को चेतावनी देते हुए तेहरान को खाली करने के लिए कहा है. ट्रंप ने कहा है कि ईरान के लोग राजधानी को खाली कर दें, फिर कहीं और शिफ्ट हो जाएं. ये बयान दर्शाता है कि ईरान की राजधानी तेहरान में कुछ बड़ा होने वाला है.
4. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की मीटिंग बुलाई: G7 शिखर सम्मेलन बीच में छोड़कर जाने के बाद ट्रंप अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने वाले हैं. इस बैठक में अमेरिका मिडिल ईस्ट के हालात को देखकर कुछ बड़ा फैसला ले सकता है.
5. मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती: इजरायल और ईरान के युद्ध को देखते हुए अमेरिका मिडिल ईस्ट में अपने सैनिकों की तैनाती को बढ़ाने वाला है. पेंटागन के प्रमुख भी कह चुके हैं कि US मिडिल ईस्ट में 'अतिरिक्त क्षमताएं' तैनात करने जा रहा है.
'एक कॉल से अटैक रोक सकता है अमेरिका'
युद्ध के बीच ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा है कि अमेरिका सिर्फ एक फोन कॉल से इजरायल के हमलों को रोक सकता है. अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कूटनीति को लेकर ईमानदार हैं और युद्ध को रोकने में रुचि रखते हैं, तो अगले ही कदम परिणामकारी साबित होंगे.