'हिंदू राष्ट्र' बनने की राह पर निकल पड़ा नेपाल, राजशाही की मांग को लेकर सड़कों पर कूच!

नेपाल में एक बार फिर राजशाही और हिंदू राष्ट्र की मांग जोर पकड़ रही है.पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में लोग सड़कों पर उतर आए हैं. भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और शासन की अस्थिरता से जनता नाराज है. ऐसे में वे अब राजशाही को बेहतर विकल्प मान रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 20, 2025, 07:31 PM IST
  • नेपाल की जनता फैले भ्रष्टाचार से त्रस्त
  • हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग जोरों पर
'हिंदू राष्ट्र' बनने की राह पर निकल पड़ा नेपाल, राजशाही की मांग को लेकर सड़कों पर कूच!

नेपाल में एक बार फिर राजशाही की मांग तेज हो गई है. देश के कोने-कोने से लोग दोबारा नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग कर रहे हैं. इस बीच नेपाल की सड़कों पर, जिस नाम की सबसे तेज गूंज है, वह नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का नाम है. यही नाम 2006 में भी गूंजा था, जब नेपाल ने लोकतंत्र का दामन थामा था. और देश को धर्मनिरपेक्ष बनाया था. लेकिन अब ऐसा क्या हुआ कि फिर हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग की जा रही है, और बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर क्यों उतर आए. आइए जानते हैं.

हिंदू राष्ट्र की वापसी के लिए प्रदर्शन
लंबे समय से नेपाल की अर्थव्यवस्था और शासन व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है. रिपोर्ट के मुताबिक, भ्रष्टाचार अपने चरम पर है. हालात कुछ ऐसे हैं कि बड़ी संख्या में युवा नौकरी की तलाश में देश छोड़ रहे हैं. इन्हीं अव्यवस्था को लेकर स्थानीय लोग जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं.

नेपाल में जारी प्रदर्शन के बीच, केवल अव्यवस्था को दूर करने की मांग नहीं हो रही, बल्कि साथ में राजशाही और हिंदू राष्ट्र की वापसी की भी मांग तेज हो गई है. इसके लिए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का नाम देश भर में गूंज रहा है.

इसके लिए बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने पीएम आवास और संसद को घेर लिया. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 1,500 प्रदर्शनकारी बिजुलीबाजार-बनेश्वर में इकट्ठे हुए और 'गणतंत्र मुर्दाबाद, हमें राजशाही चाहिए, नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करो, जैसे नारों के बीच नेपाल गूंज उठा.

राजशाही का दौर बेहतर
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में फैली अव्यवस्था को लेकर लोगों में गहरी निराशा है. लोगों का मानना है कि सरकार को जिस तरह से काम करना चाहिए. वे उस तरह काम नहीं कर रहे हैं. चारों ओर भ्रष्टाचार फैला हुआ है.

इतना ही नहीं देश में राजनीतिक व्यवस्था भी अस्थिर है. कई लोगों को मंत्री बना दिया गया है. फिर भी भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो रहा है. नेपाल की जनता का मानना है कि इससे बेहतर तो राजशाही का दौर था.

राजशाही ही क्यों बेहतर?
इस सवाल का सही जवाब जानने के लिए हमें जरा पीछे जाना होगा. जब साल 2006 में नेपाल की राजनैतिक तस्वीर बदली, तब वहां की संसद ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर नेपाल को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया और राजशाही को पूरी तरह समाप्त कर दिया था.

इस फैसले के बाद से लोग काफी निराश हो गए थे. नेपाल के स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि बिना किसी बहस के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को सत्ता से बाहर करने पर उनके प्रति सहानभूति बढ़ गई थी. अब जब दूसरी ओर नेपाल भ्रष्टाचार से त्रस्त है, तब ऐसे में स्थानीय लोगों का मानना है कि देश में एक ऐसी ताकत होनी चाहिए, जो इन्हें रोक सके.

रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में मौजूदा राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल पार्टी सदस्य के रूप में काम करने का आरोप है. जिसकी वजह से स्थानीय लोगों में काफी गुस्सा है.

प्रदर्शन के बीच सैकड़ों गिरफ्तार
बता दें, नेपाल में जारी विरोध प्रदर्शन में केवल स्थानीय लोग ही शामिल नहीं हो रहे हैं, बल्कि स्कूली शिक्षक भी मौजदा सरकार का विरोध कर रहे हैं. वहीं नेपाल की स्थानीय राजनीतिक पार्टी आरपीपी ने ऐलान किया है कि वह अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकाल तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे.

वहीं पिछले दिनों हुए प्रदर्शन में नेपाल सुरक्षाबल ने सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया है. जबकि दो लोगों के मौत की सूचना है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं हि बढ़ते विरोध प्रदर्शन के बीच, नेपाल पूरी तरह हिंदू राष्ट्र बनने की राह पर निकल चुका है.

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