नई दिल्ली: दुनिया का हर ताकतवर देश बीते कुछ समय से हथियारों की ऐसी तकनीक विकसित करने में जुटा है जो अचूक भी हो और अदृश्य भी हो. जैसा इजरायल कर रहा है.


इजरायल ने तैयार की कमाल की तकनीक


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इजरायल ने अब एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए उसके सैनिक पत्थरों के बीच पत्थर जैसे दिखने लगेंगे. और उन्हें ना तो दुश्मन की आंखें ढूंढ सकती हैं और ना ही थर्मल डिटेक्टर ही खोज सकता है.



उपर दी हुई इस तस्वीर को देखकर हर कोई आसानी से बता सकते हैं कि ये एक पहाड़ी इलाका है. जहां बड़े-बड़े पत्थर पड़े हैं, जंगल भी है. तस्वीर में कुछ जंगली पेड़ और झाड़ियां भी दिख रही हैं.



उपर की तस्वीर का सीधा ताल्लुक फ्यूचर वॉर की तैयारियों से जुड़ा है. तस्वीर जिसे हर कोई पत्थर समझ लेगा, दरअसल वो एक किट है जिसे पहनकर सैनिक पहाड़ी इलाके में छिपे थे. और किसी हमले के लिए तैयार दिख रहे थे. ये दुश्मनों को धोखे में रखने वाली तकनीक है.


इजरायल के किट-300 को जानिए


जिसका नाम किट 300 है. इसे इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने वहीं की कंपनी पोलारिस सॉल्यूशन्स के साथ मिलकर तैयार की है. इसका वजन सिर्फ 500 ग्राम के करीब है और इसे सैनिक आसानी से लपेटकर दुश्मन की नजर से वर्चुअली अदृश्य हो सकते हैं. कंपनी का दावा है कि किट 300 ओढ़े सैनिकों को इंसानों की आंखों और थर्मल डिटेक्टर से भी नहीं देखा जा सकता.


 



तस्वीरों में भी आप देख सकते हैं कि किट को पहनने के बाद सैनिक नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसा लग रहा है जैसे इस पहाड़ी इलाके में कई पत्थर हैं.


आखिर इसे बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?


दरअसल, साल 2006 में लेबनान युद्ध के दौरान इजरायल की सेना का हिस्सा रहे असाफ ने अनुभव किया कि दुश्मन के थर्मल इमैजिंग उपकरण की नजर से वो बच नहीं पाते. ऐसे में थर्मल इमैजिंग से कैसे बचा जाए. इसी सवाल का जवाब ढूंढते-ढूंढते असाफ ने किट-300 बना दिया. आपको बता दें कि असाफ इस तकनीक को बनाने वाली कंपनी के सह-संस्थापक हैं.


आबादी के मामले में इजरायल बहुत छोटा सा देश है, लेकिन तकनीक के मामले में इजरायल का जवाब नहीं है. इजरायल के पास युद्ध की ऐसी-ऐसी तकनीक है कि वो युद्ध के मैदान में किसी टैंक को अदृश्य हथियार से पल भर में उड़ा सकता है.


टेक्नोलॉजी के मामले में इजरायल का जलवा


इजरायल की टेक्नोलॉजी का लोहा दुनिया ने हाल ही में हमास के खिलाफ हुई लड़ाई में भी देखा. कैसे इजरायल ने हमास के सैकड़ों रॉकेट को हवा में ही आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम की मदद से तबाह कर दिया. इजरायल रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल कर रहा है.


सिर्फ एक आदमी कॉफी शॉप में बैठकर दुश्मनों की गाड़ियों के काफिले पर हमला कर सकता है. किस तरह टेक्नोलॉजी की मदद से काफिले की एक-एक गाड़ी को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा सकता है. इसे दिखाने की क्षमता इज़रायल के पास बखूबी है.


बदलते रहे हैं युद्ध के तौर तरीके


जैसे इजरायल ने अदृश्य फोर्स बनाई है, वैसे ही इंग्लैंड की नेवी उड़ने वाले जेट सूट बना चुकी है. दुनिया में इस तरह की टेक्नोलॉजी पर लगातार काम हो रहा है. निश्चित तौर पर युद्ध की ये परम्परा रही है महाभारत से ले कर प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध और आज के आधुनिक समय मे युद्ध के तौर तरीके बदलते रहे हैं.


इजरायल और यूके के नये अविष्कार इसकी कड़ी है. आज के समय मे युद्ध मे अपने सैनिकों का कम नुकसान और दुश्मन को अधिक नुकसान को ध्यान में रख कर अविष्कार किये जा रहे है. इस तरह के शोध सभी देश करते रहते है, पर जब तक प्रयोग सफल नहीं होते तब तक ये अविष्कार दुनिया के सामने नही आते हैं.


इजरायल के अलावा भारत, अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे देश रक्षा क्षेत्र में नये-नये प्रयोग कर रहे हैं. मकसद ऐसे हथियारों का जखीरा तैयार करना है जो अदृश्य और अचूक हो. यानी जिसे दुश्मन देख ना पाए और जिसके वार से दुश्मन बच भी ना पाए.


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समय बदल रहा है, चुनौतियां बदल रही हैं और युद्ध के तरीके भी बदल रहे हैं. श्रीनगर में ड्रोन आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार भविष्य की रक्षा चुनौतियों से निपटने का प्लान बना रही है. भारत को चीन, पाकिस्तान और आतंकवाद... इन तीन मोर्चों पर तैयारी करनी है. निश्चित तौर पर आने वाले समय में युद्ध सैनिकों की संख्या से नहीं तकनीक की ताकत से ही लड़े जाएंगे. इसे इजरायल बखूबी समझता है.


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