1000 किलो का विस्फोटक! मिसाइल में बैठकर हमला करता था पायलट, सुनते ही दहशत से कांपते थे दुश्मन!

Yokosuka MXY-7 Ohka: योकोसुका MXY-7 ओह्का जापान का आत्मघाती रॉकेट-संचालित विमान था, जिसे अमेरिकी युद्धपोतों और जहाजों को तबाह करने के लिए बनाया गया था.  

Written by - harsh singh | Last Updated : Oct 4, 2025, 11:13 AM IST

    1000 किलो विस्फोटक से लैस ओह्का

    पायलट बैठकर करता था आत्मघाती हमला

1000 किलो का विस्फोटक! मिसाइल में बैठकर हमला करता था पायलट, सुनते ही दहशत से कांपते थे दुश्मन!

Yokosuka MXY-7 Ohka: दूसरे विश्व युद्ध के दौरान दुनिया भर के देशों ने कई तरीके हथियार बनाएं थे. इसी दौरान जापान ने एक ऐसा हथियार बनाया था जिसने दुश्मन की ताकत को सीधे निशाने पर लेने का काम किया था. इसे योकोसुका MXY-7 ओह्का कहा जाता था. ओह्का एक छोटे आकार का रॉकेट-संचालित विमान था, जिसे पायलट द्वारा कंट्रोल किया जाता था और यह अपने लक्ष्य पर पूरी ताकत से टकराने के लिए डिजाइन किया गया था. इसे अक्सर काइट बम भी कहा जाता था.

युद्धपोतों और जहाजों का काल 
ओह्का का मकसद अमेरिकी युद्धपोतों और जहाजों को नुकसान पहुंचाना था. यह विमान इतना तेज और शक्तिशाली था कि इसे रोक पाना बेहद मुश्किल था. इसकी रफ्तार और सटीकता ने इसे समुद्री युद्धों में खतरनाक हथियार बना दिया. ओह्का को लॉन्च करने के लिए मातृविमान का उपयोग किया जाता था. बड़े जापानी या जर्मन विमानों पर इसे बांधकर टारगेट की गई जहाजों की ओर छोड़ा जाता था. जैसे ही यह टारगेट के पास पहुंचता, पायलट विमान को सीधे जहाज से टकरा देता था, जिससे जहाज तबाह हो जाता था. साथ में पायलेट की भी मृत्यु हो जाती थी.

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1000 किलो विस्फोटक
ओह्का के अंदर लगभग 1000 किलो विस्फोटक पदार्थ भरा होता था, जिसकी वजह से यह टकराते ही भारी तबाही मचाता था. साथ ही ये पलक झपकते ही 900KM की रफ्तार पकड़ लेता था. हालांकि, इसे इस्तेमाल करना बहुत जोखिम भरा था क्योंकि इसमें बैठा पायलट जान से हाथ धो बैठता था. इस वजह से इसे आत्मघाती हथियार माना जाता था.

इतिहास में ओह्का की कई हमले की घटनाएं दर्ज हैं. इन्हें प्रशांत महासागर के युद्धों में अमेरिकी जहाजों पर परीक्षण किया गया था. कई जहाजों को नुकसान पहुंचाने में ओह्का सफल रहा, लेकिन इसकी सीमित संख्या और पायलटों की कठिनाई ने इसे बड़े पैमाने पर प्रभावी होने से रोक दिया है.

ओह्का ने युद्ध में नई रणनीतियों और आत्मघाती हथियारों की सोच को जन्म दिया था. हालांकि यह अत्यंत विनाशकारी था, लेकिन इसके उपयोग ने यह भी दिखाया कि युद्ध में टेक्नोलॉजी और साहस दोनों की बराबरी की भूमिका होती है. आज इसे इतिहास में युद्ध तकनीक और आत्मघाती हथियारों के एक अनोखे उदाहरण के रूप में याद किया जाता है.

ओह्का का नाम और उसकी कहानी यह बताती है कि युद्ध में कभी-कभी इंसानी हिम्मत और मशीन की ताकत को मिलाकर किस तरह के हथियार तैयार किए जा सकते हैं.
 

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harsh singh

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