किम जोंग की 'मौकाटेरियन नीति'; ट्रंप के कमजोर पड़ते ही कैसे बढ़ा रहे खुद की ताकत?

Kim Jong And Donald Trump: उत्तर कोरिया के तानाशाह ने रूस-यूक्रेन युद्ध और ट्रंप के कमजोर होने पर खुद की ताकत बढ़ाने का मौका पा लिया है. किम चाहते हैं कि अगले 10 साल में नॉर्थ कोरिया के पास ब्रिटेन से भी अधिक परमाणु हथियार हों. इस दिशा में उन्होंने काम भी शुरू कर दिया है. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Mar 10, 2025, 11:05 AM IST
  • किम जोंग ने रूस को दिए अपने सैनिक
  • बदले में न्यूक्लियर पावर बढ़ाने में मदद मिली
किम जोंग की 'मौकाटेरियन नीति'; ट्रंप के कमजोर पड़ते ही कैसे बढ़ा रहे खुद की ताकत?

Kim Jong And Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप की ताकत का ग्राफ इन दिनों विश्व में गिर गया है. पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से हुई बहस ने संदेश दिया कि जो देश अमेरिका की मेहरबानी पर युद्ध लड़ रहा है, वही उसे आंखें दिखा रहा है. इसके बाद अरब देशों ने काहिरा में एक मीटिंग की, जिसमें ट्रंप के 'गाजा प्लान' को खारिज कर इजिप्ट का ब्लूप्रिंट पास कर दिया गया. वैश्विक स्तर पर ट्रंप की छवि को ये दो बड़े झटके लगे. अब इनका फायदा उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर और तानाशाह किम जोंग उन उठाना चाह रहे हैं.

किम परमाणु हथियार बढ़ाने की फिराक में
नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग ने परमाणु कार्यक्रम बढ़ाने के लिए हरी झंडी दिखा दी है. इसके लिए किम ने स्पेशल टीम बनाई है, जो न्यूक्लियर प्रोग्राम पर तेजी से काम कर रही है. किम चाहते हैं कि जल्द से जल्द नॉर्थ कोरिया परमाणु हथियारों का जखीरा तैयार कर ले. इसको लेकर काम भी शुरू हो चुका है. नॉर्थ कोरिया में कई सीक्रेट इलाकों में लैब भी बना ली गई हैं.

2035 तक 300 परमाणु बम बनाने का टारगेट
यूरोप की खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट दी है कि किम जोंग ने रूस की मदद लेते हुए परमाणु बम बनाने की दिशा में बड़े कदम बढ़ाए हैं. कयास हैं कि साल 2035 तक नॉर्थ कोरिया ब्रिटेन से अधिक परमाणु हथियार बना लेगा. आगामी 10 साल में 300 परमाणु बम बनाने का लक्ष्य रखा गया है. फिलहाल नॉर्थ कोरिया के  पास 50 परमाणु बम बताए जाते हैं. जबकि ब्रिटेन के पास 225 परमाणु वेपन हैं.

किम जोंग ने कैसे अपनाई 'मौकाटेरियन नीति?
किम जोंग ने नॉर्थ कोरिया के सैनिक रूस के समर्थन में खड़े कर दिए, जो मोर्चे पर यूक्रेन से युद्ध लड़ रहे हैं. हाल के कुर्स्क हमले में भी कोरियाई सैनिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा. इसके एवज में किम ने परमाणु हथियार बनाने के लिए रूस का समर्थन ले लिया है. पुतिन को किम ने अपने पक्ष में खड़ा कर लिया और ट्रंप खुद-ब-खुद कमजोर होते जा रहे हैं. लिहाजा, अब किम को रोकने वाला कोई नहीं हैं. ट्रंप की कमजोरी और रूस-यूक्रेन युद्ध किम के लिए ऐसा मौका है, जिसे पाकर वे खुद की न्यूक्लियर पावर बढ़ाने में लग गए हैं.  

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