जानिए, कोरोना पर चीन ने कितने झूठ बोले? बेनकाब करने वाली रिपोर्ट

कोरोना से जुड़ी एक या दो नहीं बल्कि ढ़ेर सारी सच्चाई को छिपाकर चीन ने झूठ का महल बना रखा है. लेकिन आज हम आपको इस खास रिपोर्ट के जरिए ये समझाएंगे कि इस वैश्विक महामारी से जुड़ी कौन-कौन सी बड़ी सच्चाई दुनिया से छिपा रहा है चीन? पढ़िए, चाइना को बेनकाब करने वाली रिपोर्ट

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Mar 25, 2020, 05:41 AM IST
    1. दुनिया से कोरोना का सच छिपा रहा है चीन?
    2. कोरोना को लेकर क्या है चीन की असलियत?
    3. "वुहान में बना एक जैविक हथियार है कोरोना वायरस"
    4. मौत के आंकड़े पर सच्चाई छिपाना चाहता है चीन?
जानिए, कोरोना पर चीन ने कितने झूठ बोले? बेनकाब करने वाली रिपोर्ट

नई दिल्ली: कोरोना वायरस पर चीन का रवैया शुरूआत से ही संदिग्ध रहा है. ऐसी कई रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कोरोना वायरस को चीन का जैविक हथियार माना गया है, हालांकि चीन इससे साफ इनकार करता रहा है. लेकिन चीन की मंशा और उसकी सफाई दोनों में काफी अंतर है. कोरोना वायरस कहां से फैला और कैसे फैला चीन इसकी जांच कर रहा है, लेकिन चीन ने इस जांच में विश्व स्वास्थ्य संगठन को शामिल नहीं किया.

दुनिया से कोरोना का सच छिपा रहा है चीन?

कोरोना वायरस को चीन सामान्य वायरस बताकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा है लेकिन दुनिया को उसकी बात पर यकीन नहीं है. कोरोना वायरस को लेकर दुनिया के कई विशेषज्ञों और संस्थाओं ने चीन पर सवाल उठाए हैं. अब चीन का एक और कदम उसकी मंशा को जाहिर कर रहा है.

चीन सरकार वुहान में कोरोना वायरस के फैलाव की जांच कर रही है लेकिन इस जांच में चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को शामिल ही नहीं किया है. WHO स्वास्थ्य से जुड़ी दुनिया की सर्वोच्च संस्था है. दुनिया में स्वास्थ्य से जुड़ी गाइडलाइंस भी WHO ही तय करता है. 

कोरोना को लेकर क्या है चीन की असलियत?

ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर चीन ने जांच में WHO को शामिल क्यों नहीं किया? WHO की जांच से जैविक हथियार का सच दुनिया के सामने आए जाएगा?

कोरोना के फैलाव की जांच में WHO को शामिल नहीं कर चीन ने खुद अपने ऊपर सवाल खड़े करने का मौका दुनिया को दिया है. क्या कोरोना वायरस जैविक हथियार की देन और क्या इसके पीछे चीन का ही हाथ है. इस पर पिछले दो महीने में कई बार सवाल उठ चुके हैं और कई रिपोर्ट भी सामने आ चुकी है.

"वुहान में बना एक जैविक हथियार है कोरोना वायरस"

अब अमेरिका के टेक्सास के ज्यूडिशियल वॉच एंड फ्रीडम वॉच के कोफाउंडर लैरी क्लेमैन ने भी दावा किया है कोरोना वायरस चीन के वुहान में बना एक जैविक हथियार है. क्लेमैन का दावा है कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में ही वायरस तैयार किया गया था. लैरी क्लेमैन ने वुहान के इंस्टीट्यूट पर 20 ट्रिलियन डॉलर का मुकदमा दायर कर दिया है. 

लेरी क्लेमैन ने वायरस के लिए चीन की सेना और वुहान के लैब को जिम्मेदार ठहराया है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पाम्पियो ने भी कोरोना को वुहान वायरस कहा था.  चीन के एक इंटेलिजेंस एजेंसी के अफसर की एक रिपोर्ट में भी दावा किया गया था कि कोरोना वुहान की लैब में तैयार वायरस है.

मौत के आंकड़े पर सच्चाई छिपाना चाहता है चीन?

कोरोना वायरस का जन्मदाता देश पूरी दुनिया से एक-एक सच छिपाकर झूठ की दुकान सजा रहा है. कोरोना को लेकर चीन एक के बाद एक झूठ बोलता दिखाई दे रहा है. लेकिन जो दावे सामने आ रहे हैं वो चीन की असलियत को बेनकाब कर देती है. ऐसा खुलासा हुआ है कि चीन के कोरोना प्रभावित वुहान प्रांत में लगभग 1.5 करोड़ मोबाइल यूजर लापता हैं. ऐसे में ये शंका जताई जा रही है कि कहीं ये लोग कोरोना के कहर के शिकार तो नहीं हो गए हैं.

दरअसल, ये सनसनीखेज खुलासा न्यूयॉर्क में रहने वाली हांगकांग की ब्लॉगर जेनिफर जेंग किया है. जेनिफर ने जो रिपोर्ट पेश और तथ्य पेश किए हैं, वो वाकई डराने वाले हैं.

झूठा चीन छिपा रहा है आंकड़े, वहां 1.5 करोड़ लोगों के मरने की आशंका है!!

अभी कोरोना जो पूरी दुनिया के लिए जहर बन चुकी है, उसका कहर थमा ही नहीं था कि चीन ने एक और वायरस की उत्पत्ति कर दी है. इस नए वायरस का नाम हंता वायरस बताया जा रहा है, जानकारी के अनुसार इसके चलते चीन में एक शख्स ने अपनी जान भी गंवा दी है. अब कोरोना के बाद हंता का क्या दुष्प्रभाव पड़ता है ये देखना दुनिया को अभी बाकी है.

एक या दो दफा नहीं, बल्कि बार-बार चीन दुनिया से सच्चाई को छिपाकर अपने झूठे चरित्र का प्रदर्शन करता है. शायद यही वजह है कि उसने WHO को जांच के लिए इनकार कर दिया. लेकिन, आपको यहां एक और जानकारी से रूबरू होना चाहिए. 

चीन की पोल उसी की मीडिया ने खोल दी, जिसमें ये दावा किया गया था कि चीन ने 21 दिनों तक कोरोना का सच पूरी दुनिया से छिपाए रखा. इस दावे में ये जानकारी दी गई कि चीन के हुबेई प्रांत में 17 नवंबर 2019 को ही कोरोना वायरस का पहला मरीज ट्रेस कर लिया गया था. लेकिन, चीन ने कोरोना के पहले मरीज के बारे में जानकारी 8 दिसंबर 2019 को दी. यानी 21 दिनों तक अपना असली चेहरा दुनिया से छिपाता रहा.

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चीन की ऐसी ही करतूत उसके असली चेहरे से एक-एक करके सारे पर्दे उठा रही है. उसकी असलियत धीरे-धीरे पूरी दुनिया के सामने आ रही है. लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर चीन ऐसी कौन सी बड़ी बात पूरे विश्व से छिपाना चाहता है, जिसके चलते वो WHO को जांच के लिए आने से मना कर रहा है.

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