नई दिल्लीः गलवान घाटी का मुद्दा अभी भी गर्म है. भारतीय सैनिकों की वीरगति से लद्दाख सीमा पर जारी तनाव को खत्म करने के भारत की ओर से जो प्रयास हो रहे थे, चीन ने उस पर अपनी धोखेबाजी और बेशर्मी का पानी फेर दिया है.
इन सभी बहस-मुबाहिसों के बीच बुधवार शाम को एक पोस्टर काफी चर्चित होने लगा. सोशल मीडिया पर तैरते हुए यह पोस्टर हर उंगली की पहुंच में था जिसे काफी शेयर किया गया. पोस्टर भगवान श्रीराम से जुड़ा हुआ है.
वायरल हुआ पोस्टर
सोशल मीडिया पर जो पोस्टर तैर रहा है उसमें आक्रामक अवस्था श्रीराम धनुष पर बाण संधान किए हुए हैं और एक ड्रैगन की ओर निशाना साधे हुए हैं. इसके दाएं कोने में लिखा है. इसके दाएं कोने में लिखा है, WE CONQUER, WE KILL.
Photo of the Day: India's Rama takes on China's dragon https://t.co/7jbcXqgmxq pic.twitter.com/hC7DRGCDR2
— Taiwan News (@TaiwanNews886) June 17, 2020
यह तस्वीर ताइवान से वायरल होना शुरू हुई और देर शाम तक दुनिया भर में पहुंच गई. ताइवान से इसके वायरल होने का संबंध यह है कि इसे ताइवान न्यूज ने प्रकाशित किया है और 'फ़ोटो ऑफ द डे' शीर्षक दिया है. ताइवान न्यूज ने लिखा, भारत के राम ने चीन के ड्रैगन को मारा.
ताइवान दिखा रहा है बुराई पर अच्छाई की जीत
ताइवान में इस पोस्टर के छपने के कई मायने हैं. श्रीराम के व्यक्तित्व के तौर पर ही देखें तो इस ताइवान ने इस तरह भारत को मर्यादित देश के रूप में पहचान दी है और चीन के ड्रैगन से शातिराना व्यवहार झलक रहा है. इसके साथ ही ताइवान, बुराई पर अच्छाई की जीत की सकारात्मक मंशा को भी जाहिर कर रहा है. इस एक तरीके से ताइवान ने भारत के प्रति भरोसा और उसकी नीतियों के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया है.
लेकिन ताइवान ने ऐसा क्यों किया है
इस बात की गहराई के लिए बस एक महीने पीछे चलते हैं. बीती मई में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने चीन को दो टूक जवाब दिया कि 'लोकतांत्रिक ताइवान चीन के नियम-कानून कभी कबूल नहीं करेगा और चीन को इस हकीकत के साथ शांति से जीने का तरीक़ा खोजना होगा.'
उनका यह कथन इस बात की खुली तस्दीक करता है कि चीन की विस्तारवादी कितनी घृणित है और करीब सवा दो करोड़ की आबादी वाला यह स्वतंत्र देश खुद इसी वजह से चीन से परेशान है.
चीन के साथ मेजर जनरल स्तर की वार्ता रही असफल
वन चाइना पॉलिसी ताइवान की परेशानी
दरअसल, चीन, ताइवान को अपना अंग समझता है और इस द्वीपीय देश पर उसकी लंबे समय से नजर है. बल्कि जैसे इधर तिब्बत मुद्दा है. ठीक वैसे ही दूसरी ओर ताइवान. ताइवान हमेशा से वन चाइना पॉलिसी का विरोध करता रहा है और चीन ने अभी हाल में कोरोना संकट के समय WHO में ताइवान का दर्जा खत्म करते हुए उसे अलग-थलग करना चाहता रहा है.
भारत-ताइवान में रहे हैं सॉफ्ट कॉर्नर
चीन का मानना है कि ताइवान उसका क्षेत्र है. चीन का कहना है कि ज़रूरत पड़ने पर ताकत के बल पर उस पर कब्जा किया जा सकता है. इसी नीति को लेकर दोनों देशों में टकराव की स्थिति रही है. भारत ने ताइवान को लेकर हमेशा सॉफ्ट कॉर्नर दिखाया है.
बल्कि पिछले महीने 18 मई को हुई WHO की बैठक में यूरोपियन य़ूनियन के साथ दुनिया के करीब जिन 120 देशों ने चीन के साथ WHO की भूमिका की जांच के लिए दबाव बनाया था, भारत भी उसमें शामिल था.
कोरोना से जंग को लेकर ताइवान की हुई है प्रशंसा
जानकारी के मुताबिक WHO ने चीन से नजदीकी के कारण कोरोना को लेकर ताइवान की ओर से दी जा रही चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया था. जबकि यह स्वतंत्र देश काफी पहले स्थिति को भांपकर कोरोना को महामारी के रूप में फैलने का अनुमान लगा चुका था. ताइवान की बाद में कोरोना से सफलता पूर्व निपटने के कारण प्रशंसा भी हुई.
बुधवार शाम चीनी सेना के साथ जारी भारतीय सेना के गतिरोध को लेकर जो पोस्टर जारी किया गया है, वह दो देशों के बीच बने रहे सौहार्द की एक झलक है.
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