ओमिक्रॉन वायरस से खत्म हो सकती है कोरोना महामारी, शोध में चौंकाने वाला खुलासा

दक्षिण अफ्रीका में अस्पताल में भर्ती और मौत के मामले काफी कम हैं. इस नए वायरस से संक्रमित मरीज जल्द ठीक हो जाता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 30, 2021, 07:42 PM IST
  • यह विशेष रूप से गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है
  • थकान, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द जैसे हल्के लक्षण
ओमिक्रॉन वायरस से खत्म हो सकती है कोरोना महामारी, शोध में चौंकाने वाला खुलासा

क्वींसलैंड (ऑस्ट्रेलिया): ओमिक्रॉन वेरिएंट को समझने के मामले में ये बहुत शुरुआती दिन हैं. जो ज्ञात है वह यह है कि इसमें बड़ी संख्या में उत्परिवर्तन (म्यूटेंट) होते हैं, विशेष रूप से स्पाइक प्रोटीन में. वहीं लगता है कि यह दुनिया के कुछ खास हिस्सों में तेजी से फैल रहा है. 

महामारी विशेषज्ञ प्रोफेसर कर्ल लूटरबैच कहते हैं कि अफ्रीका से मिले बहुत शुरुआती संकेत बताते हैं कि यह विशेष रूप से गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है. दक्षिण अफ्रीका में अस्पताल में भर्ती और मौत के मामले काफी कम हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक ओमिक्रॉन वेरिएंट थकान, सिरदर्द और मांस पेशियों में दर्द जैसे हल्के लक्षण देता है. इससे संक्रमित मरीज जल्द ठीक हो जाता है.

ज्ञानिकों के मुताबिक ये वैरिएंट क्रिसमस गिफ्ट जैसा साबित हो सकता है क्योंकि इस वैरिएंट से ज्यादा लोग संक्रमित होंगे तो कोरोना महामारी के खात्मे की रफ्तार बढ़ जाएगी. वहीं लोगों की जान भी नहीं जाएगी. हालांकि वैज्ञानिकों ने ये भी कहा है कि इस वैरिएंट के प्रभाव का पूरी तरह आंकलन के लिए उन्हें दो हफ्ते और चाहिए. 

पर डब्ल्यूएचओ ने सावधानी बरतने को कहा है
हालांकि इन वैज्ञानिकों के विपरीत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उपलब्ध सीमित आंकड़ों को देखते हुए सावधानी बरतने का आग्रह किया है. इस बिंदु पर, यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें डेल्टा जैसे अन्य सार्स-कोव-2 उपभेदों की तुलना में टीकों से बचने की कोई बड़ी क्षमता है या नहीं. 

ये भी पढ़ें- Surya Grahan 2021: 4 दिसंबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, जानें कहां और कब दिखेगा

मायक्सोमैटोसिस के उदाहरण से समझें
सेंटर फॉर प्लेनेटरी हेल्थ एंड फूड सिक्योरिटी, ग्रिफ़िथ यूनिवर्सिटी साउथ ईस्ट के निदेशक हामिश मैक्कलम के मुताबिक एक बार बड़ी आबादी में स्थापित हो जाने के बाद वायरस का कम प्रभावी (अर्थात कम गंभीर बीमारी का कारण) होना बहुत आम है. मायक्सोमैटोसिस इसका श्रेष्ठ उदाहरण है, जिसने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में सामने आने पर 99% खरगोशों को मार डाला था, लेकिन अब इसका प्रभाव कम हो चुका है और यह बहुत कम मृत्यु दर का कारण बनता है.

कुछ विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि कोविड भी कम गंभीर हो जाएगा क्योंकि यह बीमारी के एक स्थानिक स्तर पर संक्रमण करता है . किसी खास स्थान पर संक्रमण के अनुमानित पैटर्न में बस जाता है. यह संभव है कि ओमिक्रोन संस्करण इस प्रक्रिया में पहला कदम हो. 

क्रमिक विकासवादी जीव विज्ञान से पता चलता है कि यदि वे वर्तमान उपभेदों की तुलना में मानव आबादी में अधिक तेजी से बढ़ते हैं तो वेरिएंट के पनपने की संभावना अधिक होती है. इसका मतलब दो चीजें हैं: उच्च आर संख्या वाले उपभेद (मूल प्रजनन संख्या, या एक संक्रामक व्यक्ति द्वारा संक्रमित होने वाले लोगों की औसत संख्या) कम आर संख्या वाले लोगों की जगह लेंगे.

इसके अतिरिक्त, ऐसे उपभेद जो मेजबान को पहले संक्रामक बना देते हैं, उन उपभेदों की जगह ले लेंगे जिन्हें संक्रामक होने में अधिक समय लगता है. 

ये भी पढ़ें- TET Paper लीक मामला: एक और बड़ी गिरफ्तारी, पता चलेगा कैसे लीक हुआ पेपर

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

ट्रेंडिंग न्यूज़