Opinion: 100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली! ट्रंप दूसरों को परमाणु हथियार बनाने से रोक रहे, अपने गिरेबान में क्यों नहीं झांकते?

Opinion on Donald Trump Nuclear Weapon Statement: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एशिया में परमाणु हथियारों के निर्माण को लेकर मची होड़ पर चिंता व्यक्त की है. ट्रंप चाहते हैं कि परमाणु हथियारों में कटौती की जाए. इसके लिए आने वाले दिनों में वे बातचीत भी कर सकते हैं.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Mar 21, 2025, 07:55 PM IST
  • हिरोशिमा-नागासाकी पर अमेरिका ने किया था अटैक
  • अब तक भी नहीं भरा जापान को ये पुराना जख्म
Opinion: 100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली! ट्रंप दूसरों को परमाणु हथियार बनाने से रोक रहे, अपने गिरेबान में क्यों नहीं झांकते?

Opinion on Donald Trump Nuclear Weapon Statement: 6 अगस्त 1945 की सुबह, सवा आठ बज गए थे. जापान के हिरोशिमा की सड़कों पर लोग अपने दिन की शुरुआत कर रहे थे. बच्चे बैग टांगे स्कूल पहुंचे ही थे, इस उम्मीद में कि पढ़कर भविष्य सवारेंगे. मगर उन्हें इस बात का कहां इल्म था कि वे आने वाले चंद सेकेंड भी नहीं देख पाएंगे. 8 बजकर 15 मिनट पर आसमान से अचानक मौत बरसी. अमेरिका ने 'लिटिल बॉय' नामक परमाणु बम गिराया, पलक झपकते ही शहर राख में तब्दील हो गया. सैकड़ों मील तक सिर्फ जलते हुए मलबे दिख रहे थे और चीखें सुनाई दे रही थीं. जापान इस अटैक से उबर भी नहीं पाया था कि तीन दिन बाद, 9 अगस्त को नागासाकी पर 'फैटमैन' ने वही कहर बरपाया. सब कुछ उस आग में स्वाहा हो गया. इस पर कवि अज्ञेय ने लिखा- 'मानव का रचा हुआ सूरज, मानव को भाप बनाकर सोख गया...पत्‍थर पर लिखी हुई यह जली हुई छाया मानव की साखी है.' अनुमान है कि इन हमलों में 2 लाख से ज्यादा लोग मारे गए. जो बचे, वे जिंदगी भर विकिरण के दंश को झेलते रहे. यह मानव इतिहास का सबसे क्रूर अध्याय था, जिसे लिखने वाला कोई और नहीं, बल्कि अमेरिका था.

अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों 'शांति दूत' बने हुए हैं. रूस-यूक्रेन के युद्ध का निपटारा तो करवा ही रहे हैं, साथ में दूसरे देशों को भी युद्ध से बचने की सलाह दे रहे हैं. अब ट्रंप भारत, पाकिस्तान, और चीन में बढ़ते हुए परमाणु हथियारों की वजह से चिंतित हैं. 'शांति व्यवस्था के ध्वज वाहक' ट्रंप चाहते हैं कि एशिया में परमाणु हथियारों की रेस कम हो. ट्रंप चाहते हैं कि आने वाले दिनों में परमाणु हथियारों में कटौती की जाए. लेकिन ये तो वही बात हुई, 100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली. क्योंकि अमेरिका ने अपने पास परमाणु हथियारों पर्याप्त जखीरा इकट्ठा कर लिया है.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस (SIPRI) 2023 की रिपोर्ट बताती है कि रूस और अमेरिका यानी इन दो महाशक्तियों के पास दुनिया के कुल परमाणु हथियारों का 90% भंडार है. अमेरिका के पास लगभग 3,708 परमाणु हथियार हैं. इनमें से करीब 1,770 हथियार तैनात हैं. अमेरिका के पास 5,044 वॉरहेड्स (सक्रिय और निष्क्रिय सहित) होने का अनुमान है. 

साल 2017 में दुनिया परमाणु हथियारों से मुक्त हो सकती थी. जुलाई के महीने में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने एक ऐतिहासिक समझौते को मंजूरी दी, जिसे 'परमाणु हथियार निषेध संधि' (Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons - TPNW) कहा गया. इस संधि का उद्देश्य परमाणु हथियारों के विकास, परीक्षण, उत्पादन, भंडारण, और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना था. 7 जुलाई, 2017 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुए मतदान में 122 देशों ने इस संधि के पक्ष में वोट दिया. समझौते के तहत न केवल परमाणु हथियारों को खत्म करने की बात थी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना था कि भविष्य में कोई देश इनका इस्तेमाल न करे. अमेरिका ने UN के इस प्रस्ताव का बहिष्कार किया था. ये वाकया तब का है, जब ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति हुआ करते थे. 1987 की INF संधि (Intermediate-Range Nuclear Forces Treaty) से 2019 में ट्रंप प्रशासन ने बाहर निकलने का फैसला लिया था. यह संधि मध्यम दूरी के परमाणु हथियारों के प्रोडक्शन को सीमित करती थी, लेकिन अमेरिका ने इसे खत्म कर अपनी सैन्य ताकत को प्राथमिकता दी.

22 दिसंबर 2016, राष्ट्रपति बनने से पहले ट्रंप ने ट्वीट किया था- 'संयुक्त राज्य अमेरिका को अपनी परमाणु क्षमता को मजबूत और विस्तार करना चाहिए, जब तक कि दुनिया परमाणु हथियारों के प्रति समझदार न हो जाए.' 15 मार्च 2017 को, MSNBC के साथ एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, 'मैं परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने वाला पहला नहीं बनना चाहता, लेकिन अगर हमारे पास हैं, तो हम उनका इस्तेमाल क्यों न करें?' ट्रंप की इस दोहरी नीति पर, तुम्हारा कुत्ता 'कुत्ता' और हमारा 'टॉमी' कहावत सटीक बैठती है. ट्रंप के पूर्व के कथनों से स्पष्ट है कि खुद न्यूक्लियर वेपन से परहेज नहीं बरतते हैं, लेकिन दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाने के लिए तैयार खड़े हैं.

नोट: लेख में कही हुई बात लेखक के निजी विचार हैं.

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