Pakistan to end Tashkent Agreement: भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ गया है. जहां भारत ने पाक के खिलाफ सिंधु जल समझौता रोकने सहित कई फैसले लिए तो दूसरी तरफ गुरुवार को पाक ने भी भारत के विरुद्ध कदम उठाए, जिसमें शिमला समझौता रद्द करने जैसे फैसले थे.अब जहां दोनों ओर तनाव में वृद्धि हो रही है तो इस बीच एक और जानकारी मिल रही है कि पाकिस्तान ताशकंद समझौते को भी तोड़ सकता है.
IDRW की खबर में कुछ रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया गया कि पाकिस्तान 1966 के ताशकंद समझौते से हटने पर विचार कर रहा है. यह समझौता 1965 के युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत के साथ हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक शांति समझौता है.
10 जनवरी, 1966 को भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच ताशकंद समझौता हुआ, जिससे 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध को खत्म करने में मदद मिली. इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति बहाल करना और संबंधों को सामान्य बनाना था. इसकी मध्यस्थता सोवियत प्रधानमंत्री एलेक्सी कोसिगिन ने की थी. यह समझौता उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में हुआ था. यह उस समय USSR का हिस्सा था.
पिछले कुछ दशकों में ताशकंद समझौते की प्रासंगिकता कम होती गई है, क्योंकि कश्मीर विवाद अभी भी विवाद का एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है. समझौते से पीछे हटने पर पाकिस्तान का विचार इस बदलती गतिशीलता और अतीत की शांति प्रतिबद्धताओं की संभावित अस्वीकृति को दिखाएगा.
पहलगाम हमला
भारत ने बार-बार होने वाले आतंकी हमलों का हवाला देते हुए पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को आधिकारिक तौर पर निलंबित कर दिया है. यह कदम पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय समझौतों के प्रति भारत के दृष्टिकोण में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है. रिपोर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान 1972 के शिमला समझौते के बाद 1966 के ताशकंद समझौते को निलंबित करके जवाबी कार्रवाई कर सकता है. बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे. लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट ने क्रूर हत्याओं की जिम्मेदारी ली है.
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