पकिस्तान और अफगानिस्तान में सीमा पर हाल में विवाद देखने को मिला. इस दौरान दोनों देश एक-दूसरे पर जमकर गोलाबारी की. इस गोलाबारी में पाकिस्तान ने दावा किया कि 200 तालिबानी सैनिक और चरमपंथियों को मार गिराया. वहीं अफगानिस्तान की ओर से दावा किया गया कि उसने पाक के 58 सैनिकों को मार गिराया. इस संघर्ष में दोनों देशों ने कई प्रकार के हथियारों का उपयोग किया. चलिए जानते हैं वो हथियार कौन-कौन से हैं?
पाकिस्तान ने दावा किया कि वह ड्रोन स्ट्राइक और ग्राउंड ऑपरेशन में इन हथियारों का इस्तेमाल किया है. जिसका मुख्य टारगेट TTP ठिकानों पर हमला करना था. चालिए एक-एक करके इनके बारे में जानते हैं.
JF-17 थंडर फाइटर जेट
यह एक हल्का मल्टीरोल फाइटर जेट है. इसे चीन और पाकिस्तान ने मिलकर बनाया है. इससे हवा के साथ जमीन पर बमबारी और समुद्री लक्ष्यों पर निशाना लगाया जा सकता है. इसमें रूसी इंजन इस्तेमाल किया गया है. इसकी रेंज 2 से 3 हजार किलोमीटर है. वहीं स्पीड करीब 1900 किलोमीटर प्रतिघंटा है. इस फाइटर जेट का वजन 12700 किलोग्राम है. लेजर-गाइड बम और शॉर्ट/मिड-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल इसके पेलोड में लगते हैं. ये AESA रडार से लैस है. जो इसकी ताकत बढ़ाते हैं. यह अपने साथ SD-10 मिसाइल ले जाता है.
बुराक ड्रोन
इसे TTP लीडर्स को टार्गेट करने के लिए किया गया था. यह ड्रोन पाकिस्तान का इंडिजीनस (NESCOM/PAF) ने विकसित किया है. एक हथियारबंद ड्रोन (UCAV) है. इसे निगरानी और टारगेट हवाई हमलों के लिए बनाया गया है. इसमें एक छोटा लेजर-गाइडेड मिसाइल/बोम जैसी शॉर्ट-रेंज वारहेड क्षमता होती है. इसकी रेंज 1000 किलोमीटर है. वहीं स्पीड 300 किमी प्रतिघंटा है. इसका वजन 1500 किलोग्राम है. यह अपने साथ 100 किग्रा तक बम ले जा सकता है.
शाहपार II ड्रोन
Shahpar-II निगरानी और स्ट्राइक दोनों करने वाला पाकिस्तानी MALE यूएवी है. यह लंबे समय तक हवा में रहकर बॉर्डर पर नजर रखता है. जरूरत पड़ने पर छोटे-से-मध्यम लक्ष्यों पर सटीक हमला कर सकता है. इसका उपयोग पाकिस्तान करता रहता है. इसकी रेंज 1000 किलोमीटर है. स्पीड 220 किमी प्रति घंटा है. इसका वजन मात्र 200 किलोग्राम है. यह रीयल-टाइम वीडियो भी बनाता है. साथ ही हल्के बम भी साथ लेकर चल सकता है.
H-4 स्टैंड-ऑफ वेपन (SOW)
यह एक स्मार्ट ग्लाइड बम है. जो हवा से छोड़े जाने के बाद अपने टारगेट की ओर खुद उड़ता है. और बहुत सटीकता से उस पर हमला करता है. इसे पाकिस्तान ने नेशनल इंजीनियरिंग एंड साइंटिफिक कमीशन (NESCOM) और एयर वेपन कॉम्प्लेक्स (AWC) की मदद से बनाया है. इसका डिजाइन दक्षिण अफ्रीका के Denel Raptor-II पर आधारित बताया जाता है.
इसका इस्तेमाल JF-17 Thunder और Mirage III/V जैसे लड़ाकू विमानों से किया जाता है. पायलट इसे अपने देश की सीमा के भीतर से ही छोड़ सकता है. और बम 100 किलोमीटर या उससे ज्यादा की दूरी तक उड़कर दुश्मन के रडार स्टेशन, रनवे, या बंकर जैसी जगहों पर गिर सकता है. H-4 में लेजर गाइडेंस सिस्टम लगा होता है. जो टारगेट को सटीकता से लॉक करता है. इसकी रेंज 100 किलोमीटर तक होती है. स्पीड सबसोनिक होती है. इसका वजन लगभग 500 किलो के आसपास होता है.
AK-47 और G3 राइफल
सीमा पर सैनिकों के बीच क्लैश के समय इन हथियारों का इस्तेमाल होता है. यह बहुत ही भरोसेमंद हथियार हैं. जो नमी और मिट्टी में भी आसानी से चलता है. इसकी प्रभावी रेंज लगभग 400 मीटर है. माउथ स्पीड (म्यूनिशन की नालिका गति) 715 मीटर प्रति सेकेंड बताई जाती है. इसका वजन लगभग 5 किलो होता है. ये ऑटोमैटिक गन हैं.
पाकिस्तान के हमलों का जवाब तालिबानी सैनिकों ने भी दिया. उन्होंने अपने ताकत दिखाते हुए 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया. इस दौरान उनकी तरफ से इन हथियारों का इस्तेमाल किया गया.
M4 कार्बिन राइफल
यह अमेरिकी-निर्मित ऑटोमैटिक राइफल है. इसकी रेंज 300 से 500 मीटर तक होती है. इसमें करीब 30 राउंड की मैगज़ीन का इस्तेमाल होता है. यह बहुत हल्की राइफल होती है. माउथ स्पीड लगभग 800 मीटर प्रति सेकेंड होती है. वजन लगभग 3 किलोग्राम होता है.
RPG-7 लॉन्चर
इसके प्रयोग पाकिस्तानी पोस्ट पर हमले के लिए किया गया. यह एक रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड लांचर है. इसे सोवियत युग में डिजाइन किया गया था. इसका वजन 6–7 किलोग्राम होता है. इसकी रेंज लगभग 500 मीटर तक है. वहीं इसकी प्रारंभिक स्पीड लगभग 115 मीटर प्रति सेकेंड बताई जाती है. यह एक ऑप्टिकल लांचर है. इसका उपयोग चौकी, बंकर और घरों को उड़ाने के लिए किया जाता है.
PKM मशीन गन
यह एक मशीनगन है, जिसे Mikhail Kalashnikov की टीम ने विकसित किया था. समय के साथ इसे आधुनिक बनाया जाता रहा है. इसका वजन करीब 7 से 8 किलोग्राम है. माउथ स्पीड 650 मीटर प्रति सेकेंड है. इसकी टार्गेट रेंज 800 से 1000 मीटर तक होती है. यह भी ऑटोमैटिक होती है. इसे सपोर्ट देकर चलाया जाता है. इसका उपयोग वाहनों पर भी किया जाता है.
DShK हैवी मशीन गन
इसका प्रयोग तालिबान की ओर से बॉर्डर पोस्ट पर फायरिंग के लिए किया गया. यह सोवियत काल की एक भारी मशीनगन है. यह बड़े कैलिबर होने के कारण हल्की बख्तरबंद गाड़ियाँ, ट्रक और खुले टारगेट को ध्वस्त कर देती है. यह लो‑फ्लाइंग हेलिकॉप्टर/ड्रोन के लिए भी खतरनाक साबित होती है. इसकी रेंज 2000 मीटर तक होती है. माउथ स्पीड 850 मीटर प्रति सेकेंड होती है. वहीं वजन लगभग 34 किलोग्राम होता है. यह ऑप्टिकल गन होती है.
IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस)
इसका उपयोग काफिलों पर हमले के लिए अफगानिस्तान की ओर से किया जाता है. इसका उपयोग सड़कों पर घात लगाकर किया जाता है. इसकी प्रभावी रेंज 50 से 100 मीटर तक होती है. वजन 5 से 20 किलोग्राम के बीच होता है. यह रिमोट या प्रेशर से फटता है.
दोनों सेनाओं की बात करें तो पाकिस्तान की एयरफोर्स मजबूत है. वहीं तालिबान के पास बड़े फाइटर जेट या एयर डिफेंस नहीं हैं. इसलिए तालिबान छोटे हथियारों और IED से पाकिस्तान का जवाब देता है. हथियार (M4, RPG) तालिबान को ताकत देते हैं. इन सब के बावजूद अफगानिस्तान करारा जवाब दे रहा है.









