Pakistan concerned over US arms in Afghanistan: अगस्त 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका के हैरानी भरे तरीके से बाहर निकलने के तीन साल से ज्यादा समय बाद क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के मामले में एक बड़ी चिंता फिर से उभरी है. वह यह कि अरबों डॉलर के अमेरिकी सैन्य हथियार, जिन्हें US बाहर निकलते वक्त छोड़ गया था, वह तालिबान द्वारा जब्त कर लिए गए हैं और वे उनका यूज कर रहे हैं.
2022 में अमेरिकी रक्षा विभाग की एक आधिकारिक रिपोर्ट ने पुष्टि की कि वापसी के दौरान लगभग 7 बिलियन डॉलर मूल्य के सैन्य हार्डवेयर को निकाला नहीं गया और अब यह तालिबान के शस्त्रागार का हिस्सा बन गया है.
अमेरिका द्वारा जो सैन्य उपकरण छोड़ गए, उनमें 78 विमान, 40,000 सैन्य वाहन, 300,000 से अधिक हथियार, हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियार, संचार प्रणालियां और नाइट विजन डिवाइस और अन्य उपकरण हैं.
पेंटागन के अधिकारियों ने कहा है कि उनके सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए गए अधिकांश अमेरिकी सैन्य उपकरण या तो नष्ट कर दिए गए या उन्हें वापस ले लिया गया, जो हथियार बच गए, जो बड़े पैमाने पर अफगान सुरक्षा बलों को ट्रांसफर कर दिए गए. लेकिन उन्हें तालिबान ने सत्ता में अपनी खतरनाक वापसी के दौरान कब्जे में ले लिया.
तालिबान नेताओं ने खुले तौर पर हथियारों पर अपना नियंत्रण स्वीकार किया है और यहां तक कि सार्वजनिक परेडों और कार्यक्रमों के दौरान उनका प्रदर्शन भी किया है.
तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इस साल की शुरुआत में फरवरी में एक X स्पेस सत्र के दौरान कहा था, 'अमेरिका ने अफगानिस्तान में जो हथियार छोड़े थे, साथ ही जो हथियार पूर्व अफगान शासन को दिए गए थे, वे अब युद्ध में हुई लूट के दौरान मुजाहिदीन (या तालिबान बलों) के कब्जे में आ गए हैं.'
उन्होंने जोर देकर कहा, 'अफगान लोगों के पास अब ये हथियार हैं और वे अपनी स्वतंत्रता, संप्रभुता और इस्लामी व्यवस्था की रक्षा के लिए इनका इस्तेमाल कर रहे हैं.'
अफगानिस्तान में अमेरिकी हथियारों से पाकिस्तान चिंतित
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने इस सप्ताह की शुरुआत में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ फोन पर बातचीत में इन हथियारों का मुद्दा उठाया.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अनुसार, डार ने विभिन्न सशस्त्र समूहों के पास मौजूद अमेरिकी निर्मित हथियारों से उत्पन्न खतरे को उजागर किया और दोनों नेताओं ने इस समस्या पर ध्यान देने के लिए तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया.
आधिकारिक पाकिस्तानी बयान में कहा गया, 'दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा की. विदेश मंत्री रुबियो अफगानिस्तान में छोड़े गए अमेरिकी सैन्य उपकरणों के मुद्दे को हल करने की आवश्यकता पर सहमत हुए.'
रुबियो के विदेश मंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली आधिकारिक बातचीत थी और इसमें द्विपक्षीय संबंधों, व्यापार, निवेश और आतंकवाद-रोधी सहित कई विषयों पर चर्चा हुई.
मंत्रालय ने कहा, 'DPM/FM डार ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए पाकिस्तान की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने व्यापार, निवेश और आतंकवाद-रोधी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया.'
बदले में, रुबियो ने जोर देकर कहा कि अर्थव्यवस्था और व्यापार में सहयोग दोनों देशों के बीच भविष्य के संबंधों की पहचान होगी, विशेष रूप से महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में.
अमेरिका ने की पाक की तारीफ
एक अलग बयान में, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने पुष्टि की कि रुबियो ने आतंकवाद-रोधी कार्यों में पाकिस्तान की भूमिका की सराहना की, जिसमें ISIS-K के ऑपरेटिव मोहम्मद शरीफुल्लाह की गिरफ्तारी और उसे सौंपना शामिल है. दोनों ने कानून प्रवर्तन और अवैध आव्रजन जैसे मुद्दों पर सहयोग पर भी चर्चा की. बता दें कि पाकिस्तान वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में दो साल का कार्यकाल पूरा कर रहा है.
पाक के अलावा भारत के लिए खतरा क्यों?
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि कश्मीर में अमेरिकी हथियार दिखाई दिए हैं. अफगानिस्तान से परे इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं कि इनमें से कुछ हथियार अन्य क्षेत्रों, विशेष रूप से भारत के कश्मीर में कैसे पहुंचे होंगे?
एनबीसी न्यूज की जनवरी 2023 की रिपोर्ट में भारतीय अधिकारी और सुरक्षा बलों के हवाले से कहा गया है कि कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी, विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे पाकिस्तान स्थित ग्रुपों के आतंकवादियों के पास हाल ही में M4 और M16 राइफल जैसे अमेरिकी मूल के हथियार पाए गए हैं, जो पहले संघर्ष में आम तौर पर नहीं देखे गए थे.
कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों ने ऑपरेशन और मुठभेड़ के बाद इन हथियारों को बरामद किया है. एक हैरान करने वाली इस घटना में पुलिस ने एक मुठभेड़ के बाद एक एम4 कार्बाइन राइफल जब्त करने की सूचना दी. इस ऑपरेशन में दो जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी मारे गए थे.
श्रीनगर में स्थित भारतीय सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल इमरॉन मुसावी ने उस समय एनबीसी न्यूज से कहा, 'यह माना जा सकता है कि उनके पास पीछे छोड़े गए हथियारों तक पहुंच है.'
इस घटनाक्रम ने भारतीय सुरक्षा हलकों में चिंता पैदा कर दी है. मेजर जनरल अजय चांदपुरिया ने 2022 में उल्लेख किया था कि बरामद किए गए हथियार और उपकरण अफगानिस्तान से कश्मीर में नाइट-विजन उपकरणों सहित उन्नत सैन्य तकनीक के फैलने का संकेत देते हैं.
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बयानों से इन आकलनों को बल मिला, जिन्होंने आश्वासन दिया कि अधिकारी इस मुद्दे पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और सक्रिय कदम उठा रहे हैं. उन्होंने 2022 में श्रीनगर में एक समाचार सम्मेलन के दौरान कहा, 'हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और उसी के अनुसार कदम उठाए हैं. हमारी पुलिस और सेना काम पर लगी हुई है.'
कश्मीर के पुलिस अधिकारी विजय कुमार ने भी उभरते खतरे का मुकाबला करने के लिए क्षेत्र की तत्परता पर प्रकाश डाला. उन्होंने एनबीसी न्यूज से कहा, 'हमारे बल प्रतिदिन आतंकवादियों पर नजर रख रहे हैं. हम अपने उपकरणों को लगातार अपग्रेड कर रहे हैं और हमारे पास नवीनतम हथियार हैं.'
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान इन हथियारों को जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी समूहों या पाकिस्तान में सक्रिय तस्करों के जरिए बेच सकता है. एनबीसी न्यूज ने रिपोर्ट में आतंकवाद निरोधी विशेषज्ञ और नई दिल्ली में इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट के कार्यकारी निदेशक अजय साहनी के हवाले से कहा कि हालांकि इस क्षेत्र में अधिक उन्नत हथियारों की तस्करी करना कठिन होगा, लेकिन कुछ घुसपैठ के स्पष्ट सबूत हैं.
छोड़े गए हथियारों का असर सिर्फ क्षेत्रीय चिंताओं तक सीमित नहीं है. विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ये हथियार अंततः यमन, सीरिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों सहित अन्य संघर्ष क्षेत्रों में भी दिखाई दे सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि तालिबान उनके प्रसार को कितनी सख्ती से नियंत्रित करता है.
क्या तालिबान हथियार वापस करेगा?
इस बीच, तालिबान ने जब्त किए गए किसी भी हथियार को वापस करने की अनिच्छा व्यक्त की है. तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने एक साक्षात्कार में कहा कि ये संपत्ति अब अफगान राज्य की है. उन्होंने इस साल फरवरी में CBS न्यूज़ से कहा, 'ये अफगान राज्य की संपत्ति हैं. ये अफगान राज्य के कब्जे में रहेंगे.'
उन्होंने आगे कहा: 'लोग अपने राज्यों की संपत्तियों पर सौदे नहीं करते हैं. वे संवाद और जुड़ाव के जरिए साझा हितों के स्थान और क्षेत्र खोजने के लिए समझौते करते हैं.'
जवाब में 2025 में पद पर वापस आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान के हाथों में उपकरण जाने देने के लिए बाइडन प्रशासन की तीखी आलोचना की. वाशिंगटन में एक रैली के दौरान उन्होंने कहा, 'यदि हम प्रति वर्ष अरबों डॉलर का भुगतान करने जा रहे हैं, तो उन्हें बता दें कि हम उन्हें तब तक पैसा नहीं देंगे जब तक वे हमारे सैन्य उपकरण वापस नहीं कर देते.'
तालिबान ने सार्वजनिक रूप से इस मांग को खारिज कर दिया है तथा दोहराया है कि सत्ता संभालने के बाद से उसे कोई अमेरिकी वित्तीय सहायता नहीं मिली है तथा वह हथियार डालने का इरादा नहीं रखता है.
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