Simla Agreement Suspended by Pakistan: भारत के जम्मू--कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं. जांच जारी है. ऐसे में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बीते दिन कई कदम उठाए थे, जहां पाकिस्तान ने एक्शन के रिएक्शन में गुरुवार को भारत के साथ भी महत्वपूर्ण समझौते को तोड़ते हुए अन्य कई फैसले लिए. ऐसे में पाकिस्तान एक तरफ जहां उसके देश से आने वाले आतंकवादियों पर नकेल कंसने में विफल रहा है, उल्टा वह भारत पर दबाव डालता चाहता है.
पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में 22 अप्रैल को हुए घातक आतंकवादी हमले के बाद भारत की दंडात्मक कार्रवाई के जवाब में कई कदम उठाने की घोषणा की है. बता दें कि इस हमले में 26 लोग मारे गए थे.
इस्लामाबाद ने क्या फैसले लिए?
- पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के कदम को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि इसे युद्ध की तरह माना जाएगा.
- इस्लामाबाद ने शिमला समझौते और भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित कर दिया है.
- पाकिस्तान ने वाघा सीमा चौकी को तुरंत बंद कर दिया है. भारत ने बुधवार (23 अप्रैल) को घोषित उपायों के तहत क्रॉसिंग को बंद करने का आदेश पहले ही दे दिया है.
- पाकिस्तान ने सिख धार्मिक तीर्थयात्रियों को छोड़कर भारतीय नागरिकों के लिए सभी सार्क वीजा निलंबित कर दिए हैं. यह एक और कदम है जो बुधवार को घोषित भारत की कार्रवाई की तरह है.
- इस्लामाबाद ने देश से भारतीय रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को 30 अप्रैल 2025 तक चले जाने को कहा है.
- पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या भी घटाकर 30 कर दी है.एक दिन पहले भारत ने भी इसी तरह के कदम उठाए थे.
- पाकिस्तान ने भारत के स्वामित्व वाले या संचालित सभी विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र तत्काल बंद कर दिया है.
- पाक ने तीसरे देश के साथ होने वाले व्यापार सहित भारत के साथ सभी व्यापार को निलंबित कर दिया है.
बता दें कि ये निर्णय पाकिस्तान की शीर्ष सुरक्षा संस्था राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक के दौरान लिए गए.
भारत ने क्या कदम उठाए?
इससे पहले बुधवार को भारत ने सीमा पार आतंकवाद के लिए निर्णायक प्रतिक्रिया के रूप में पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदमों की घोषणा कीथी.
एक बड़े कदम के तहत सरकार ने कहा कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी. भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, '1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी, जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को त्याग नहीं देता.'
- भारत ने अटारी-वाघा चेक पोस्ट को तत्काल बंद करने का फैसला लिया.
- पाकिस्तान उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को अस्वीकार्य व्यक्ति घोषित कर दिया गया है.
- भारत ने सार्क देशों की वीजा योजना के तहत पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए सभी वीजा रद्द कर दिए हैं.
पाकिस्तान ने गुरुवार को कहा कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने का भारत का कदम 'युद्ध की कार्रवाई' है.
पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्री अवैस लेघारी ने X पर पोस्ट किया, 'भारत द्वारा सिंधु जल संधि को लापरवाही से निलंबित करना जल युद्ध की कार्रवाई है. हर बूंद हमारे अधिकार में है और हम कानूनी, राजनीतिक और वैश्विक रूप से पूरी ताकत से इसकी रक्षा करेंगे.' बता दें कि जल संधि को निलंबित करने के भारत के कदम को पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
शिमला समझौता क्या है?
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के बाद शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. 28 जून से 2 जुलाई, 1972 तक शिमला (हिमाचल प्रदेश) में कई दौर की चर्चाएं हुईं.तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
इस समझौते का उद्देश्य युद्ध के बाद के तनाव को कम करना और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना था. भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को हराया था और एक स्वतंत्र बांग्लादेश बनाने में मदद की थी. 93,000 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को युद्ध बंदी बना लिया गया था और भारत ने पाकिस्तान के लगभग 5,000 वर्ग मील क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था.
समझौते की बड़ी बात
समझौते में था कि विवादों का द्विपक्षीय समाधान किया जाएगा. भारत और पाकिस्तान सभी विवादों, खासकर जम्मू-कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल करने पर सहमत हुए थे. इस खंड ने संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों से कश्मीर मुद्दे को प्रभावी रूप से हटा दिया.
शिमला समझौते का प्रभाव
शिमला समझौते ने भारत को कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय मंच पर लाने में मदद की. इससे भारत बाहरी दबाव का विरोध कर सका और पाकिस्तान को मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने का मौका नहीं मिल सका. इसने सैन्य तनाव को कम करने और दक्षिण एशिया में स्थिरता को बढ़ावा देने में भी योगदान दिया.
युद्ध और समझौते ने भारत को एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित किया. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व ने वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को बढ़ाया. पाकिस्तान के लिए इस समझौते ने उसके सैनिकों और क्षेत्र की वापसी सुनिश्चित की, लेकिन कश्मीर को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में विफल रहा.
हालांकि, बार-बार संघर्ष विराम उल्लंघन और आतंकवाद के समर्थन ने समय के साथ समझौते की विश्वसनीयता को कमजोर कर दिया है.
पाकिस्तान का कदम क्यों उल्टा पड़ सकता है?
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि सरकार शिमला समझौते से बाहर निकलने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान के लिए इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
कश्मीर पर प्रभाव का नुकसान
यह समझौता कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दे के रूप में देखने का ढांचा प्रदान करता है. अगर पाकिस्तान इससे पीछे हटता है, तो भारत यह तर्क दे सकता है कि यह समझौता अब वैध नहीं है और बाहरी हस्तक्षेप के बिना कश्मीर पर अपने आंतरिक नियंत्रण का दावा कर सकता है.
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