नई दिल्ली. चीन और अमेरिका के शीत युद्ध से भी बड़ा एक और युद्ध दुनिया में चल रहा है और यह है कोरोना के विरुद्ध दवा ढूंढ कर उसे परास्त करने के प्रयास का युद्ध. इस युद्ध के दुनिया के कुछ गिने-चुने योद्धा देशों में भारत का भी नाम है जिनसे उम्मीद की जा रही है कि वे शीघ्र ही कोरोना की दवा का अनुसंधान कर लेंगे. लगता है भारत ने इस युद्ध में बाजी मार ली है. विश्वप्रसिद्ध पतंजलि ब्रांड की तरफ से दावा किया गया है कि उन्होंने कोरोना की दवा ढूंढ निकाली है.
क्लीनिकल ट्रायल का रिजल्ट आने वाला है
एक तरफ तो अमेरिका, चीन, इटली, ब्रिटेन, इज़रायल और भारत भी कोरोना वैक्सीन के निर्माण पर लगातार और तेज़ी से काम कर रहे हैं, दूसरी तरफ से शायद भारत ने ये खुशखबरी सूना भी दी है. यदि पतंजलि का दावा सच्चा निकलता है तो दुनिया के लिए भारत का यह बड़ा उपकार होगा. पतंजलि के अनुसार उनकी दवा के क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल का रिजल्ट भी आने वाला है.
हरिद्वार में चल रहा था अनुसंधान
काफी लम्बे समय से हरिद्वार में पतंजलि ब्रांड के अंतर्गत देश और दुनिया के लिए सबसे अहम कोरोना दवा पर कार्य चल रहा था. पतंजलि ब्रांड आज की तारीख में सारी दुनिया में आयुर्वेद का नंबर वन ब्रांड है जिसका श्रेय आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव को जाता है. कोरोना वायरस से होने वाले संक्रमण से दुनिया में कोहराम मचा है. ऐसे में यदि पतंजलि का यह दवा सच निकलता है तो भारत की तरफ से यह इस दशक की सबसे अहम दवा मानी जायेगी.
पतंजलि शोध केंद्र को जाता है श्रेय
पतंजलि ब्रांड की सभी दवाएं पतंजलि शोध केंद्र की निगरानी में निर्मित की जाती हैं. उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित यह पतंजलि शोध केंद्र अब कोरोना दवा के अनुसंधान के लिए जाना जा सकता है जिसने कोरोना रोगियों को ठीक करने वाली ये दवा बनाने का दावा किया है और अब इसके अंतिम परीक्षण के परिणाम की प्रतीक्षा की जा रही है.
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