नई दिल्ली: ईरानी नेताओं की आफत बढ़ती हुई दिख रही है. वहां की जनता नारे लगा रही है कि हमारा असली दुश्मन अमेरिका नहीं बल्कि हमारे नेता हैं. जिसकी वजह से ईरान में सिविल वार जैसी स्थिति पैदा हो गई है.
ईरान में मची है भयंकर अफरा तफरी
ईरान की सड़कों पर इन दिनों सरकार विरोधी नारे लग रहे हैं. जिसमें जनता अपने ही नेताओं के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. वे ईरान के सबसे बड़े नेता अयातुल्ला खामनेई के खिलाफ नारे लगा रहे हैं कि 'ये झूठ बोल रहे हैं कि हमारा दुश्मन अमेरिका नहीं है. हमारा दुश्मन देश के भीतर ही है.'
खास बात ये है कि ईरान सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने वालों में ज्यादातर महिलाएं ही हैं. सोशल मीडिया पर वायरल कई वीडियो में साफ तौर पर देखा जा रहा है कि कैसे महिलाएं तेहरान में आज़ादी स्क्वेयर पर ज़ोरदार नारे लगा रही हैं.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया बीबीसी फ़ारसी ने जानकारी दी है कि ईरान की पुलिस प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल कर रही है.
यूक्रेन विमान पर खुलासे के बाद नाराज हुए लोग
ईरान सरकार ने 11 जनवरी को स्वीकार किया था कि उसी ने यूक्रेन के यात्री विमान को 'ग़लती' से मार गिराया था. ईरान ने इसे मानवीय भूल कहा था. ये यात्री विमान आठ जनवरी को तेहरान से यूक्रेन की राजधानी कीव जा रहा था. तेहरान से उड़ान भरने के बाद ही ईरान की सेना ने इसे 'ग़लती' से मार गिराया. इसमें 176 लोग सवार थे, जिसमें से 86 ईरान के नागरिक थे.
इस खुलासे के बाद से ईरान में विरोध प्रदर्शनों का दौर फिर से शुरु हो गया. इन प्रदर्शनों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदर्शनकारी ईरान के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं और उनको हटाए जाने की मांग कर रहे हैं. जिसकी वजह से ईरान की इस्लामिक रिपब्लिक लीडरशिप के ऊपर दबाव काफी बढ़ गया है.
शायद ईरान को अपनी जनता की नाराजगी की अंदाजा था. क्योंकि यूक्रेन विमान हादसे के बाद ईरानी प्रशासन ने इसपर पर्दा डालने की कोशिश की थी. लेकिन बाद में उसे सच्चाई स्वीकार करनी पड़ी.
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पहले ही अपनी सरकार से नाराज हैं ईरान के लोग
ईरान के लोग पहले से ही अपने सर्वोच्च मजहबी नेता अयातुल्ला खुमैनी और राष्ट्रपति हसन रुहानी से बेहद नाराज हैं. क्योंकि ईरान में महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है. इसकी वजह से ईरान में रह रहकर विरोध प्रदर्शनों का दौर भड़क जाता है.
पिछले साल भी ईरान में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए थे. जिसके बाद सुरक्षा बलों ने गोलियां चला दी थीं. जिसमें 21 लोग मारे गए थे. उस दौरान हजारों लोगों को हिरासत में भी लिया गया था.
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