Pakistan Army Coup: पाकिस्तान और तख्तापलट एक दूसरे के पूरक हैं. जहां भी सेना को तत्कालीन सरकार कमजोर दिखाई देती है, तख्तापलट का आदेश दे दिया जाता है. हाल ही में बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी द्वारा जाफर एक्सप्रेस के हाईजैक करने और बड़ी संख्या में सेना को मार गिराए जाने की घटना ने पाकिस्तान को झकझोर कर रख दिया है. इसी उथल-पूथल के बीच खबर है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर कथित तौर पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को हटाने के लिए तख्तापलट की साजिश रच रहे हैं.
कमजोर शहबाज सरकार जिम्मेदार- सेना प्रमुख
हाल ही में जनरल मुनीर ने BLA (बलूच लिबरेशन आर्मी) और TTP ( तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) द्वारा पाकिस्तानी सेना पर, किए गए घातक हमलों को लेकर शहबाज शरीफ पर निशाना साधा है. सेना प्रमुख ने शहबाज सरकार को 'कमजोर' बताया और पाकिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
दरअसल, सेना प्रमुख असीम मुनीर ने संयुक्त संसदीय समिति को दिए गए एक ब्रीफिंग में कहा कि आतंकवाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए इस देश को बेहतर शासन की जरूरत है. साथ ही, पाकिस्तान को एक सख्त देश बनाने पर जोर दिया. इस ब्रीफिंग के दौरान सेना प्रमुख ने कहा कि कमजोर शासन के कारण कब तक निर्दोष पाकिस्तानी नागरिकों को आतंकवाद का शिकार बनाया जाएगा.
परवेज मुशर्रफ की नक्शेकदम पर मुनीर
पाकिस्तानी मीडिया और विश्लेषकों की माने तो, सेना प्रमुख मुनीर की बयानबाजी पूर्व सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ की तरह ही है. जिन्होंने शहबाज के भाई और तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ, पाकिस्तान की जनता में असंतोष पैदा करने के लिए यही हथकंडे अपनाए थे और उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था.
मुनीर भी बलूचिस्तान की मौजूदा स्थिति और BLA के हमलों को लेकर पाक पीएम शहबाज शरीफ को वैसे ही दोषी ठहरा रहे हैं, जैसे 25 साल पहले कारगिल युद्ध की हार के लिए परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को दोषी ठहराया था.
इस घटना के बाद परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को अपदस्थ कर दिया, और 12 अक्टूबर 1999 को सैन्य तख्तापलट करके खुद सत्ता पर काबिज हो गया.
पाकिस्तान के हालात चारों ओर से पस्त
पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति देखें, तो चारों ओर से पस्त है. चाहे वह बलूच लड़ाकों और टीटीपी द्वारा पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाना हो, या पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में लगातार ग्रैनेड और गोलीबारी के हमले हो. इन घटनाओं ने पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक दोनों स्थितियों को तोड़कर रख दिया है. विशेषज्ञों की मानें तो यह सभी संकेत पाकिस्तान में एक और तख्तापलट की ओर इशारा कर रहे हैं.
पाकिस्तान में 4 बार हो चुका है तख्तापलट
पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट होना कोई नई बात नहीं है. सेना प्रमुख मुनीर के हालिया बयान भी इसी ओर संकेत कर रहे हैं. पाकिस्तान में पहला तख्तापलट साल 1953-54 में हुआ. जब पाकिस्तान के जनरल गवर्नर सर गुलाम मोहम्मद ने संविधान सभा को बर्खास्त कर दिया था. यह पाकिस्तान में पहला तख्तापलट था.
इसके चार साल बाद साल 1958 में दूसरी बार तख्तापलट हुआ. जब नए नवेले पाकिस्तान में तत्कालीन जनरल अय्यूब खान सत्ता की गद्दी पर बैठ गए. यही घटना तीसरी बार 1977 में घटी. जब जनरल जिया उल हक ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को पद से हटा दिया और बाद में फांसी की सजा दे दी.
वहीं पाकिस्तान में चौथा और आखिरी तख्तापलट, कारगिल हार से बौखलाए परवेज मुशर्रफ ने साल 1999 में किया था. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान में पांचवा तख्तापलट होने जा रहा है? पाकिस्तानी सेना और शहबाज सरकार के बीच ऐसे ही बयानबाजी होती रही, तो तख्तापलट की पूरी संभावना है.