अफगानिस्तान में पाकिस्तान का जबरदस्त विरोध, आम लोगों ने इमरान सरकार पर लगाए ये आरोप

काबुल के एक स्थानीय निवासी ने कहा, पाकिस्तान अमेरिका का सहयोगी रहा है . उसने ड्रोन संचालित करने के लिए अपने ठिकाने दिए हैं .  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 6, 2021, 09:37 PM IST
  • जानिए क्या लगे हैं आरोप
  • पाकिस्तान पर बड़ा खुलासा
अफगानिस्तान में पाकिस्तान का जबरदस्त विरोध, आम लोगों ने इमरान सरकार पर लगाए ये आरोप

काबुलः अफगानिस्तान में राष्ट्रपति अशरफ गनी के नेतृत्व में पिछले शासन के दौरान काबुल की सड़कों पर पाकिस्तान विरोधी नारे खूब गूंजते थे . स्थानीय नागिरक इस्लामाबाद के अपने अभियानों में आतंकवादी समूहों का समर्थन करने, उन्हें पनाह देने और उन्हें सुविधा प्रदान करके उनके देश में हिंसा और अस्थिरता को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए पाकिस्तान को खूब कोसते थे . हालांकि गनी को अफगान तालिबान द्वारा सत्ता से बेदखल कर दिया गया है और अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो बलों ने भी जल्दबाजी में देश छोड़ दिया है, मगर पाकिस्तान विरोधी भावना अभी भी अफगानों के बीच व्याप्त है .

अफगानिस्तान में पाकिस्तान का विरोध जारी
अफगान तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के प्रतिबंध के संकेत के साथ हैशटैग सैंगशनपाकिस्तान की चर्चा है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस्लामाबाद को तालिबान आतंकवादियों का समर्थन करने और अराजकता फैलाने के लिए जवाबदेह ठहराने की मांग की गई है .

क्या बोली वहां की जनता
काबुल के एक स्थानीय निवासी ने कहा, पाकिस्तान अमेरिका का सहयोगी रहा है . उसने ड्रोन संचालित करने के लिए अपने ठिकाने दिए हैं . इसने नाटो बलों और अफगानिस्तान के आक्रमणकारियों को सुविधा प्रदान की है यही बात आतंकवादी समूहों के साथ भी जुड़ी हुई है . यह पाकिस्तान की वजह से है कि हजारों निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई है और यह देश हमारे लिए युद्धग्रस्त कब्रिस्तान बनकर रह गया है . हम ऐसे देश की सराहना कैसे कर सकते हैं?

एक अन्य स्थानीय नागरिक ने कहा, हम सोवियत आक्रमण के समय को नहीं भूले हैं . हम यह नहीं भूले हैं कि कैसे पाकिस्तानी सेना द्वारा युवाओं को आतंकवाद के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था . आज, हमें खुशी है कि विदेशी आक्रमणकारी चले गए . उन्हें हरा दिया गया है . और चूंकि पाकिस्तान अमेरिका और नाटो बलों का सहयोगी था, इसलिए वह भी हार गया है .

काफी स्थानीय लोग पाकिस्तान के लिए अपनी अवहेलना व्यक्त कर रहे हैं, मगर साथ ही ऐसे लोगों की भी एक अच्छी खासी संख्या है, जो दशकों से 35 लाख से अधिक शरणार्थियों को शरण देने के लिए देश की सराहना करते हैं .

काबुल के एक स्थानीय निवासी, अमीन खान, जिनके परिवार के सदस्य पाकिस्तान में अफगान शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं, ने कहा, पाकिस्तान दुनिया में अफगान शरणार्थियों का सबसे बड़ा मददगार रहा है . इसकी सराहना की जानी चाहिए . यहां लगभग हर अफगान के पाकिस्तान में रिश्तेदार हैं . इसलिए पाकिस्तान महत्वपूर्ण है . एक पड़ोसी होने के नाते, हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद करेगा .

वहीं दूसरी ओर, कई देशों में अफगान नागरिकों ने पाकिस्तान विरोधी रैलियां निकाली हैं . उन्होंने पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान और खुफिया एजेंसियों पर अफगानिस्तान में अशांति का समर्थन करने का आरोप लगाया है, जिसके कारण वर्तमान अफगान तालिबान का देश पर कब्जा हुआ है .

बर्लिन आधारित एक अफगान नागरिक मुजतबा मुतामीन ने कहा, पाकिस्तान ने हमेशा तालिबान का समर्थन किया है . और यह तब और भी स्पष्ट हो गया, जब पाकिस्तान ने अपनी सीमाओं को खोलने से इनकार कर दिया और सबसे खराब मानवीय संकट में अफगानों को देश से भागने पर मजबूर किया .

जबकि पाकिस्तान सरकार का कहना है कि वह अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार चाहती है, जो देश के लोगों की इच्छा के अनुसार स्थापित हो, मगर साथ ही यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि अफगानिस्तान में भविष्य की रणनीतिक या विकास मामलों में भूमिका इस्लामाबाद के लिए बहुत बड़ी चुनौती साबित हो सकती है .

 

ट्रेंडिंग न्यूज़