रूस-यूक्रेन जंग पिछले तीन सालों से जारी है. जिसको लेकर कई देशों ने जंग रुकवाने की तमाम कोशिशें की. हालांकि, किसी भी देश की कोशिश काम नहीं आई. ऐसे में, ट्रंप भी बतौर पीसमेकर दोनों देशों के पास पहुंच गए, और एक के बाद एक कई शांति प्रस्ताव रखे. दूसरीओर, पुतिन ट्रंप की एक बात मानने को तैयार नहीं दिखाई दिए. अब खबर है कि रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में पेश किए गए 7-पॉइंट शांति प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है, जबकि इस प्रस्ताव में रूस की कई बड़ी मांगें शामिल थीं.
ट्रंप ने क्रीमिया पर रूस के कब्जे को कानूनी मान्यता और चार अन्य यूक्रेनी क्षेत्रों पर de facto मान्यता देने की बात कही थी. प्रस्ताव में क्या था? जंग रुकवाने के लिए क्या कोशिशें की जा रही हैं? de facto का मतलब क्या है? आइए आसान शब्दों में समझते हैं.
रूस ने अपनी शर्तों को दोहराया
रूस ने एक बार फिर यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए अपनी मैक्सिमलिस्ट (अधिकतमवादी) शर्तों को दोहराया है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने स्पष्ट कहा कि किसी भी सीजफायर का प्रस्ताव तभी स्वीकार किया जाएगा जब रूस की सभी मांगों को पूरा किया जाए. इनमें यूक्रेन की सैन्य शक्ति पर नियंत्रण, सरकार में बदलाव और राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की की विदाई शामिल है.
लावरोव ने ब्राज़ील के 'ओ ग्लोबो' अख़बार को दिए इंटरव्यू में कहा कि रूस अब केवल de facto नहीं बल्कि कानूनी मान्यता चाहता है. इसके अलावा उसे सुरक्षा गारंटी भी चाहिए, ताकि भविष्य में यूक्रेन फिर से सैन्य रूप से उभर न सके.
de facto का क्या मतलब है?
आगे प्रस्ताव में क्या लिखा है, यह जानने से पहले de facto का क्या मतलब है जान लेना चाहिए. de facto एक लैटिन शब्द है, जिसका मतलब होता है. ‘वास्तव में’ या ‘असल में’, भले ही वह किसी आधिकारिक या कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त न हो. सरल शब्दों में कहें तो de facto उस स्थिति को दर्शाता है, जो जमीनी हकीकत में मौजूद हो, लेकिन जिसे कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी गई हो.
उदाहरण से समझिए, अगर कोई इलाका किसी देश के नियंत्रण में है और वह वहां शासन भी कर रहा है, लेकिन उसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है. तो उसे de facto कंट्रोल कहा जाएगा. जैसे- रूस का क्रीमिया पर de facto कंट्रोल है, मतलब रूस वहां शासन कर रहा है, लेकिन ज्यादातर देश इसे कानूनी रूप से रूस का हिस्सा नहीं मानते. ट्रंप ने भी कुछ ऐसा ही प्रस्ताव रखा था.
ट्रंप ने रखा था नया शांति प्रस्ताव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक सात-बिंदुओं वाला शांति प्रस्ताव यूक्रेन और रूस को भेजा था. इस प्रस्ताव का उद्देश्य युद्धविराम के लिए एक तात्कालिक आधार तैयार करना था, लेकिन रूस ने इसे एक सिरे से खारिज कर दिया है.
ट्रंप के इस प्रस्ताव में रूस की कुछ प्रमुख मांगों को शामिल किया गया था, जिससे ये संकेत मिला कि अमेरिका यूक्रेन पर दबाव बना रहा है. हालांकि, रूस का कहना है कि ये कदम उनके लिए पर्याप्त नहीं हैं और वो अपनी हर बात मनवाना चाहता है.
ट्रंप के प्रपोजल में क्या थी 7 बातें?
ट्रंप ने इस बार शांति के लिए 7 पाइंटर्स में बातें रखी थी. जिसे रूस मान लेता, तो जंग रुकने की बहुत हद तक संभावना बढ़ जाती. ये 7 पाइंटर्स के प्रपोजल में ये बातें कहीं गई.
1. तत्काल युद्धविराम लागू किया जाए.
2. यूक्रेन और रूस के बीच सीधे बातचीत शुरू हो.
3. यूक्रेन को NATO का सदस्य न बनाया जाए.
4. अमेरिका द्वारा क्रीमिया पर रूस के कब्जे को कानूनी मान्यता दी जाए.
5. लुहान्स्क, डोनेट्स्क, खेरसोन और ज़ापोरिज़िया क्षेत्रों पर रूस की de facto अधिग्रहण को स्वीकारा जाए.
6. अमेरिका और यूक्रेन के बीच मिनरल डील पर हस्ताक्षर हों.
7. रूस पर लगे सभी प्रतिबंध हटा लिए जाएं और राजनीतिक-आर्थिक संबंध बहाल हों.
हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन यह प्रस्ताव किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगा. खासकर क्रीमिया और अन्य क्षेत्रों की मान्यता वाला हिस्सा. फिर भी ट्रंप ने यह प्रस्ताव रूस के सामने रखा. जिसे अपनी शर्तों के मुताबिक न होने के चलते, पुतिन ने खारिज कर दिया.
अब आगे क्या होगा?
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि ट्रंप इस सप्ताह फैसला लेंगे कि क्या अमेरिका को इस मध्यस्थता प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए या अब किसी और प्राथमिकता पर फोकस करना चाहिए.
यूक्रेन लगातार कहता रहा है कि वह अपने क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं करेगा. वहीं रूस की मांगें यह दिखाती हैं कि वो युद्ध को खत्म करने की बजाय अपनी रणनीतिक स्थिति को और मज़बूत करना चाहता है. ऐसे में दोनों पक्षों के बीच समाधान निकट भविष्य में दिखता नहीं है. विशेषज्ञों की मानें तो, फिलहाल युद्ध रुकने के कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं. रूस पूरी तरीके से अपनी शर्तों के मुताबिक, स्थायी सामाधान चाहता है.
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