ब्रेग्जिट पर महारानी की मुहर, EU से निकलने के लिए ब्रिटेन की हर बाधा पार

कई सालों तक लगातार चली बहस और गतिरोध के बाद यह फैसला लिया गया था. ब्रिटेन की महारानी से स्वीकृति मिलते ही ब्रेग्जिट विधेयक औपचारिक तौर पर कानून बन चुका है. अब ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन (ईयू) से बाहर निकलने की राह में कोई बाधा नहीं है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 24, 2020, 05:22 AM IST
    • ब्रिटेन में 23 जून, 2016 को हुई थी आम जनता की वोटिंग
    • 1973 में ब्रिटेन ईयू में शामिल हुआ था, बाहर होने वाला पहला देश
ब्रेग्जिट पर महारानी की मुहर, EU से निकलने के लिए ब्रिटेन की हर बाधा पार

नई दिल्लीः  31 जनवरी को ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर निकल जाएगा. यह अब पूरी तरह से तय हो चुका है. ब्रिटेन की संसद ने बुधवार को ब्रेग्जिट विधेयक को मंजूर कर लिया था. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने गुरुवार को ऐतिहासिक ब्रेग्जिट विधेयक को औपचारिक मंजूरी दे दी.

कई सालों तक लगातार चली बहस और गतिरोध के बाद यह फैसला लिया गया था. ब्रिटेन की महारानी से स्वीकृति मिलते ही ब्रेग्जिट विधेयक औपचारिक तौर पर कानून बन चुका है. अब ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन (ईयू) से बाहर निकलने की राह में कोई बाधा नहीं है. 

ब्रेग्जिट सचिव स्टीव बर्कले ने दी जानकारी
ब्रेग्जिट सचिव स्टीव बर्कले ने ट्विटर पर बताया कि महारानी ने विधेयक को मंजूरी दे दी जिसके बाद वह ब्रेग्जिट कानून बन गया. यह कानून 31 जनवरी को ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बाहर निकलने में सक्षम बनाता है. ब्रेग्जिट बिल का पास होना ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के लिए बेहद जरूरी था क्योंकि वह खुद इसके समर्थक रहे हैं.

उन्होंने वादा किया था कि वह 31 जनवरी तक बिना समझौते के यूरोपीय संघ से बाहर निकल जाएंगे. यहां तक कि जॉनसन ने कहा था कि वह इसके परिणामों के लिए तैयार हैं. 

ऐसे समझें ब्रेग्जिट को
यूरोपीय यूनियन 28 देशों का संगठन है. इन 28 देशों के लोग आपस में किसी भी मुल्क में आ-जा सकते हैं और काम कर सकते हैं. इस वजह से ये देश आपस में मुक्त व्यापार कर सकते हैं. 1973 में ब्रिटेन ईयू में शामिल हुआ था और यदि अब वह बाहर होने वाला पहला देश होगा.

ब्रेग्जिट का मतलब है ब्रिटेन का यूरोपीय यूनियन से अलग होना. यानी ब्रिटेन एग्जिट.

2016 में हुई जनता की वोटिंग
ब्रिटेन में 23 जून, 2016 को आम जनता से वोटिंग के जरिए पूछा गया कि क्या ब्रिटेन को ईयू में रहना चाहिए, उस वक्त 52 फीसदी वोट ईयू से निकल जाने के लिए मिले. 48 फीसदी लोगों ने ईयू में बने रहने की पैरवी की. ब्रिग्जेट समर्थकों का कहना है कि देश से जुड़े फैसले देश में ही होने चाहिए.

इसके बाद इस पर लंबी बहस हुई और अब आखिरकार संसद ने अपनी मुहर लगा दी है. 

EU से ब्रिटेन का एग्जिट होना तय, केवल महारानी की मुहर की देर

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